निर्धनता बनी किसान के मौत की वजह, सरकारी योजनाओं का नही मिल पाया कोई लाभ
कोण्डागांव । जहां एक ओर कोण्डागांव जिला के सुदुर वनांचल, दुर्गम व पहुंचविहीन क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने, जिले की जनता को कुपोषण से सुपोषण की ओर ले सहित स्वास्थ्य आदि से संबंधित मामलों में उत्कृष्टतम कार्य करने पर नीति आयोग के द्वारा जिला प्रषासन कोण्डागांव को पुरस्कार के रुप में करोड़ों रुपए दे रही है, वहीं इन सब के बीच इसी कोण्डागांव जिले के जनपद पंचायत बडेराजपुर के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कोपरा के मुण्डापारा में निवासरत एक गरीब आदिवासी किसान की मौत, गरीबी के कारण होने और जनपद पंचायत केषकाल के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत अरण्डी में चंद नेताओं के बहकावे में बहके ग्रामवासियों के असंवैधानिक कृत्य से पांच परिवारों के बेघर होने जैसी बातें प्रकाष में आ रही है। विषेष रुप से ग्राम पंचायत कोपरा के मुण्डापारा में घटित घटना को सरकारी योजनाओं की पोल खोल देने वाली इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि इस दुर्भाग्यजनक घटना में पहले तो एक आदिवासी किसान रायसिंह नेताम पैरावट में लगी आग को बुझाने के चक्कर में बुरी तरह झुलस गया, जिसे एम्बुलेंस की मदद् से परिजनों ने फरसगांव अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराया, लेकिन 70 प्रतिषत जल चुके होने के कारण, रायपुर रिफर कर देने पर रायसिंह को श्री नारायन हाॅस्पिटल में भर्ती कराकर इलाज हेतु स्मार्ट कार्ड देने पर घायल के परिजनों को जानकारी दी गई कि स्मार्ट कार्ड में पर्याप्त राषि नहीं होने से वेलिड नहीं है। इस पर यहां वहां से उधार लेकर अपने परिवार के घायल मुखिया का इलाज कराने पहुंचे परिजनों के सामने एक विकट स्थिति उत्पन्न हो गई कि बडी राषि कहां से लाएं, तब उन्होंने अपने डेढ़ एकड खेती-बाडी को 25 हजार रुपए में गिरवी रखकर व कुछ अतिरिक्त राषि अपने रिष्तेदारों से उधार मांगकर वापस हाॅस्पिटल पहुंचे लेकिन लगभग कुल 46 हजार रुपए खर्च करने के बाद और अधिक धन की आवष्यकता पडने पर एवं पर्याप्त धन की व्यवस्था न होने पर अंततः अग्निदग्धा के परिजन अंतिम निर्णय लेते हुए घायल को वापस अपने घर ले आए, जहां अग्निदग्धा रायसिंह की मौत हो ही गई। और इस तरह हुई मौत को आग से जलने के कारण न मानकर गरीबी के कारण हुई इसलिए कहने को मजबुर होना पड रहा है कि राज्य व केंद्र की सरकारों द्वारा ऐसे ही गरीबों के लिए स्मार्ट कार्ड और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं को बनाकर गरीगजनों को राहत देने का प्रयास किया और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने लाखों रुपए खर्चकर बनाए गए बडे-बडे मंचों से चीख-चीखकर दावा किया कि हम जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ छोर के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा रहे हैं। जबकि ग्राम पंचायत कोपरा में घटित उक्त घटना स्वतः जमीनी हकीकत को बयां कर रहा है। ज्ञात हो कि मृतक रायसिंह नेताम पीडित परिवार का मुखिया था उसकी पत्नी पारो नेताम स्वयं बीमार है और उसे लगभग एक सप्ताह तक जिला अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराने के बावजुद उसकी बीमारी दुर नहीं हो सकी है। इस परिवार में तीन पुत्रियां हैं और एक पुत्र हैं, जिनमें से ऐसा कोई भी नहीं है जो घर के मुखिया के नहीं रहने पर परिवार में बचे सदस्यों का जीवनयापन करने में सक्षम हो। वह भी तब जब परिवार का डेढ़ एकड खेत-बाडी भी गिरवी रखना पड गया हो। उक्त घटना के कुछ गंभीर पहलु इस तरह हैं कि मृतक रायसिंह नेताम की मौत के बाद क्रियाकर्म हेतु पंचायत से दिया जाने वाला आर्थिक राहत राषि 2 हजार रुपए भी 11 मार्च तक नहीं दिया गया है, और न ही केषकाल विधायक संतराम नेताम या उनके किसी कार्यकर्ता ने गरीब परिवार की सुध लेने का प्रयास किया, ऐसा ही कुछ हाल जिला प्रषासन के अधिकारी-कर्मचारियों का है, जिनमें से भी किसी ने अभी तक गरीब और अनाथ हो चुके परिवार की सुध लेने का प्रयास नहीं किया है। कुल मिला कर कांग्रेस या भाजपा किसी की भी सरकार हो वोट बटोरने के लिए जनकल्याणकारी योजनाएं तो अनेक बनते हैं लेकिन उन योजनाओं का लाभ हितग्राहियों तक पहुंचता है या नहीं इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है। जिसका ही खामियाजा गरीबजनों को भुगतना पडता है और संभवतः तब तक भुगतना पडता रहेगा जब तक कि ईमानदारी से जनता की सुध लेने वाले जनप्रतिनिधि न चुने जाएं। अब देखना यह है कि कौन जनप्रतिनिधि और प्रषासन का कौन अधिकारी गरीब परिवार के अनाथ हो चुके बच्चों व विधवा को मदद् करने पहुंचता है, पहुंचता भी है या नहीं ?
सबका संदेस ब्यूरो, कोंडागांव 9425598008