भिलाई इस्पात संयंत्र से भारतीय रेलवे को आर-260 ग्रेड रेल्स की पहली खेप हुई रवाना

BHILAI:-भिलाई इस्पात संयंत्र ने एक और मील का पत्थर हासिल किया। कीर्तिमानों के लिए जाना जाने वाला सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र आज एक और उपलब्धि प्राप्त कर प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के आव्हान को मूर्तरूप देने में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। बीएसपी ने अपने अत्याधुनिक उत्पादन इकाई यूनिवर्सल रेल मिल में भारतीय रेलवे के लिए उच्च क्षमता वाले आर-260 ग्रेड रेल्स की सफलतापूर्वक रोलिंग की। आज इस वेनेडियम युक्त हाई गे्रड रेल्स की पहली खेप को सेल के निदेशक (प्रोजेक्ट्स एवं बिजनेस प्लानिंग) एवं बीएसपी के सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता ने झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के मेम्बर इंजीनियरिंग विश्वेश चैबे, इस्पात मंत्रालय की एडिशनल सेक्रेटरी श्रीमती रसिका चैबे, सेल के चेयरमैन अनिल कुमार चौधरी, इस्पात मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी पुनीत कंसल, साउथ ईस्टर्न सेन्ट्रल रेलवे के महाप्रबंधक गौतम बैनर्जी, पिंरसिपल चीफ इंजीनियर सुधीर कुमार गुप्ता, डीआरएम-रायपुर, श्याम सुन्दर गुप्ता, विशेष रूप से डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से समारोह से जुड़े। इसके साथ ही सेल के निदेशक प्रोजेक्ट्स एवं बिजनेस प्लानिंग एवं बीएसपी के सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता, चीफ इंजीनियर रेल प्रोक्योरमेंट प्रदीप गुप्ता तथा राइट्स के महाप्रबंधक ए के शर्मा समारोह में उपस्थित हुए।
भिलाई इस्पात संयंत्र के यूनिवर्सल रेल मिल में आयोजित आर-260 ग्रेड रेल रैक के फ्लैग ऑफ समारोह के प्रारंभ में सेल के निदेशक (प्रोजेक्ट्स एवं बिजनेस प्लानिंग) एवं बीएसपी के सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता ने स्वागत उद्बोधन दिया। अपने उद्बोधन में दासगुप्ता ने कहा कि आज का यह एक ऐतिहासिक क्षण है, जहाँ हम उच्च यील्ड व क्षमता वाले ऐसी रेल्स का निर्माण किया है जिसका स्पेसिफिकेशन यूरोपियन देशों के स्पेसिफिकेशन से कहीं ज्यादा कठोर है। मैं इस उपलब्धि के लिए रेलवे बोर्ड के सम्माननीय सदस्यों, आरडीएसओ के अधिकारियों, इस्पात मंत्रालय के अधिकारियों तथा सेल टीम के सभी मेम्बर्स को बधाई देता हूँ। जिन्होंने इस नवीनतम गे्रड को विकसित करने में पिछले दो महीने में जीतोड़ मेहनत की है। पहला रैक मध्यप्रदेश में स्थित खन्ना बंजारी को भेजा जा रहा है।
महारत्न कम्पनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड के चेयरमैन अनिल कुमार चैधरी ने इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए भिलाई बिरादरी को अपनी बधाई सम्पे्रषित करते हुए कहा कि सेल और रेल का अटूट संबंध है और समय के साथ यह रिश्ता और प्रगाढ़ हुआ है। भारतीय रेलवे के शत-प्रतिशत रेलपातों की जरूरतों को सेल-बीएसपी ने पूरा किया है।
उन्होंने अपने उद्बोधन में आरडीएसओ के योगदान का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि सेल व आरडीएसओ के संयुक्त प्रयासों से हम निरंतर आगे बढ़ते रहेंगे।
इस क्रम में इस समारोह में दिल्ली से डिजिटली जुड़े रेलवे बोर्ड के मेम्बर इंजीनियरिंग विश्वेश चौबे ने आर-260 ग्रेड रेल्स के आपूर्ति प्रारंभ करने के लिए सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र को अपनी शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह मेरा बेस्ट रिटायमेंट गिफ्ट है। उन्होंने भारतीय रेलवे के भविष्य की जरूरतों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज रेलवे को अपनी गति बढ़ाने के लिए ऐसेमेट्रिक रेल्स की अधिक से अधिक आपूर्ति की जरूरत है।
आर-260 ग्रेड रेल्स के बेहद कड़े तकनीकी मापदंड
भारतीय रेलवे की रिसर्च, डिजाइन एंड स्टैंडड्र्स ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) द्वारा आर-260 ग्रेड रेल्स के लिए बेहद कड़े तकनीकी मापदंड का ड्राफ्ट जारी किया। भारतीय रेलवे द्वारा निर्धारित किए गए मापदंड, इसी ग्रेड के लिए यूरोपियन नार्मस् ईएन-13674 से कहीं अधिक कड़े व कई मायनों में अलग हैं। आर-260 ग्रेड रेल्स का निर्माण वेनेडियम युक्त एलॉय स्टील से किया जाता है जिससे इसे उच्च क्षमता प्रदान की जा सके। आर-260 ग्रेड रेल्स 550 एमपीए का न्यूनतम यील्ड हासिल होता है। इस प्रकार इस ग्रेड के रेल्स से उच्चतम यील्ड क्षमता प्राप्त होती है। इसी प्रकार आर-260 ग्रेड रेल्स के निर्माण हेतु अत्यधिक शुद्ध इस्पात की जरूरत होती है जिसमें कुल ऑक्सीजन की एक निर्धारित मात्रा होना आवश्यक है।
यूरोपियन नॉम्र्स से भी बेहतर
इन कड़े मापदंडों को प्राप्त करने हेतु सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने स्टील मेकिंग से लेकर रेल्स की रोलिंग प्रक्रिया तक प्रत्येक स्तर पर प्रचालनिक दक्षता दिखाई है। इस क्रम में इस ग्रेड के रेल्स का उत्पादन करना अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। भारतीय रेलवे द्वारा निर्धारित नॉर्मस् के तहत इस विशेष स्टील में हाइड्रोजन की मात्रा 1.6 पीपीएम तक की सीमा में रखना आवश्यक है। जबकि यूरोपियन नॉम्र्स में हाइड्रोजन की मात्रा 2.5 पीपीएम तक रखा जा सकता है। अत: इस कड़े टेक्नीकल स्पेसिफिकेशन को प्राप्त करने हेतु स्टील मेकिंग से लेकर रोलिंग प्रक्रिया तक बेहद कड़े प्रचालनिक अनुशासन का पालन किया जाना आवश्यक है। इस ग्रेड में वेनेडियम एलॉय स्टील की आवश्यकता होती है जिससे इस ग्रेड को उच्च क्षमता प्रदान की जा सके। रेलवे की इस जरूरत को ध्यान में रखते हुए सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने वेनेडियम एलॉय स्टील बनाने के साथ-साथ इसके चुनौतीपूर्ण रोलिंग को भी बखूबी अंजाम दिया है।
चुनौतीपूर्ण रोलिंग को दिया अंजाम
विदित हो कि 7 जून, 2020 को वेनेडियम एलॉय स्टील के हीट का उत्पादन प्रारंभ किया और जिसके तहत एसएमएस-3 में इस नये ग्रेड के कुल 14 हीट में 2430 टन वेनेडियम एलॉय स्टील का उत्पादन किया गया। इस स्टील से बने ब्लूम्स का उपयोग 28 जून, 2020 को बीएसपी के अत्याधुनिक यूनिवर्सल रेल मिल द्वारा आर-260 रेल्स की रोलिंग में किया गया। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र सदैव ही अपने ग्राहकों को उनके जरूरतों के अनुरूप श्रेष्ठतम उत्पाद उपलब्ध कराने में अग्रणी रहा है। यूआरएम में आर-260 रेल्स की रोलिंग व डिस्पैच इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। सेल-बीएसपी द्वारा उत्पादित उच्च क्षमता व गुणवत्ता वाले इस उत्पाद से भारतीय रेलवे और सेल के संबंधों को एक नई ऊँंचाई प्राप्त होगी। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा उत्पादित उच्च क्षमता व गुणवत्ता वाले इस इस्पात से भारतीय रेलवे और सेल के संबंधों को भी एक नई मजबूती मिलेगी। भारतीय रेलवे को श्रेष्ठ व उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले रेल्स की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र, सदैव ही कृतसंकल्पित रहा है। आज का यह फ्लैग ऑफ समारोह इस संकल्प का प्रत्यक्ष प्रमाण है।