छत्तीसगढ़

उच्च अधिकारीयों की सरक्षण से मालखरौदा बीएमओ डॉ. कत्यायनी सिंह का मनमाना रवैया चरम सीमा पर है,नियम कानून से परे हटकर करती आ रही है कार्य

उच्च अधिकारीयों की सरक्षण से मालखरौदा बीएमओ डॉ. कत्यायनी सिंह का मनमाना रवैया चरम सीमा पर है,नियम कानून से परे हटकर करती आ रही है कार्य

मालखरौदा/ रिपोर्टर कान्हा तिवारी—
एक कहावत सबने सुनी है ” बंदर के हाथ जब उस्तरा लगता है तो वह उत्ता धूर्रा चलाता है ” यह कहावत मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बीएमओ डॉक्टर कात्यानी सिंह पर एकदम खरी उतरती है ।
डा.कात्यायनी को बहुत कम उम्र में बीएमओशिप जैसा जिम्मेदारी वाला पद मिला है जिनका वह कहीं-कहीं पर दुरुपयोग भी करती दिखाई देती है,अभी ताजा मामला 4 जुलाई का है 4 जुलाई 2020 को डॉक्टर संतोष पटेल सहायक चिकित्सा अधिकारी मालखरौदा जांजगीर से कोविड-19 की ड्यूटी करके लौटे 4 जुलाई दिन शनिवार को डॉक्टर संतोष पटेल जांजगीर से लौटकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अगले दिन 5 जुलाई को रविवार पड़ने की वजह से वह सामान्य अवकाश पर रहे जो भारत भर के सभी डॉक्टरों को सामान्य अवकाश के तौर पर मिलता है लेकिन यहां पर डॉक्टर कात्यानी सिह अनुभव की कमी का है या उनके अपरिपक्व उम्र की नादानी उन्होंने संतोष पटेल को कारण बताओ नोटिस जारी किया उन्होंने रविवार को अपनी उपस्थिति दर्ज क्यों नहीं की ,जबकि संतोष पटेल को किसी तरह के आपातकालीन स्थिति की सूचना नही मिली थी अतः वे रविवार को अवकाश पर अपने घर पर रहे इसके पूर्व भी डा. कात्यानी सिंह डॉक्टर संतोष पटेल के खिलाफ द्वेष मे या शायद बी एम ओ पद का प्रतिद्वंदी समझ कर लगातार उन पर कागजी हमला करती रही है । इसके पूर्व डॉ संतोष पटेल को उन्होंने पमगढ़ ट्रांसफर कराने की असफल कोशिश की ,साथ ही डॉक्टरों को मिलने वाला सरकारी आवास भी उनसे खाली कराने का प्रयास किया गया,इतना ही नहीं डा.कात्यायनी सिंह ने डा.संतोष पटेल के खिलाफ एस्मा एक्ट लगाने का भी प्रयास किया ।
सबसे बड़ी बात यह है कि मुख्य चिकित्सा विभाग जांजगीर इन सब बातों को नजरअंदाज कर रहा है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मालखरोदा में गड़बड़ियों का अंबार लगा हुआ है और लगातार अखबारों में कात्यानी सिंह के खिलाफ लिखा जा रहा है परंतु मुख्य चिकित्सा अधिकारी एसके बंजारे आज तक किसी प्रकार का कोई एक्शन नहीं लिया है यह महिला होने के नाते कात्यानी को छूट मिली हुई है या कोई चढ़ावा चढ़ता है कि उनके लाख लापरवाहियां भी छिप जातीे हैं ।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मालखरौदा में 21 सितंबर 2019 से 17 जनवरी 2020 तक कृष्णा सुदार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मालखरौदा के बीएमओ बनाए गए थे । इस बीच मुख्य चिकित्सा विभाग जांजगीर डा. एस के बंजारे ने उनसे विभागीय जानकारी मंगायी जिसमें यह पूछा गया था कि मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कितने नियमित डॉक्टर है और उनमें से किस-किस ने क्या-क्या प्रशिक्षण प्राप्त किया है , जिस पर बी एम ओ कृष्णा सिदार ने सही जानकारी छिपाई और गलत जानकारी अपने विभाग को भेजा ।डा .कृष्णा सिदार ने अपने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एस के बंजारे को जानकारी दी जिसमे लिखा था कि डा. संतोष पटेल तदर्थ नियुक्ति पर जबकि डा .पटेल नियमित नियुक्ति पर है वही खुद की नियुक्ति को नियमित बताया था जबकि खुद डा.कृष्णा सिदार तदर्थ पर है । इसी तरह एक जानकारी का कारण था जिसमें यह पूछा गया था कि किस डॉक्टर ने क्या प्रशिक्षण प्राप्त किया है । इस जानकारी को भी उन्होंने छिपाया और गलत जानकारी अपने विभाग को भेजी तत्कालीन बीएमओ डा.कृष्णा सिदार ने केवल 15 दिवसीय प्रशिक्षण मे भाग लिया था और डॉक्टर संतोष पटेल ने तीन प्रशिक्षण प्राप्त किए थे जिसे उन्होंने जानकारी ने छिपा दिया था इस लापरवाही की सूचना डॉक्टर संतोष पटेल के द्वारा अपने मुख्य चिकित्सा अधिकारी जांजगीर को दी थी परंतु इस पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.बंजारे के द्वारा किसी भी प्रकार का कोई भी एक्शन नहीं लिया गया ।
डा.कृष्णा सिदार को बाद में गर्भपात के लिए ₹10000 लेने की शिकायत पर बीएमओ पद छोड़ना पड़ा था ।अब सवाल यह है डॉ कृष्णा सिदार को जब ₹10000 गर्भपात के लिए लेने पर हटाया जा सकता है तो डॉक्टर कात्यायनी सिंह की ऐसे कई शिकायतें दर्ज कराई गई हैं तो उस पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा क्यों कार्यवाही नहीं की जा रही है । स्वास्थ्य विभाग का यह दोहरा रवैया समझ से परे है ।अभी हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत मालखरौदा आए हुए थे वहां पर जनप्रतिनिधियों के द्वारा डॉक्टर कात्यानी सिंह को हटाने के लिए ज्ञापन सौपे गए हैं । डाक्टर कात्यायनी सिंह के प्रकरण में जनप्रतिनिधियों के द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा इस केस की गंभीरता को खुद ही बयां करता है अब देखना यह है कि इस पर स्वास्थ्य विभाग और शासन क्या कार्यवाही करता है ।

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