छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

नृत्य और संगीत की शिक्षा साधना के रूप में विकसित करने में करना चाहिए सहयोग-पूर्व कुलपति सिंह कन्या महाविद्यालय में ऑनलाईन नृत्यांजलि वैल्यू एडेड कोर्स के सत्र का हुआ समापन

दुर्ग। शासकीय डॉ0 वा0 वा0 पाटणकर कन्या महाविद्यालय, दुर्ग के नृत्य विभाग द्वारा गत 27 जनवरी से आयोजित ऑनलाईन नृत्यांजलि वैल्यू एडेड कोर्स के सत्र का गुरूवार को समापन हुआ है। इस समापन समारोह की मुख्य अतिथि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ0 मांडवी सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा नृत्य को सीखना और जानना यह मेरी सबसे बड़ी योग्यता है। हम संगीत और नृत्य को सीखें और करें, क्योंकि नृत्य बहुत गहरा और बारीक है। जिसे जानना और समझना जरूरी है। नृत्य आध्यात्म से जुड़ा है जिसमें रस और आनंद है।

उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व बनता है कि हमें नृत्य और संगीत की शिक्षा को साधना के रूप में विकसित करने में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को आव्हान करते हुए कहा कि नृत्य जीवन का एक अंग है। यह सम्मान की चीज है। इसके लिए सतत् साधना की आवश्यकता होती है। जितना समर्पण होगा, उतना ही अधिक हम नृत्य को जान सकेंगे।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि इस नृत्यांजलि सर्टिफिकेट कोर्स में छात्राओं में बड़ा उत्साह था। विशेष तौर पर इसे उन छात्राओं के लिये इसका आयोजन किया गया, जो दूसरे संकाय में अध्ययनरत हैं, किन्तु महाविद्यालय में कला संकाय के अंतर्गत नृत्य विषय लेकर पढ़ती छात्राओं को देखकर भरतनाट्यम सीखने की इच्छा रखती हैं। इन छात्राओं को भरतनाट्यम का आरंभिक ज्ञान कराया गया।

इस सत्र में 70 छात्राओं ने प्रवेश लिया।
विभागाध्यक्ष डॉ0 ऋचा ठाकुर ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस कोर्स को प्रायोगिक एवं सैद्धांतिक दो हिस्सों में बांटा गया था। इन नवोत्साही छाात्राओं को नृत्य के प्रायोगिक ज्ञान सहित नृत्य से संबंधित आवश्यक विषयों की जानकारी दी गई, जिसके लिए प्रदेश के विभिन्न नृत्य गुरूओं और कलाकारों का व्याख्यान आयोजित किया गया।

इन विशेषज्ञों में डॉ0 जी0 रतीश बाबू निर्देशक-नृत्यति कलात्रम, भिलाई ने प्रथम दिन उपस्थित होकर नृत्य के महत्व को बताया और आरंभिक ज्ञान का परिचय देते हुए नृत्यांजलि की शुरूवात की। डॉ0 शेख मेदिनी होम्बल, सहायक प्राध्यापक- भरतनाट्यम, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ ने कैरियर इन डांस पर अपना व्यक्तव्य दिया और छात्राओं को नृत्य के क्षेत्र में कैरियर बनाने की टीप्स दिये।

उन्होंने बताया कि नृत्य कलाकार के अतिरिक्त वे मीडिया, कोरियोग्राफर, नृत्य, वेशभूषा, मेकअप, पत्रकारिता, शोध आदि कार्य कर सकती है। प्रसिद्ध मनोविज्ञानी चिकित्सक डॉ0 शमा हमदानी ने नृत्य को मानसिक, मनोवैज्ञानिक लाभ पर व्याख्यान देते हुए कहा कि नृत्य से शरीर में हैप्पी हार्मोंस विकसित होते हैं, सकारात्मकता आती है।

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