स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की दोहरे नीति देखने के लिए मिल रहा है जो बहुत ही शर्मनाक विषय बना हुआ है वही पक्षपात करते हुए जिम्मेदार अधिकारी आए दिन नजर आते रहते हैं
स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की दोहरे नीति देखने के लिए मिल रहा है जो बहुत ही शर्मनाक विषय बना हुआ है वही पक्षपात करते हुए जिम्मेदार अधिकारी आए दिन नजर आते रहते हैं
रिपोर्ट कान्हा तिवारी –
सवालो के घेरे मे
सीएमएचओ जाँजगीर
जांजगीर समाचार मालखरौदा का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और विवादों का संबंध कुछ इस तरह रहा है कि दोनो जुदा हो ही नहीं सकते । यहां लगातार शिकायतें होती रही शिकायतकर्ता शिकायत करते रहे और सुनने वाले सुनते ही रहे । शिकायत करने वाला थक कर बैठ गया लेकिन शिकायत को जन्म देने वाली डॉक्टर कात्यानी अपने अंदाज ए बयां से अब तक बाज नहीं आई है ।मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के के लगातार षड्यंत्र दर षड्यंत्र रचने से ऐसा लगता है कि उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री नहीं बल्कि षड्यंत्र में पीएचडी की है । डॉक्टर कात्यायनी मालखरौदा सीएचसी की सबसे जूनियर डॉक्टर है और उनकी यहां तदर्थ नियुक्ति है उनकी मूल नियुक्ति घोघरी है परंतु उन्होंने अपने राजनीतिक पहुंच का फायदा उठाकर अपनी संलग्नीकरण मालखरौदा सीएचसी करवाया और बीएमओ भी बना दी गई । बी एम ओ पद पर रहते हुए उन्होंने लगातार डा.संतोष पटेल के खिलाफ षड्यंत्र रच कर उन्हे और उनकी छवि को धूमिल करना चाहा परंतु डा. पटेल के द्वारा हर बार उनके रचे षडयंत्र के जाल से बचकर निकल आना डा. कात्यायनी को हिंसक बना रहा है
डॉक्टर कात्यायनी सिंह की कुछ कारगुजारी जो उन्होंने मालखरौदा सीएचसी में रहते हुए की हैं और उनके खिलाफ शिकायतें भी हुई परंतु उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई पहला 6 माह के गर्भ को जिला चिकित्सालय ना भेजकर सीएचसी में गर्भपात करना और उसके लिए ₹10000 मांगे मांगे जाना । इसकी शिकायत हुई थी परंतु अब तक कार्यवाही के नाम पर शून्य ।
दूसरा डॉक्टर पटेल के खिलाफ धारा 188 लगाना ।छत्तीसगढ़ और शायद भारत में भी कोरोना काल मे किसी डॉक्टर पर यह धारा नहीं लगी होगी
तीसरा शिकायतकर्ता कोमल मनहर को बिना कोई सूचना दिए बिना सीएमएस को सूचना दिए सीएससी मालखरौदा बुलाना और इसकी शिकायत होने पर भी कोई कार्यवाही का ना होना । तीसरा डॉक्टर संतोष पटेल जो वहां के सबसे सीनियर डॉक्टर हैं उनका पामगढ़ ट्रांसफर कराने की कोशिश करना जिससे उनके बीएमओ शिप पर कोई आंच ना है और वे निष्कंटक बीएमओ पद पर बनी रहे ,साथ ही डॉक्टर पटेल को सरकारी आवास खाली कराने के लिए नोटिस भेजना । चौथा रविवार राष्ट्रीय अवकाश के रूप में सभी लोगों की तरह डॉक्टरों को भी मिला हुआ है परंतु डा.कात्यानी के द्वारा रविवार की अवकाश पर मुख्यालय मे रहने पर जबकि किसी तरह की आपातकालीन डयूटी की सूचना नही देने पर भी नोटिस भेजना परंतु वहीं पर डॉक्टर के के सिदार के द्वारा कोविड-19 की ड्यूटी से इनकार किए जाने पर भी कोई कार्यवाही का न करना ।
अभी सबसे ताजा मामला है कोविड-19 की ड्यूटी करके लौटे डॉक्टर संतोष पटेल को पोस्टमार्टम करने के लिए ₹50000 की मांग किए जाने की फर्जी शिकायत करवाना और उसे फेसबुक और व्हाट्सएप पर वायरल करना ।
पता किए जाने पर पता चलता है कि जिन लोगों से नाम से शिकायत की है उन्होंने शिकायत ही नहीं की है और वह संबंधित ग्राम के भी नहीं हैं और ना ही उन मृत बच्चो से कोई संबंध था । इसकी भी शिकायत डा.पटेल ने सीएमएचओ जांजगीर परंतु अब तक किसी भी कार्रवाई नही की गयी ।इन सारे शिकायतों के होने के बावजूद डा.कात्यानी पर किसी तरह की कार्यवाही का ना होना यही दर्शाता है कि मुख्य चिकित्सालय जांजगीर में भी उनकी पहुंच कितनी ऊंची है यहां तक की डॉ चरणदास महंत के मालखरौदा आगमन पर उनके द्वारा जनप्रतिनिधियों और लोगों के द्वारा शिकायत करने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्यवाही का ना होना यह बताता है कि उनकी साख राजनीति के किन गलियारों तक है परंतु क्या राजनीतिक गलियारों के साथ उनका नाता इतना मजबूत है कि आम जनता की आवाज को उनकी शिकायतों को ,उनके तकलीफों को अनदेखा कर किसी एक व्यक्ति के लिए पूरे विभाग को दांव पर लगा दिया जा सकता है ?