निजी स्कूलों पर नकेल कसने पर विफल हो रही सरकार

दुर्ग। निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने की घोषणाएं जो कांग्रेस सरकार की घोषण पत्र में शामिल किया था, वह सिर्फ चुनावी शुगुफा साबित ना हो जाए, क्योंकि सरकार को डेढ़ वर्ष पूर्ण हो चुका है, लेकिन निजी स्कूलों पर नकेल कसने का प्रयास करने में सरकार पूरी रीति से विफल हो रही है, क्योंकि अब तक ना कोई आयोग बनाए ना कोई समिति, ना कोई सख्त कानून और ना कोई सख्त आदेश निकाला गया।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने प्रदेश के मुखिया को पत्र लिखकर यह बताने का प्रयास किया है कि सरकार को वोट देकर अब पीडि़त पालक अपने आपको छला हुआ महसूस कर रहे है, क्योंकि कोरोना काल में बच्चों से फीस वसूली कर प्राईवेट स्कूल वालों ने नाक में दम कर दिया है, जो फीस जमा किया, उसे ऑनलाईन शिक्षा दिया जा रहा है और जो फीस जमा नहीं किया उसे अनेकों तरह से परेशान और प्रताडि़त किया जा रहा है।
श्री पॉल ने यह आरोप लगाया है कि डीपीआई और जिला शिक्षा अधिकारियों के द्वारा निजी स्कूलों के लिए सिर्फ निर्देश जारी किया जा रहा है, लेकिन पीडि़त पालकों के द्वारा निजी स्कूलों के खिलाफ लिखित शिकायत करने पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं किया जा रहा है। श्री पॉल ने कहा है कि निजी स्कूलों के द्वारा डीपीआई और डीईओ के पत्रों को मानने से इंकार कर रहे है यही कारण है कि आज तक फीस वसूली रूक नही पाया है। श्री पॉल ने यह जानकारी दिया है कि डीपीआई ने 16 जुलाई 2020 को समस्त डीईओ को पत्र लिखकर एक ही दिन में 8000 निजी स्कूलों द्वारा वसूले गए फीस की जानकारी की मांग किया गया, तो कई डीईओ ने तत्काल मिथ्या जानकारी भेजकर सिर्फ खानापूर्ति कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दिया। ऐसा प्रतीत होता है कि शिक्षा विभाग में पदस्थ जिम्मेदार अधिकारी पालकों को गुमराह करने के लिए पत्र जारी कर रहे है।
श्री पॉल ने मुख्यमंत्री को यह बताने का प्रयास किया कि सरकार से पालकों को बड़ी उम्मीदे थी और है कि मुख्यमंत्री निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने में कोई कसर नहीं छोडेंगे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी उनकी छवि धुमिल करने का कोई कसर नहीं छोड़ रहे है, जिसके कारण प्रदेश के पालकों में उनकी सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ते जा रही है। पैरेंट्स एसोसियेशन ने प्रदेश के मुखिया से मांग किया है कि प्रदेश के निजी स्कूलों पर तत्काल नकेल कसने की जरूरत है, क्योंकि निजी स्कूलों की मनमानी से बच्चे और पालक परेशान है।