भारतीय मछुआरों की हत्या: इतालवी नौसैनिक केस में केरल के CM ने PM मोदी को लिखा पत्र | nation – News in Hindi
इतालवी नौसैनिक मामला: केरल के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (CM Pinarayi Vijayan) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) को एक पत्र लिख कर कहा, ‘यह बेहद स्तब्ध करने वाला है कि हमारे नागरिकों के खिलाफ किए गए ऐसे जघन्य अपराध को हमारे देश में न्याय के दायरे में नहीं लाया जा रहा है.’
पत्र में कहा गया कि इस मामले को शुरुआत से और समुद्री कानून के लिये अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण (आईटीएलओएस) में कार्रवाई के दौरान यकीनन बेहद संवेदनशीलता और सतर्कता के साथ देखे जाने की जरूरत है क्योंकि इसमें दो निर्दोष भारतीयों की जान गई है. गौरतलब है कि हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत ने गुरुवार को एनरिका लेक्सी मामले में भारतीय अधिकारियों की कार्रवाई को सही ठहराया. साथ ही, कहा कि भारत इस मामले में मुआवजा पाने का हकदार है लेकिन नौसैनिकों को आधिकारिक छूट प्राप्त होने के कारण उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चला सकता है.
मछुआरे की पत्नी ने कहा- उनके जीवन की रक्षा करें
इतालवी मरीन के हाथों मारे गए दो मछुआरों में से एक ही पत्नी ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय अधिकारण के फैसले का शुक्रवार को स्वागत करते हुए कहा है कि ऐसी घटना दोबारा ना हो यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. वैलेंटाइन जलस्टिन की पत्नी डोरा ने इतने साल तक यह मुकदमा लड़ते रहने के लिए केन्द्र सरकार को भी धन्यवाद दिया.गौरतलब है कि केरल के तट पर तेल के टैंकर ‘एंरिका लेक्सी’ पर सवाल दो इतालवी मरीन्स ने 15 फरवरी, 2012 को कोल्लम निवासी जलस्टिन और कन्याकुमारी के कोलाचेल निवासी अजेश बिंकी पर गोलियां चलायीं, जिससे दोनों की मौत हो गई. हेग स्थित मध्यस्थता अधिकरण की स्थाई अदालत ने गुरुवार को ‘एंरिका लेक्सी’ मामले में भारतीय प्रशासन की कार्रवाई को जायज ठहराया जिसमें दोनों मरीन्स पर 2012 में दो भारतीय मछुआरों की हत्या करने का आरोप है और इस मामले में नयी दिल्ली को अनुग्रह/मुआवजा पाने का अधिकार है.
‘मरीन्स के खिलाफ नहीं चल सकता मुकदमा’
लेकिन अधिकरण ने यह भी कहा कि मरीन्स के खिलाफ मुकदमा नहीं चल सकता है क्योंकि उन्हें आधिकारिक छूट प्राप्त है. डोरा ने कहा कि वह फैसले से खुश हैं, भले ही वह आठ साल बाद आया है. उन्होंने कहा कि समुद्र में जा रहे मछुआरों के जीवन की रक्षा करने और ऐसी घटना की पुरावृत्ति ना हो यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.
डोरा ने बताया कि 2012 में घटना के वक्त जलस्टिन अपने घर में अकेला कमाने वाला था. उस दौरान मुझे अपने बेटों डेरेक और जीन के भरण-पोषण में बहुत दिक्कतें आयीं. डेरेक तब 18 साल का था और जीन चौथी में पढ़ता था. डोरा को अपने बुजुर्ग माता-पिता की भी देखभाल करनी थी. डोरा का कहना है कि सौभाग्य से राज्य सरकार ने उसे मत्स्य विभाग में नौकरी दे दी और वह अपने बच्चों का लालन-पालन कर पायी.
First published: July 4, 2020, 11:37 PM IST