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साधु के वेश में डाकू हुए पदस्थ, बिल्ली को मिली दूध की रखवाली

साधु के वेश में डाकू हुए पदस्थ, बिल्ली को मिली दूध की रखवाली

 

डोंगरगढ़_ हाल ही में धर्मनगरी डोंगरगढ़ नगर पालिका परिषद में पदस्थ हुए मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने आते ही कुछ ऐसे कार्य किए जिन्हें देखकर वह कहावत अनायास ही याद आ जाती है कि नया नया साधु चिमटा ज्यादा बजाता है कुछ ऐसा ही कार्य सी एम् ओ हेमशंकर देशलहरा ने किया डोंगरगढ़ में पदस्थ होते ही स्वम को ईमानदार अफसर दिखाने का ढोंग किया लेकिन समय बीतने के साथ-साथ साधु के वेश में छुपे डाकू का असली चेहरा सामने आने लगा और सूत्र बताते हैं कि जेब गरम करके विभाग के प्रभारियों की फेरबदल चालू कर दी फिर अपने मन मुताबिक चहेते ठेकेदारों से निर्माण कार्य करवाने लगे जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि शासन ने बिल्ली को दूध की रखवाली सौप दी है अब दूध की रखवाली हो सके इसके तो कोई आसार नजर नही आते हा लेकिन पतीले के चट हो जाने की पूरी उम्मीद है। जिसका प्रमाण हम आपको नीचे दे रहे हैं।

सीएमओ के परिजन कर चुके हैं लगभग पांच करोड़ का घोटाला_ आपको बता दें कि सीएम्ओ देशलहरा का निवास गुण्डरदेही में है जहां पर चैनगंज में इनकी पत्नी चमेली देशलहरा व बेटे प्रवीण देशलहरा के द्वारा राईस मिल का संचालन किया जाता है लेकिन संचालन करते हुए इनके द्वारा 4 करोड़ 67 लाख 81 हजार 397 रुपए के चांवल की अफरा तफरी की गई। धान मिलिंग घोटाले में इन दोनों पर चार करोड़ 67 लाख 81 हजार 397 रुपए की गड़बड़ी का आरोप है। इन दोनों की अविनाश राइस मिल व शंकर राइस मिल चैनगंज गुंडरदेही में है। जिला पुलिस प्रशासन से कार्रवाई के आदेश मिलने के बाद गुंडरदेही पुलिस चूंकि उस दौरान देशलहरा कांकेर में पदस्थ थे इसलिए कांकेर स्थित निवास गई। कांकेर पुलिस के सहयोग से गुंडरदेही पुलिस ने घर में दबिश दी लेकिन दोनों आरोपी नहीं मिले। इसी दौरान सीएमओ देशलहरा भी फरार हो गए थे जिसके चलते इन्हें निलंबित कर दिया गया था। राजनीतिक सरक्षण के चलते इन्हें फिलहाल बहाल तो कर दिया गया है लेकिन निलंबन के विषय में पृथक से निर्णय लिया जायेगा जो अभी नहीं लिया गया है।

नवंबर में उजागर हुआ-13 नवंबर 2014 को गड़बड़ी पकड़ में आई थी। आरोपियों ने चार करोड़ 67 लाख 81 हजार 397 रुपए के चावल की अफरा तफरी की थी। सभी रिपोर्ट सही पाए जाने पर प्रशासनिक अधिकारियों ने तीन साल के लिए मिलिंग करने पर रोक लगा दी गई थी। मिलर्स चमेली देशलहरा व प्रवीण देशलहरा पर धोखाधड़ी का जुर्म दर्ज किया गया था
दोषी पाए जाने के कारण राईस मिल को सील कर दिया गया था और तीन साल के प्रतिबंध कर दिया गया था।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जांच रिपोर्ट के आधार पर इन दोनों राइस मिलों के द्वारा क्षमता के अनुरूप कस्टम मिलिंग चावल जमा करने में गड़बड़ी करने कलेक्टर नरेन्द्र शुक्ल ने आदेश जारी कर कस्टम मिलिंग कार्य के लिए तीन वर्ष के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। प्रतिबंधित राइस मिल गुंडरदेही विकासखण्ड के ग्राम चैनगंज स्थित मेसर्स अविनाश व शंकर राइस मिल को किसी भी कृषि उपज मंडी तथा ब्यौहारी से धान खरीदी बिक्री, चावल प्रसंस्करण कर पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया गया था। उक्त राइस मिल को किसी अन्य व्यक्ति, संस्थाओं को लीज एवं किराये पर लेकर संचालन प्रतिबंधित लगा दिया गया था।

 


जिला प्रशासन के दबाव के बाद गुंडरदेरी पुलिस सक्रिय तो हुई पर दोनों मिलर्स के स्थायी निवास कांकेर में छापा मारने के बाद दोनों फरार मिले थे लेकिन बाद में ये दोनों पकड़ में आ गए और इन्हें तीन साल की सजा भी सुनाई गई थी जिसके बाद ये दोनों तीन साल की सजा काट कर आ चुके हैं।


खरीफ विपणन वर्ष 2013-14 में समर्थन मूल्य पर खरीदी किए गए धान के संबंध में बालोद जिले के दो डिफाल्टर राइस मिलरों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराया गया था। जांच के दौरान अनुबंध के आधार पर जिले के गुंडरदेही स्थित दो राइस मिल अविनाश व शंकर राइस मिल चैनगंज में चार करोड़ 27 हजार 246 रुपए का न तो चावल मिला और न ही धान। इसी प्रकार शंकर राइस मिल चैन गंज में जांच के दौरान 67 लाख 54 हजार 151 रुपए का न ही धान मिला और न ही चावल। जिसके चलते संचालक क्रमश: चमेली देशलहरा एवं प्रवीण देशलहरा पिता हेमशंकर देशलहरा के विरुद्ध गुंडरदेही थाना में भारतीय दण्ड विधान की धारा 406, 420 के तहत एफआईआर दर्ज कराया गया था। कलेक्टर व डीएमओ ने उक्त राइस मिलरों द्वारा शासन के साथ धान मिलिंग के संबंध में किए गए अनुबंध के उल्लंघन एवं समय पर धान मिलिंग नहीं करने तथा शासकीय धान के अमानत में खयानत करने के कारण उपरोक्त एफआईआर की कार्रवाई की थी।

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