छत्तीसगढ़

मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है

मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है

यहां का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर संतोष पटेल की ड्यूटी कोविड-19 जिला जांजगीर में लगाई गई थी जिसका आदेश उन्हें मुख्य चिकित्सा अधिकारी जांजगीर के द्वारा मिला था जिसे सीएससी मालखरौदा की बीएमओ डॉक्टर कात्यायनी सीने उन्हें दीया संतोष पटेल ने बीएमओ को लिखित में कारण बताते हुए कोविड-19 की ड्यूटी नही कर पाने हेतु लिखित में बताया कि उनकी पुत्री की तबीयत ठीक नहीं है अतः ड्यूटी करने में असमर्थ है और वह मुख्यालय मालखरौदा में रहकर अपनी ड्यूटी यथावत करते रहेंगे इस पर डॉ कात्यानी सीन है उनकी लिखित जवाब को छुपाते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी जांजगीर को पत्र प्रेषित किया कि वह आदेश की अवहेलना कर रहे हैं अतः उन पर धारा 188 वैश्विक महामारी के तहत मालखरोदा थाने में एफ आई आर दर्ज कराई जबकि एक डॉक्टर के खिलाफ एफ आई आर दर्ज नहीं की जानी चाहिए थी बल्कि यह कार्यवाही उनके विभाग के द्वारा की जानी चाहिए थी डॉक्टर संतोष पटेल ने इस कार्यवाही के खिलाफ कलेक्टर से शिकायत की और उन्हें परेशानी बताइ फिलहाल डॉक्टर पटेल कोविड-19 की ड्यूटी करने के पश्चात अपने मुख्यालय लौट आए हैं अब यहां देखने वाली बात यह है कि यही क्रम पुनः दोहराया गया अर्थात संतोष पटेल की ड्यूटी के पश्चात मालखरोदा सीएचसी में पदस्थ डॉक्टर केके सिदार की ड्यूटी लगी और उन्हें जांजगीर ड्यूटी करने के लिए निर्देशित किया गया परंतु ना केवल इनकार किया बल्कि 10 दिनों तक मुख्यालय मालखरौदा में भी अपने ड्यूटी नहीं की और आकर फर्जी दस्तखत भी कर दिए अब यहां देखने वाली बात यह है की मालखरोदा बीएमओ डॉ कात्यानी सिंह ने डॉक्टर केकेसिदार के खिलाफ क्या कार्रवाई की है पता चला है कि कोई कार्यवाही नहीं की गई उन्होंने बिना ड्यूटी की 10 दिनों का दस्तखत मालखरौदा के उपस्थिति रजिस्टर में किया सोचने वाली बात है कि डॉक्टर संतोष पटेल के द्वारा कारण बताए जाने पर भी उनके खिलाफ धारा 188 के तहत एक तैयार कराई गई थी जबकि कृष्णा सिदार को कोविड-19 की ड्यूटी से छूट& मालखरौदा में भी छूटदिया गया! वहां जाकर अपनी उपस्थिति भी नहीं दी और मुख्यालय में से 10 दिन तक गायब रहे और 10 दिनों के बाद उन्होंने फर्जी दस्तखत भी किए! क्या डॉक्टर के के सिड्सर पर अस्मा के उल्लंघन का मामला नहीं बनता कोविड-19 की ड्यूटी से इनकार पर धारा 188 के तहत उन पर मामला नहीं बनता? क्या 10 दिन अनुपस्थित रहने के पश्चात से मालखरौदा के उपस्थिति रजिस्टर में फर्जी दस्तखत करने का मामला उन पर नहीं बनता ?अगर यह सब सही है तो संतोष पटेल ने कौन सी गलती की थी? जिसके लिए उन पर f.i.r. कराया गया था और अपनी बीमार बच्ची को छोड़कर घर से 150 किलोमीटर दूर उन्हें जांजगीर में ड्यूटी करने के लिए मजबूर किया गया था! इसके अलावा डॉक्टर के के सिदार ने सरकारी आवास के दो कमरे खुद के लिए रखे हैं जबकि नियमतः उन्हें केवल एक कमरा रखना चाहिए था ! डॉक्टर के के सिदार डॉक्टर कात्यानी सी के पूर्व मालखरोदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ थे और उन पर भी ₹10000 गर्भपात के लिए लेने का आरोप लगा था और इसी आरोप लगने की वजह से उन्होंने बीएमओ शिप हुई थी बीएमओ शिप रहने के दौरान उन्होंने गलत जानकारी विभाग को भेजी थी जिसका विवरण हमने लोक स्वर में दिया था परंतु विभाग के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई! डाक्टर कात्यायानी ने अपने अधिकार छेत्र से बाहर जा कर डॉक्टर संतोष पटेल को रूम को रूम खाली करा रही थी! प्रताड़ित कर रही थी! इसी लाक डौउन में डॉक्टर संतोष पटेल को बिना गलती के पामगढ़ ट्रांफर करने वाले अधिकारी भी डॉक्टर कात्यायनी के साथ मिलकर दोहरे नीति अपना रहे है! डॉक्टर कात्यायनी के सैकड़ो ग्सलतिया को नजर अंदाज कर रहे है! आखिर किनका दबाव है इन अधिकारियो पर क्यो कर रहे है अन्याय : दोहरा नीति स्वस्थ विभाग के आला अधिकारी !!!

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