5 अगस्त के दिन को किसी राजनीतिक से नही जोड़े ,इतिहास में दर्ज होने जा रहा है आज का दिन,जानिए पूरी घटनाक्रम 1 नजर में-अभिताब नामदेव
5 अगस्त के दिन को किसी राजनीतिक से नही जोड़े ,इतिहास में दर्ज होने जा रहा है आज का दिन,जानिए पूरी घटनाक्रम 1 नजर में-अभिताब नामदेव
आज 5 अगस्त 20 को 5 मीटर का भगवा झन्डा अभिताब नामदेव के द्वारा अपने निजी निवास सैगोना कवर्धा में फहराया गया ,उन्होंने आज के दिन को इतिहास की स्वर्ण तिथि बताते हुए कहा कि इतिहास में आज के दिन में हमे इतना अच्छा मौका मिला है जो मन्दिर निर्माण के तिथि के हम सब गवाह बन रहे
इसे किसी प्रकार की राजनीति से नही जोड़कर देखना चाहिए ,जिस प्रकार प्रियंका गांधी ने लोगो को शुभकामनाएं दी ,व मध्यप्रदेश के कमलनाथ ने मंदिर के लिए चांदी की ईंट देने की घोषणा की उससे मुझे बड़ी खुशी हुई,राजनीति अपनी जगह श्रद्धा अपनी जगह होती है,इसी तर्ज पर में सभी से निवेदन करता हु भेदभाव मिटा कर हम सभी आज के दिन को खाश व यादगार बनाने में कोई कमी नही करे जिस प्रकार श्रीराम जी के अयोध्या लौटने पर पूरे देश मे खुशी व हर्ष मनाया गया होगा टिक उसी तरह हम सब को मिलकर आज के दिन अपने घरों से ही 1 दीप जलाकर अयोध्या में होने वाले श्रीराम मंदिर निर्माण में अपनी खुशी जाहिर कर योगदान दे सकते है।
चूंकि कोरोना ने लोगो के जीवन को अस्त व्यस्त कर रखा है हम सब एक साथ प्रार्थना करे ,कोरोना के विनाश का भी उपाय जरूर निकलेगा
मेरा व्यवसाय एक पत्रकार का है तो इसी कड़ी में आपको मन्दिर से जुड़े कुछ तथ्य की जानकारी देने का प्रयास कर रहा हु की कब से कहा से विवाद शुरू हुआ
सैकड़ों साल से संघर्ष की लड़ाई, आंदोलनों की वीरता और लोगों के संयम का फल है कि कल राम मंदिर बनने का सपना आखिरकार पूरा हो जाएगा। राम मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, जिन लोगों ने अपनी जिंदगियां कुर्बान की हैं, उनका परिणाम है।
राम मंदिर की लड़ाई 15वीं सदी से चली आ रही है। सबसे पहले सन् 1528 में मुगल हमलावर बाबर के सेनापति मीर बकी ने राम मंदिर का ढांचा तोड़कर यहां बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था। इसके बाद सन् 1885 में यह मामला पहली बार ब्रिटिश शासनकाल के दौरान अदालत में पहुंचा था। आपको जानकर हैरत होगी कि राम मंदिर मामले ने पूरे 135 सालों की कानूनी लड़ाई लड़ी है।
राम मंदिर का निर्माण हिंदुओं के लिए ऐतिहासिक पल क्यों है, क्यों भगवान राम की जन्मभूमि पर मंदिर बनाना किसी संघर्ष से कम नहीं था। इतिहास में भगवान राम के अवतरण की अलग-अलग तिथियां और संदर्भ दिए हैं। एक बार भगवान राम के जन्म पर वैज्ञानिक और इतिहास के पन्नों से गुजरते हुए नजर डालते हैं…
भगवान राम के जन्म को लेकर कई मान्यताएं हैं, कई लोग महर्षि वाल्मीकि की रामायण में बताए गए समय को ही भगवान राम का जन्म समय मानते हैं लेकिन रामायण पर किए शोध के आधार यह बात सामने निकलकर आई है कि राम का जन्म 5,114 ईसा पूर्व 10 जनवरी को दोपहर 12.05 पर हुआ था।
वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को हुआ था या फिर पुनर्वसु नक्षत्र में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब हुआ था। इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था।
इस स्थिति पर अलग-अलग शोधकर्ताओं का अलग-अलग मत है। डॉ. वर्तक के अनुसार ऐसी स्थिति 7,323 ईसा पूर्व दिसंबर में ही बनी थी लेकिन प्रोफेसर तोबयस का मानना बै कि जन्म के ग्रहों के विन्यास के आधार पर राम का जन्म 7,130 वर्ष पूर्व यानि कि दस जनवरी 5,114 ईसा पूर्व हुआ था।
आइए जानते हैं कि भगवान राम के जन्म को लेकर वेदों में क्या लिखा है…
पौराणिक कथाओं में बताया गया कि भगवान राम का जन्म 24वें त्रेतायुग में हुआ था। महाभारत में कहा गया है कि भगवान राम त्रेता युग और द्वापर युग के बीच हुए बदलाव में जीवित थे। वाल्मीकि रामायण और राम की जीवनी पर बनी दूसरी किताबों के अलावा वायु पुराण, महाभारत, हरिवंश और ब्रह्मानंद पुराण में भगवान राम के जन्म के बारे में बताया गया है।
जिन लोगों को इन पौराणिक बातों पर विश्वास नहीं होता, जिनके लिए ये सब बातें घिसी-पिटी सी होती है, उनके लिए विज्ञान का तर्क भी सामने हैं। विज्ञान ने भी भगवान राम के जन्म पर कुछ तथ्य सामने रखे हैं, आइए उन्हें भी जान लेते हैं…
भगवान राम के जन्म पर क्या कहता है विज्ञान?
इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक रिसर्च ऑन वेद (I-SERVE) के प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर के मुताबिक भगवान राम का जन्म अयोध्या में दस जनवरी 5,114 ईसा पूर्व को हुआ था, जैसा कि कई शोधकर्ता भी मान चुके हैं। भारतीय कैलेंडर के मुताबिक भगवान राम के जन्म का समय दोपहर 12 से एक बजे के बीच में है।
इसके अलावा संस्थान ने भारतीय पौराणिक कथाओं में कई अन्य प्राचीन घटनाओं की पुष्टि करने में भी सफलता का दावा किया है, जो 2000 ईसा पूर्व से पहले तारामंडल (प्लैनेटेरियम) सॉफ्टवेयर का उपयोग करके हुई थी। इस संस्थान के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि वाल्मीकि ने रामायण में जो ग्रहों की स्थिति का वर्णन किया है, उसी के आधार पर राम की जन्मतिथि निकाली गई है।
अयोध्या मामले की घटनाक्रम
1528: बाबर ने यहां एक मस्जिद का निर्माण कराया जिसे बाबरी मस्जिद कहते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार इसी जगह पर भगवान राम का जन्म हुआ था।
1853: हिंदुओं का आरोप कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ। मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई।
1859: ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी।
1885: मामला पहली बार अदालत में पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की।
23 दिसंबर 1949: करीब 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया।
16 जनवरी 1950: गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर कर रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी।
5 दिसंबर 1950: महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया. मस्जिद को ‘ढांचा’ नाम दिया गया
17 दिसंबर 1959: निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया।
18 दिसंबर 1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।
1984: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया. एक समिति का गठन किया गया।
1 फरवरी 1986: फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। ताले दोबारा खोले गए। नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया।
जून 1989: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन देना शुरू करके मंदिर आंदोलन को नया जीवन दे दिया।
1 जुलाई 1989: भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवा मुकदमा दाखिल किया गया।
9 नवंबर 1989: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी।
25 सितंबर 1990: बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिसके बाद साम्प्रदायिक दंगे हुए।
नवंबर 1990: आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
अक्टूबर 1991: उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया।
6 दिसंबर 1992: हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढाह दिया। इसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। जल्दबाजी में एक अस्थायी राम मंदिर बनाया गया।
16 दिसंबर 1992: मस्जिद की तोड़-फोड़ की जिम्मेदार स्थितियों की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन हुआ।
जनवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था।
अप्रैल 2002: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की।
मार्च-अगस्त 2003: इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं। मुस्लिमों में इसे लेकर अलग-अलग मत थे।
सितंबर 2003: एक अदालत ने फैसला दिया कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए।
जुलाई 2009: लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
28 सितंबर 2010: सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया।
30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े में जमीन बंटी।
9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
जुलाई 2016: बाबरी मामले के सबसे उम्रदराज वादी हाशिम अंसारी का निधन।
21 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही।
19 अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया।8 फरवरी, 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपीलों पर सुनवाई शुरू की।
2019: सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया।
6 अगस्त, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना मामले की सुनवाई शुरू की।
16 अक्तूबर, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा।
9 नवंबर, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा: विवादित भूमि पर बनेगा मंदिर, मुस्लिम पक्ष को कहीं और मिलेगी जमीन वो भी 5 एकड़ ही होगी
5 एकड़ जमीन 5 अगस्त और मेरे द्वारा भी 5 मीटर का झंडा फहराया गया जय श्री राम मित्रो आप सभी खुश रहे स्वस्थ रहे आपका परिवार पर भी श्री राम भक्त हनुमान जी की कृपा बनी रहे-आप सभी को सादर प्रणाम करते हुए लेख को विराम देता हूं आपमे भी आस्था है तो मेरे लेख जानकारी को जरूर लोगो तक पहुचाए।