छत्तीसगढ़

अजीत जोगी मरे नही है, वो कभी नही मर सकते। वो अमर है ! मेरी धर्मपत्नी ऋचा जल्द ही माँ बनने वाली है। जोगी जी बहुत खुश थे कि वो दादा बन रहे हैं लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था। मुझे पूरा विश्वास है कि वो मेरे बच्चे के रूप में जन्म लेकर हम सब के बीच एक बार फिर आएंगे।। Ajit Jogi is not dead, he can never die. He is immortal! My wife Richa is going to be a mother soon. Jogi ji was very happy that he is becoming a grandfather but the time was somewhat different. I am confident that he will be born as my child and will once again come among all of us.

ज्योतिष कुमार- (सबका संदेश डॉट कॉम

क्षेत्रवासियों के नाम अमित जोगी का संदेश* ➖ पापा के जाने के बाद आप सभी लोगों ने, विशेषकर मेरी माँ डॉक्टर रेणु जोगी, मेरे चाचा श्री धर्मजीत सिंह और मेरे छोटे भाई श्री प्रमोद शर्मा ने मुझे संभाला, रोने के लिए कंधा दिया। मुझे संबल दिया। मुझे हिम्मत दी, मैं आप सबका बहुत आभारी हूँ।।

➖ मैं अपने पापा माननीय अजीत जोगी जी से और मेरे मरवाही के आप सभी सम्मानित घर के बड़े बुजुर्गों, भाइयों और सगों से हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगता हूँ। मैं आज मरवाही नहीं आ सका। मुझे तीन दिन पहले बुखार था और इसलिए मैंने नियमों का पालन करते हुए खुद को १४ दिन घर में ही सिमित कर लिया है।उसके बाद मैं मरवाही जरूर आऊंगा।

➖ पापा के जाने के बाद मरवाही में जल्द ही उपचुनाव होने वाला है। मैं केवल आप लोगों से इतना कहूँगा कि मरवाही के विधायक, मरवाही के कमिया अजीत जोगी जी थे, अजीत जोगी हैं और अजीत जोगी रहेंगे।

➖ आत्मा कभी नही मरती और मरवाही अजीत जोगी जी की आत्मा है। जो कभी नही मर सकती।

➖हर बार चुनाव में विरोधी लोग वोट मांगने मरवाही आते हैं। और जमानत जप्त कराकर लौट जाते हैं। क्यों ? पापा मुझे हमेशा कहते थे , मरवाही मेरे लिए विधानसभा नही है, मरवाही मेरा परिवार है।मरवाही से मेरा रिश्ता किसी एक दल तक सीमित नहीं है बल्कि दिल की गहरायियों का है। और इसलिए मैं मरवाही से कभी वोट नही मांगता, आशीर्वाद मांगता हूं।

–इतनी सी बात को दिल्ली और रायपुर में बैठे कुछ मित्र समझ नहीं पाते हैं और इसलिए अपनी ज़मानत जप्त कराकर लौट जाते हैं।

➖ 2014 चुनाव में जब मैं मरवाही से विधायक बना था तो पापा ने मरवाही में सबके सामने कहा था, अमित ! तुम मरवाही के विधायक नही हो, सेवक हो, बनिहार हो, सौंझिया हो, कमिया हो। मैं कमिया नंबर एक और तुम कमिया नंबर दो। मैं मर जाऊं तो भी मरवाही की सेवा में कोई कमी नही आनी चाहिए। चाहे पूरे संसार से लड़ना पड़ जाए, चाहे जान चली जाए, लेकिन मरवाही को कभी कोई तकलीफ नही होनी चाहिए।

➖माननीय अजीत जोगी जी , मेरे पापा और आपके कमिया ईश्वर के पास चले गए लेकिन अपना मान और पहचान मरवाही में छोड़ गए।।

➖ कुछ मित्र चहते हैं कि मरवाही और जोगी का भात और जात का रिश्ता टूट जाये। रायपुर से चाबी भरकर लाल बत्ती वालों को मरवाही में चुनाव लड़ने नहीं भेजा जा रहा है। वो अजीत जोगी की पहचान को मिटाने मरवाही आये हैं।

➖ ये चुनाव मरवाही के मान का चुनाव है, जोगी जी के आत्म-सम्मान का चुनाव है। और जब तक हमारे में जान है- मरवाही के मान और जोगी जी के आत्म-सम्मान का बाल भी बाँका नहीं होगा।
➖ अजीत जोगी मरे नही है, वो कभी नही मर सकते। वो अमर है ! मेरी धर्मपत्नी ऋचा जल्द ही माँ बनने वाली है। जोगी जी बहुत खुश थे कि वो दादा बन रहे हैं लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था। मुझे पूरा विश्वास है कि वो मेरे बच्चे के रूप में जन्म लेकर हम सब के बीच एक बार फिर आएंगे।

–मैं अपनी बातों का अंत पिछले साल पापा की मुझे लिखी एक कविता पढ़कर करूँगा। न जाने ऐसा क्यों लगता है कि उन्होंने ये कविता मेरे लिए नहीं बल्कि यहाँ रहने वाले हर एक व्यक्ति के लिए लिखी है:

“शंखनाद हो चुका है,
युद्ध प्रारम्भ है,
मैं सारथी बनकर,
तुम्हारा रथ चला रहा हूँ,

वत्स,
ऐसे बाण चलाना,
शत्रु बच ना पाये,
विजयश्री हमारे चरण चूमें,
आज आशीर्वाद लो,
बढ़ चलो,
रूकना मत,
सफर लम्बा है,
युद्ध कठिन है,
ऐसा कौशल दिखाना,
सब परास्त हो जाय।

-पापा”

इसमें किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए कि जिसका सारथी बनकर स्वयं अजीत जोगी जी रथ चला रहे हैं, उस रथ के आगे कौरवों की सेना का परास्त होना तय है।

अजीत जोगी अमर रहे !

 

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