स्पर्श हॉस्पिटल में ओआरएस सप्ताह प्रारंभ, सिखाया सही घोल बनाना

भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल के शिशु रोग विभाग ने आज ओआरएस सप्ताह का शुभारंभ किया। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए आयोजित इस कार्यक्रम में नरसिंग स्टाफ, रोगी एवं उनके परिजन शामिल हुए। शिशु संरक्षण माह के अंतर्गत डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जा रहा है। ओआरएस सप्ताह इसी की एक कड़ी है।
उल्लेखनीय है कि 5 साल से कम उम्र में अपने प्राण गंवाने वाले बच्चों में से 10 फीसद बच्चे डायरिया और डिहाइड्रेशन के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। स्पर्श के मेडिकल डायरेक्टर डॉ एपी सावंत ने बताया कि बाजार में दो अलग-अलग पाउच में ओआरएस पाउडर उपलब्ध है। इसमें से बड़े पाउच को एक लिटर पानी में घोला जाना है। इस घोल को डायरिया पीडि़त बच्चे को थोड़ी थोड़ी देर में देना है। घोल का उपयोग 24 घंटे तक किया जा सकता है। इसके बाद नया घोल तैयार करना चाहिए। इसी तरह छोटे पाउच को 200 एमएल पानी में घोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाउच और पानी की सही मात्रा का ध्यान रखना जरूरी है अन्यथा इसका लाभ नहीं मिलेगा।
शिशु रोग विशेषज्ञ एवं स्पर्श के निदेशक डॉ राजीव कौरा ने बताया कि ओआरएस का घोल शिशु की ऐसे समय में मदद करता है जब उसका शरीर निर्जलीकरण का शिकार हो रहा हो। ऐसा डायरिया (दस्त) या अधिक बुखार के कारण हो सकता है। यह एक जीवनरक्षक घोल है जिसका उपयोग करने की विधि की पूरी जानकारी होना जरूरी है।
इंडियन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के निर्देशन में आयोजित यह सप्ताह 23 जुलाई से देश भर में प्रारंभ हो रहा है। उल्लेखनीय है कि शिशु संरक्षण माह के तहत फिलहाल डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा चल रहा है। ओआरएस सप्ताह इस माह के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की अंतिम कड़ी है।