गो माता को बचाने कुछ प्रयास करने होंगे-रामनारायण वर्मा
आज आधुनिक एवम् तकनीक के युग में, जहा सभी लोग पैसे से मशीन से ट्रैक्टर से कृषि यंत्रों से अपना कार्य करा लेंगे, दूध पैसे से खरीद लेंगे, दही,मही, धी, सब पैसे से खरीद लेंगे ऐसा भाव प्रायः सभी के मन में व्याप्त है। बैल, भैसा रखने वाले भी, अपनी खेती किसानी ट्रैक्टर से करते है, और उनका बैल, भैसा लावारिश सबको पर बैठा रहता है। आज सभी लोग पैसा में सब कुछ खरीद लेंगे के भाव से जी रहे हैं। आज कोई गाय बैल पालना नहीं चाहता, गोबर को आज की नहीं पीढ़ी उठाना नहीं पसंद करती हैं, सब साफ़ सफाई से जीना पसंद करते हैं। जाहिर है, जानवर रखने से कहा उसका कोठा रहता है, वहां मच्छर एवम् मल मूत्र का दुर्गंध आती हैं। आधुनिकता ही आज मवेशियों के दुर्गति का कारण बना है। पशु मालिक अपने गाय बैल को फ्री में देने तैयार हैं, लेकिन कोई ले जाने वाला नहीं है। शासन प्रशासन को चाहिए की वो शासकीय राशन दुकान से जिनके घरों में जितनी जानवर है, उनके अनुसार चावल देने की योजना बनाना चाहिए। यहीं एक कारगर उपाय है गाय बैल की संरक्षण के लिए।
साथ ही यूरिया खाद की बाज़ार में खुली बिक्री पर प्रतिबंध होना चाहिए, यूरिया खाद केवल सरकारी सोसायटी के माध्यम से ही मिलना चाहिए। एक बोरी यूरिया खाद पर जैविक खाद अनिवार्य करना उचित होगा। किसानों को सासाकिय अनुदानों का लाभ, जैसे, राशन कार्ड से , अनाज, आवास, नरेगा योजना अंतर्गत कार्य, अमर्थन मूल्य पर धान की खरीदी,, विभिन्न मुवावजे आदि का लाभ उनके परिवार के पास उपलब्ध मवेशियों की संख्या के आधार पर मिलना चाहिए।
रामनारायण वर्मा
ग्राम पंचायत बासीन
जिला मुंगेली छत्तीसगढ़