छत्तीसगढ़

पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है भारत की सनातन परंपरा-उमेश

 

*पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है भारत की सनातन परंपरा-उमेश

पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी दूषित हो रही है और निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है। भौतिक विकास के पीछे दौड़ रही दुनिया ने आज जरा ठहरकर सांस ली तो उसे अहसास हुआ कि चमक-धमक के फेर में क्या कीमत चुकाई जा रही है। आज ऐसा कोई देश नहीं है जो प्राकृतिक आपदाओं व पर्यावरण संकट पर मंथन नहीं कर रहा हो। भारत भी चिंतित है और इस चिंता को दूर करने वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान, परिचर्चा के साथ कई रचनात्मक कार्य अभियान के स्वरूप में कर रहा है। केंद्र व राज्य सरकार से लेकर जिला एवं ग्रामीण स्तर पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन मे देश के अनेकों गैर सरकारी संगठन, सामाजिक व धार्मिक संगठन भी जुटे हुए हैं।
पर्यावरण संरक्षण के इसी रेस्क्यू ऑपरेशन को विभिन्न अभियानों का रूप देकर दुर्ग मुख्यालय से लगे आदर्श ग्राम कोडिया के गायत्री परिवार ट्रस्ट के प्रमुख उमेश कुमार साहू जी ने गांव को हरा भरा बनाने के लिए वृहद पौधरोपण कर रहे है। वे कहते है कि भारत की सनातन परम्पराएं हमें हमेशा प्रकृति के संरक्षण का सन्देश देती है। हम प्रकृति के सभी रूपों को देवतुल्य मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं क्योकिं प्रकृति ही हमें प्राणवायु देती है, उपजाऊ मिट्टी देती है, पोषक तत्वों से भरा भोजन उपलब्ध कराती है, स्वच्छ जल प्रदान करती है और जीवन रक्षक औषधि भी निशुल्क प्रदान करती है। विवेकशील जीव होने के नाते प्रकृति की रक्षा करना उसे सहेजकर रखना हमारा मूल कर्तव्य बन जाता है।
उमेश साहू जी ने जानकारी देते हुए बताया कि वे गांव के पर्यावरण प्रेमी लतखोर निषाद एवं गांव के सक्रिय संगठन शौर्य युवा संगठन के साथ मिलकर पिछले कई वर्षों से अलग-अलग अभियान एवं कार्यक्रमों के माध्यम से पौधरोपण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे कई वर्षों से पौधरोपण कर रहे है लेकिन पिछले वर्ष हरेली में एक संकल्प लिया और पूर्ण जवाबदेही का साथ पौधरोपण किया। उन्होंने 108 पौधे को पेड़ बनाने का संकल्प लिया और उसमें सफल भी साबित हुए। उन्होंने अपने खेत के मेड़ो व अन्य स्थलों पर आम, कटहल, नीम, जामुन, इमली, मुनगा, नींबू, अनार, बेल, पीपल, बरगद जैसे फलदार व छायादार पौधों के साथ साथ कई औषधीय गुण वाले पौधों का ही रोपण किया जो अभी तक पूरी तरह स्वस्थ है और अच्छी बढ़वार भी प्राप्त कर चुके हैं। यह सभी पौधे अखिल विश्व गायत्री परिवार के निदेशन एवं शौर्य युवा संगठन के सहयोग से तरु पुत्र तरु मित्र अभियान के तहत व विभिन्न कार्यक्रम रक्षाबंधन, विवाह एवं जन्मदिन की वर्षगांठ जैसे कई अवसरों पर पौधरोपण किया गया था।
उमेश साहू जी ने बताया कि जब सम्पूर्ण देश मे लॉकडाउन चल रहा था तब वे प्रतिदिन सुबह 6 से 11-12 बजे तक पौधों के संरक्षण के लिए समय देते थे। गांव में बंदरों व आवारा मवेशियों के द्वारा पौधों को अधिक नुकसान पहुंचाया जाता है इसके लिए उन्होंने अनुपयोगी साड़ियों को ट्री गार्ड के ऊपर लपेटकर सुरक्षा के इंतेजाम किये इससे पौधे लू की मार से भी बच पाए और सभी पौधे सही सलामत बचे हुए हैं।
उमेश साहू एवं टीम ने इस वर्ष फिर से 108 पौधे तैयार करने का संकल्प लिया है। इसके लिए मानसून के पहले ही गड्डे व ट्री गार्ड तैयार किये जा चुके हैं साथ ही अभी तक लगभग 80 पौधे लगाए भी जा चुके हैं। इस बार पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड को कपड़े से ढंकने के लिए गांव में साड़ी दान कराया जा रहा है जिसमे गांव को कई महिलाएं आगे आकर अपने अनुपयोगी साड़ियों को दान कर रहे हैं। साथ ही पौधरोपण हेतु इच्छुक व्यक्ति या संगठन को ट्री गार्ड भी प्रदान कर रहे है।

 

 

 


उमेश साहू जी के नेतृत्व में चलाये जा रहे इस अभियान की नेहरू युवा केन्द्र डिवाईसी नितिन शर्मा, फलेंद्र पटेल, आदित्य भारद्वाज, गायत्री परिवार, शौर्य युवा संगठन, नेहरू युवा केन्द्र दुर्ग सहित कई सामाजिक संगठन एवं व्यक्तियों ने सराहना की है।

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