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भिलाई दुर्ग समेत पूरे छत्तीसगढ़़ में पुलिस मुख्यालय से विधिवत पसारा लाइसेंस प्राप्त किए बिना ही निजी सिक्युरिटी गार्ड एजेंसियों का संचालन धड़ल्ले से हो रही है

भिलाई। भिलाई दुर्ग समेत पूरे छत्तीसगढ़़ में पुलिस मुख्यालय से विधिवत पसारा लाइसेंस प्राप्त किए बिना ही निजी सिक्युरिटी गार्ड एजेंसियों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। इन इजेसियों के द्वारा श्रम कानून का भी कोई पालन नही किया जा रहा है। सिक्युरिटी गार्ड के रूप में एजेसियों के माध्यम से काम करने वाले गार्डों को नियमानुसार सुविधाएं और मेहनताना देने में भी आनाकानी की जा रही है।

छत्तीसगढ़ सिक्युरिटी गार्ड केयर टेकर कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महासचिव एच.एस.मिश्रा ने यह बाते जारी बयान में कहा है। उन्होंने बताया कि सिक्युरिटी गार्ड एजेंसी का संचालन करने के लिए पुलिस मुख्यालय से पसारा लाइसेंस लेना अनिवार्य है। इसके अलावा लेबर लाइसेंस, ईएसआई कोड, भविष्य निधि कोड, टे्रड लाइसेंस आदि सिक्युरिटी एजेंसी चलाने के लिए नियमों के तहत जरूरी है। इसी तरह प्रतिदिन 8 घंटे की डयूटी साप्ताहिक अवकाश, न्यूनतम वेतन, मिलने वाले वेतन की पर्ची, भविष्य निधि कटौती, ईएसआई कार्ड व यूएएन नंबर , ज्वाइनिंग लेटर और परिचय पत्र की सुविधा प्रत्येक सिक्युरिटी गार्ड के मिलनी चाहिए। लेकिन छत्तीसगढ़ में संचालित इक्का दुक्का को छोड़ ज्यादातर सिक्युरिटी गार्ड एजेंसियों के पास न तो पुलिस मुख्यालय से जारी पसारा लाइसेंस और न ही वे श्रम कानून का पालन कर रहे है। इसके चलते काम करने वाले सिक्युरिटी गार्ड का जमकर शोषण हो रहा है। उन्होंने बताया कि नियमानुसार सप्ताह में 48 घंटे काम लेने का प्रावधान है। इसके तहत प्रत्येक गार्ड को प्रतिदिन 8 घंटे काम तथा सप्ताह में 1 दिन छुट्टी मिलनी चाहिए। 8 घंटे से अधिक काम लेने की स्थिति में कर्मचारी की सहमति आवश्यक है और जितने घंटे वह काम करेगा उसका दुगुना ओव्हर टाइम भुगतान उसे मिलेगा। लेकिन कई एजेसियां 8 घंटे की जगह 12 घंटे तक काम ले रही है। साप्ताहिक अवकाश के लाभ से भी सिक्युरिटी गार्ड को वंचित रखा जा रहा है। महिने भर 30 अथवा 31 दिन प्रतिदिन 12 घंटे की ड्यूटी करने पर 20 हजार रूपये से भी अधिक वेतन मिलनी चाहिए लेकिन इसके विपरीत एजेसियों द्वारा 6 से 8 हजार रूपये मासिक वेतन पर सिक्युरिटी गार्ड से काम लिया जा रहा है। दो चार एजेसियां ही है जो न्यूनतम वेतन दे रहे है। लेकिन वे भी साप्ताहिक अवकाश का ओव्हर टाइम नही दे रहे है। श्री मिश्रा ने बताया कि प्रदेश भर में कार्यरत हजारों सिक्युरिटी गार्ड उनके यूनियन के सदस्य है और उनसे प्राप्त शिकायत के आधार पर उन्होंने कुछ एजेसियों से बात की। इस दौरान उनका कहना है कि सिक्युरिटी गार्ड की सेवा लेने वाले संस्थानों से ही उन्हें न्यूनतम वेतन नही मिलता है। इसलिए उन्होंने कहा कि मुख्य न्योक्ता होने के नाते सिक्युरिटी गार्ड की सेवा लेने वाले संस्थानों को न्यूनतम वेतन दिए जाने की पहल करनी चाहिए। एजेसियां और न्यौक्ता अगर गार्डों के हित को नजरअंदाज करेगी तो यूनियन आंदोलन का रास्ता अपनाने से हिचकेगी नही। इसके साथ ही एजेंसी व नियौक्ता (संस्थानों) के विरूद्ध भी कानूनी कार्यवाही की जायेगी। श्री मिश्रा ने आगे बताया कि कोई भी संस्थान या कारखाना अगर सिक्युरिटी एजेंसियों को न्यूनतम वेतन से कम दर पर गार्ड नियोजित कराता है तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही की जायेगी। सिक्युरिटी एजेसियों की मनमानी और उनके अधीन कार्यरत कर्मचारियों के शोषण को लेकर पुलिस अधीक्षक दुर्ग को पत्र लिखकर जांच की मांग रखी है। तथा मिश्रा ने कहा है कि किसी भी गार्ड या गनमैन को न्यूनतम वेतन, ओव्हर टाईम डबल रेट, परिचय पत्र, वेतन पर्ची, मंहगाई भत्ता, ज्वानिंग लेटर, और समय से वेतन नही मिलने पर हमारी यूनियन से संपर्क करें। उनकी समस्या का समाधान त्वरित किया जायेगा।

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