छत्तीसगढ़

स्वरोजगार ने बढाया कुलदीप का आत्म सम्मान, स्माॅल बिजनेस योजना में मिला था 2 लाख ऋण

18 jul, 2020/सबका संदेश

कोण्डागांव। बात अगर खेती किसानी की हो तो यह भी एक सच्चाई है, कि यह अनिश्चितता से भरा कार्य क्षेत्र है, जहां हर तरह के जोखिम है। कभी अनियमित वर्षा हो, कभी सिंचाई के साधनों की कमी, कभी कीटों का दुष्प्रभाव तो कभी फसलो की लागत न निकल पाने की दुश्चिंता। परम्परागत फसल लेने वाले छोटे मझौले किसनों के लिए यह कभी-कभी सिर्फ जीवन यापन करने का जरिया ही साबित होती है। जिनके पास न तो सिंचाई के आधुनिक साधन है, न ही उन्नत कृषि कर पाने की तकनीक ऐसी स्थिति में कृषि के अलावा आय के अन्य सरल विकल्प ढूंढने में ही समझदारी होती है।

ऐसे ही समझदारी का परिचय दिया कोण्डागांव जिले के माकड़ी विकासखण्ड अंतर्गत दूरस्थ ग्राम गुहाबोरंड के निवासी 35 वर्षीय कुलदीप नेताम (पिता मसिया राम) ने, लगभग साढ़े तीन एकड़ में धान की काश्तकारी करने वाले कुलदीप नेताम के परिवार में पत्नि के अलावा एक छोटा भाई एवं दो छोटे बच्चे हैं। धान की खेती करने से उनके पास इतनी तो आय हो ही जाती थी, जो सिर्फ गुजर-बसर तक ही सीमित रहती थी। परन्तु परिवार की बढ़ती जरूरतें एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति को देखते हुये उन्होने खेती के अलावा अन्य कुछ कार्य करने की भी ठानी। कुलदीप बताते है कि भले ही छोटे पैमाने पर ही सहीं वे खेती के अतिरिक्त अन्य स्वरोजगार के विषय में अक्सर सोचा करते थे। अतः वर्ष 2019 में उन्होने जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति कार्यालय से सम्पर्क कर स्माॅल बिजनेस योजना के तहत् ऋण हेतु आवेदन किया। जहां जिला स्तरीय चयन समिति के माध्यम से चयन कर उन्हें 2 लाख रूपये की ऋण राशि स्वीकृत की गयी। इसके परिणाम स्वरूप उन्होने गांव में ही एक किराना दुकान खोल लिया जहां रोजमर्रा की आवश्यकता के अनुरूप समस्त सामग्रियां उपलब्ध कराने की व्यवस्था की। और वर्तमान में इसी किराना दुकान की बदौलत उन्हे प्रतिमाह घर बैठे लगभग 8 हजार रूपये की अतिरिक्त आय हो रही है। इसके साथ ही वे घर के सदस्यों के साथ खेती के काम को भी बदस्तूर कर रहे हैं। इससे काफी हद तक उनकी आर्थिक स्थिति सुधर गई है। और इसी स्वरोजगार के कारण आज उनका गांव में सम्मान भी है।
कुलदीप का मानना है, कि समय के साथ अपने जीवन में बदलाव लाना आज प्रमुख जरूरत है। खेती किसानी के अलावा कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां हम अपनी कार्य क्षमता को बढ़ा कर अतिरिक्त आमदनी जुटाने का एक प्रयास कर सकते हैं। भले ही वह एक छोटा कदम क्यों न हो। कुलदीप ने बताया कि वे नियमित रूप से जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति कार्यालय में जाकर ऋण राशि भी अदा कर रहे हैं। और भविष्य में ऋण राशि चुक्ता होने के पश्चात् वह अपने किराना दुकान को और भी विस्तारित करेंगे। एक छोटे से दूरस्थ ग्राम में रहने वाले कुलदीप नेताम के इस प्रयास ने ‘‘जहां चाह वहां राह‘‘ की युक्ती को चरितार्थ किया है। निश्चित ही अगर व्यक्ति कुछ करने की ठान ले तो उसके जीवन में उन्नति के नये रास्ते खुल जाते है।

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राजीव गुप्ता

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