युद्ध के समय Air Force फाइटर प्लेन उतारने के लिए एक्सप्रेसवे-हाइवे का करती है इस्तेमाल, जानिए वजह Air Force uses expressway-highway to land fighter planes during war, know the reason

नई दिल्ली. पहले यमुना एक्सप्रेस-वे (Yamuna Expressway), आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे (Agra-Lucknow Expressway) फिर बाड़मेर हाइवे और अब पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे इंडियन एयर फोर्स (Indian Air Force) के फाइटर प्लेन सुखोई (Sukhoi) के साथ ही भारी-भरकम ट्रांसपोर्ट प्लेन हरक्यूलिस के उतरने के लिए तैयार हो चुका है. आज पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इसका उद्घाटन करेंगे. युद्ध की स्ट्रेटेजी को देखते हुए मौजूदा वक्त में रोड रनवे का महत्व बढ़ गया है. किसी भी हाइवे और एक्सप्रेस-वे के एक हिस्से को रनवे की तरह से तैयार करने को ही रोड रनवे कहा जाता है. लेकिन सवाल ये उठता है कि बड़े-बड़े एयर फोर्स स्टेशन होने के बाद भी हाइवे और एक्सप्रेसवे पर लैंडिंग कराने की जरूरत क्यों पड़ती है. क्यों देशभर में रोड रनवे (Road Runway) का जाल बिछाने की योजनाओं पर काम चल रहा है. इस सवाल का जवाब जानने के लिए न्यूज18 हिन्दी ने बात की रिटायर्ड एयर फोर्स अफसर विंग कमांडर एके सिंह से.
एयर अटैक कमजोर करने को हवाई पट्टी पर होता है हमला
विंग कमांडर रिटायर्ड अनूप कुमार सिंह बताते हैं, “जब दुश्मन हमला करता है तो उसका पहना निशाना हमारे एयर फोर्स स्टेशन होते हैं. दुश्मन चाहता है कि वो हमारी हवाई पट्टियों को बम और मिसाइल से उड़ा दे. एयर फोर्स स्टेशन पर खड़े फाइटर एयर क्राफ्ट को उड़ा दे.
जिससे कि हमारे फाइटर उड़ान न भर पाएं और हमारा एयर अटैक कमजोर हो जाए. हवाई पट्टी खराब होने के बाद हमारे ट्रांसपोर्ट प्लेन भी न उड़ पाएं और हम अपनी थल सेना को किसी भी तरह की मदद न पहुंचा पाएं.”
इस तरह काम आते हें एक्सप्रेसवे
अनूप चौहान का यह भी कहना है, “जब इस तरह का कोई हमला होता है तो हम अपने प्लेन को सुराक्षित करने के लिए उन्हें एक्सप्रेस वे पर बनी रनवे पर पहुंचा देते हैं. उसके बाद उसी रोड रनवे से दुश्मन पर हवाई हमला करने के लिए फाइटर प्लेन को ईंधन और हथियार दिए जाते हैं
.वहीं ट्रांसपोर्ट प्लेन रसद, हथियार और सैनिकों को लेकर रोड रनवे से ही उड़ान भरता है. युद्ध के वक्त किसी भी एयर फोर्स स्टेशन की सुरक्षा और अहम हो जाती है. एक तो दुश्मन की निगाह से उसे बचाना होता है और दूसरा वहां से उड़ान भरकर दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब भी देना होता है.”