छत्तीसगढ़

भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर अटकलें हुई तेज ठेकेदार व सप्लायर को जिलाध्यक्ष नही बनाने की उठी मांग – विहिप

भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर अटकलें हुई तेज
ठेकेदार व सप्लायर को जिलाध्यक्ष नही बनाने की उठी मांग – विहिप

कांकेर-भारतीय जनता पार्टी जिला अध्यक्ष को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है तो वही भारतीय जनता पार्टी अनुशासन संवैधानिक व विचार वाली पार्टीमानी जाती है लेकिन वर्तमान स्थिति में इसकी पटरी उस पटरी से काफी उतर चुकी है ! अब-जब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान पूर्व केंद्रीय मंत्री व आदिवासी नेता श्श्री विष्णु देव साय श् को सौपे जाने के बाद व दिए जाने के बाद पुनः अनुशासन वाली पार्टी काबिज होने से इंकार भी नही किया जा सकता है तो वहीं भाजपा जिला अध्यक्ष को लेकर विश्व हिंदू परिषद के सम्भागीय मीडिया प्रभारी श्श् अनुराग उपाध्याय श्श् ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नए जिलाध्यक्ष को लेकर ैवबंपस उमकपं और समाचार पत्रों में विभिन्न प्रकार की खबर वायरल और प्रकाशित हो रही है जिससे स्पष्ट है कि कही ना कही दाल काली है और इसे लेकर पार्टी के अंदर ही भारी गुटबाजी है जो बाहर दिख रहा है और उन्होंने जिला अध्यक्ष की नियुक्ति पर कटाक्ष करते कहा की जिले के नवनियुक्त जिला अध्यक्ष जो भी बने व नियुक्त होपर उसकी छबि और पृष्ठभूमि पार्टी के भीतर एक ठेकेदार सप्लायर की ना हो पर समाजिक व धार्मिक या राजनैतिक क्षेत्र मे कोई व्यक्ति जब प्रवेश करे तो कम से कम इन क्षेत्रो को अपने रोजी रोटी का माध्यम ना बनाये यही जरूरी होना चाहिए ना कि उसे ठेकेदारी सप्लाई क्षेत्र से जुडे होने के आधार पर ही अस्वीकार कर दिया जाए पर रोजी रोटी के लिए किसी क्षेत्र विशेष(ठेकेदार ,सप्लाई,व्यापार) से जुडने मे कोई बुराई नही, परन्तु इसके साथ साथ यदि आप किसी सामाजिक धार्मिक या राजनैतिक क्षेत्र का दायित्व ले रहे है तो उसके प्रति पुरी निष्ठा सक्रियता और,समर्पण होना चाहिए जो नजर में दिखे पर धीरे -धीरे विपक्ष की भूमिका पर भी कई सवालिया निशान खडें होना आरंभ हो गये है जिन कारणों से संगठन ने जिसे विपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी ,वो फिलहाल अपनी लडाई सोशल मीडिया के माध्यम से लड़ खानापूर्ति ही कर रहे हैं जिला अध्यक्ष उसे बनाया जाये जिसकी छवि पार्टी के अंदर एक अनुशासित कार्यकर्ता व पदाधिकारी के रूप में दर्ज हो और इसके अलावा इसके ऊपर कोई अपराधिक मामले दर्ज ना हो और जिन – जिन लोगों ने पार्टी की छवि को धूमिल कर अनुशासन तोड़ा है और जिनके कारण पार्टी के नेताओं की फजीहत व हार भी एक कारण माना गया और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी इन गलतियों को स्वीकार करते हुये दबी जुबान से कहा की श्श् इनकी वजह से ही पार्टी को हार का मुहँ देखना पड़ा है
हिन्दूवादी नेता ने आगे कहा की पार्टी के भीतर भीतरघात कर अपने ही पार्टी के उम्मीदवार को क्रॉस वोटिंग करवा गया और वहीं हार का बड़ा कारण माना गया और मंडल चुनाव के दौरान वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व सांसद के निवास के सामने प्रदर्शन भी किया गया जिसकी शिकायत की गई और पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने स्वयं संज्ञान में पूरे मामले की गोपनीय अनुशासन तोड़ने वालों को नोटिस थमाया पर वह नोटिस रद्दी की टोकरी में जाते दिखा क्योंकि आज तक उन पर कोई ठोस कार्यवाही शुरू नही हुयी
15 वर्ष तक राज्य में सरकार होने के बाद भी पूर्व जिला अध्यक्ष के रवैया के कारण जिले की तीनों विधायक , जिला पंचायत ,पालिका से नगर पंचायत , जनपद पंचायतों में भाजपा की सरकार नहीं बन पाई और स्थानीय पालिका परिषद् में संगठन के नेताओं ने जिस प्रकार क्रास वोटिंग करवा कर नगरपालिका से भी बाहर हो गए और इसे लेकर पूरे राज्य में इस मामले की किरकिरी भी काफी हुयी ?
विश्व हिन्दू परिषद् ने मांग की है की प्रदेश नेतृत्व खासतौर पर बस्तर अंचल होने व ट्राइबल बेल्ट के चलते काँकेर जिले में आदिवासी चेहरे को ही मौका दिया जाने की पैरवी की है और कहा कि भाजपा नेतृत्व और ऊपर बैठे वरिष्ठ पदाधिकारियों को चाहिए की जिला अध्यक्ष संगठन प्रिय हो और अनुशासन को मानने वाले को यहां की बागडोर सौपा जाये ताकि कमजोर होता विपक्ष ताकत बनकर जनमानस में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सके और विपक्ष की भूमिका अच्छे से निभा सके ।
बता दे की पिछले कई दशक से जिस प्रकार पार्टी के अंदर गुटबाजी और अंतरकलह दिखाई दे रहा है उससे निश्चित रूप से आमजनो के बीच छबि में गिरावट आयी है और पैर पढ़कर और चाटूकारिता करने वालो के अलावा जमीनी हकीकत से काफी दूर रहकर संगठन की बाते करने वालो को भी इस पद से वंचित ही रखने की बात कही गई है।विधानसभा से लेकर सरपंच चुनावों में अपनी पकड़ को मजबूत नही करने वाले ठेकेदारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भाजपा नेताओं की विफलता का परिणाम सभी के सामने दिखाई दे रहा है।
पार्टी के झंडे के दम पर दभं भरने वाले कुछ पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने तो पार्टी विरोधी कार्य कर पीछे दरवाजे से दूसरी चंतजल के नेताओं कसा साथ कंधे से कंधे मिलाकर छबि खराब की है और विगत 15 वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद भी आज तक पालिका में कब्जा तक जमा नहीं पायी और तो और पालिका चुनावों में कम वोटों से हारने वाले पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में खडा ना होना भी कई संदेह को जन्म देता है !

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