बस्तर संभाग का सबसे बड़ा बकरा कोंडागांव में, ईद पर कुर्बानी के लिए कीमत सवा लाख रुपये

कोंडागांव। बस्तर जिले के देसी नस्ल से क्रासिंग बकरे के बच्चे को ढाई साल में पाल पोसकर कर दिया एक क्विंटल से ज्यादा वजनी। बस्तर संभाग का है सबसे बड़ा बकरा। मुस्लिमों के अहम त्योहार बकरीद में कुर्बानी के लिये बेचने सवा लाख रुपये तय किया गया रेट।
ईदउल अजहा को लेकर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में तैयारियां शुरू हो चुकी है। मुस्लिमों का एक अहम त्योहार बकरीद बस कुछ ही दिनों में आने वाला है। छत्तीसगढ़ में अलग-अलग नस्ल के बकरों का बाजार भी गरम है। लोग कुर्बानी करने के लिए बकरे की खरीदारी कर रहे हैं। बकरा ईद को लेकर बाजारों में 10 हजार से लेकर एक लाख तक के बकरे उपलब्ध है।
कोंडागांव जिले के जामकोट पारा में रहने वाले यूसुफ अली ने एक लाख 25 हजार का बकरा तैयार कर रखा है। देसी नस्ल से क्रासिंग में जन्मे इस बकरे का नाम टुन्नू है। इसे पत्ते और गेहूं ,मक्का, ड्राई फूड खिला कर पाला है। बकरे के व्यवसायि यूसफ़ अली ने यह बकरा बकराईद के मौके पर कुर्बानी करने के लिए तैयार किया है। यूसुफ अली इस एक किविंटल से अधिक वजनी बकरे को सवा लाख में बेचना चाहते हैं।
ईद उल अजहा (बकरीद) मुसलमानों के मुख्य त्योहारों में से एक है। इस साल ईद उल अजहा का त्योहार चांद देखे जाने के बाद 31 जुलाई या एक अगस्त को मनाया जाएगा। इस साल की ईद थोड़ी अलग रहेगी कोंडागांव जमा मस्जिद सदर ने सभी मुसलमानों से अपील की है कि कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है, जिसकी वजह से ईद पर सभी एहतियाती कदम उठाने होंगे। कोरोना वायरस की मुश्किल के बीच कुर्बानी शासन के निर्देश व कानून के मुताबिक करें। उन्होंने कहा सभी मुसलमानों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि ईद पर शारीरिक दूरी का पूरी तरह से पालन हो और मास्क सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल करते रहें। त्याग और बलिदान का ये पर्व ईद-उल-फितर यानी मीठी ईद के लगभग 2 महीने बाद आता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल जिलहिज्ज के महीने में आता है। इस महीने हज किया जाता है। ईद-उल-अजहा का चांद जिस रोज नजर आता है। उसके 10वें दिन बकरीद मनाई जाती है।
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