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वाहनों को एसेंबल कर निगम ने बचाए लाखों रुपए

घायल पशुओं के रेस्क्यू में आएंगे काम

भिलाई। निगम प्रशासन ने अनुपयोगी वाहन को एसेंबल बाडी के डिजाइन में परिवर्तन कर करीबन 21 लाख रुपए बचत की है। नगर पालिक निगम भिलाई के दो डंफर प्लेसर अनुपयोगी हो गया था। जिसे महापौर व भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव और निगम आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी ने वाहन शाखा प्रभारी को दोनों वाहन को उपयोगी बनाने के निर्देश दिए थे। महापौर के निर्देश के मुताबिक वाहन शाखा प्रभारी ने वाहन कंपनियों से संपर्क किया। वाहन बनाने वाले कंपनियों से चलित बायो टायलेट और घायल पशु को रेस्क्यु करने वाले वाहनों के बारे में पता लगाया। उन्हीं गाडिय़ों के डिजाइन के मुताबिक अनुपयोगी डंफर प्लेसर का एसेंबल करवाने का निर्णय लिया। भिलाई की एजेंसी से एसेंबल कर नया बना दिया। इस तरह से अनुपयोगी वाहन उपयोगी बन गया।

वाहनों को रवाना करने से पहले महापौर परिषद के वाहन शाखा के प्रभारी जोहन सिन्हा और पार्षद रश्मि सिंह ने पूजा की। इस मौके पर एमआईसी सदस्य लक्ष्मीपति राजू, नीरजपाल, सूर्यकांत सिन्हा, साकेत चंद्राकर, दिवाकर भारती, सुभद्रा सिंह, पार्षद तुलसी पटेल, वशिष्ठ नारायण मिश्रा, एल्डरमेन अरविंद राव सहित अन्य मौजूद रहे।

वाहन शाखा प्रभारी विष्णु चंद्राकर ने बताया कि कंपनी से न्यू वातानुकूलित बायो टायलेट खरीदते तो करीब 18.70 लाख रुपए खर्च करना पड़ता । पुराने डंफर प्लेसर को एसेंबल कराने पर यह वाहन लगभग 8 लाख 70 हजार रुपए में तैयार हो गया। इसी प्रकार डंफर प्लेसर के बाडी में परिवर्तन कर 500 किलोग्राम क्षमता की घायल पशु वाहन बनाया गया है। इस पर लगभग 8 लाख 90 हजार रुपए खर्च हुआ है। यदि इसी तरह के न्यू वाहन कंपनी से खरीदते तो यह करीब 19 लाख रुपए का पड़ता। एसेंबल कराने से करीब 11 लाख रुपए की बचत हो गई। इस तरह से निगम ने पुराने वाहनों को एसेंबल करवाकर लगभग 21 लाख रुपए की बचा लिया। निगम के दो डंफर प्लेसर अनुपयोगी हो गया था। 7-8 महीने से दोनों डंफर प्लेसर वाहन शाखा में खड़ा हुआ था। जिसे आयुक्त श्री रघुवंशी ने उपयोगी बनाने के निर्देश दिए थे।

पशुओं को रेस्क्यु करने में होगी सहुलियत

महापौर श्री यादव का कहना है कि सड़क दुर्घटना में घायल पशुओ को उठाने के लिए कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ता था! हाईड्रोलिक वाहन की सुविधा नहीं होने की वजह से घायल पशु को उठाने के लिए बैकहो लोडर का उपयोग करना पड़ता था। इससे मवेशी को खरोच या चोट लगने की आशंका बनी रहती थी। अब हाइड्रोलिक सिस्टम वाले वाहन से आसानी से घायल पशुओं को लिफ्ट बेल्ट के माध्यम से उठाकर वाहन में शिफ्ट किया जा सकता है। आसानी से नीचे उतारा भी जा सकता है। एक साथ दो मवेशी को अस्पताल पहुंचाया जा सकता है।

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