आरक्षण के जनक कहे जाने वाले राजा छत्रपति शाहू जी महाराज का जन्मदिन मनाया गया

कोंडागाँव। जिला मुख्यालय के कोर्ट चौक में बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर जी की प्रतिमा के सामने 26 जून की संध्या दिप प्रज्वलित माल्यर्पण कर आरक्षण के जनक कहे जाने वाले कुर्मी समाज के राजा छत्रपति शाहू जी महाराज का जन्मदिन मनाया गया। उसके बाद सभी ने राजा छत्रपति शाहूजी महाराज के जीवनी एवं उनके कार्यों पर प्रकाश डाला।
शाहू जी महाराज का कहना था कि “शिक्षा से ही हमारा उद्धार संभव है, ऐसी मेरी मान्यता है।” जनतंत्र के आधार स्तंभ छत्रपति राजर्षी शाहूजी महाराज ने भरा और यह कारवाँ विश्वरत्न डॉ.अंबेडकर को सौंपा। शाहूजी का जन्म 26 जून 1874 को माननीय नारायण दिनकर राव घाटेकर (अप्पा साहब घाटके) के यहाँ कोल्हापुर में हुआ शाहूजी का कार्यकाल 1892 से 1922 तक रहा। जो मूलनिवासी बहुजन समाज के उत्थान का स्वर्णिम काल रहा। कुछ उल्लेखनीय कार्य इस प्रकार से हैं-
1901 में कोल्हापुर स्टेट की जनगणना कराकर अछूतों की दयनीय दशा को सार्वजनिक कराया,मंत्री पद एवं नौकरियों में पिछड़ा वर्ग की भागीदारी न के बराबर थी, जिसे आरक्षण कानून के माध्यम से 50% कराया और कड़ाई से लागू करवाया, नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान, अस्पृश्यता निवारण कानून एवं व्यवहारिक कार्य, घोषित अपराधिक जातियों की प्रतिदिन पुलिस थानों में हाजिरी देने की प्रथा को बंद कराया, 1920 में बंधुआ मजदूरी की समाप्ति का कानून, सत्यशोधक समाज (1897 से) के अध्ययन से राष्ट्ररत्न ज्योतिबा फुले के इस निष्कर्ष तक पहुंचे की जाति व्यवस्था, वर्ण व्यवस्था मानव निर्मित है व पिछड़े वर्ग को अपना अलग संगठन बनाना चाहिए। जिसमें उच्च वर्णों का प्रवेश निषेध हो क्योंकि उच्च वर्णों का नेतृत्व पिछड़े वर्ग के लिए हितकारी नहीं है। विधवा विवाह कानून 1917, महिला दूर्व्यवहार समाप्त करने जातिवाद, अंधविश्वास, भ्रम, भय, चमत्कार, पुनर्जन्म आदि सामाजिक बुराइयों के चंगुल में मूलनिवासी बहुजन समाज को फंसा रखकर उसका शोषण करना अनवरत जारी है। वास्तव में स्थिति भयंकर है। फुले-आंबेडकरी विचारधारा पर आधारित संगठन ही वास्तव में हमारी समस्याओं का हल है।
कार्यक्रम में आर के मेश्राम, तिलक पांडे, पंचू सागर, संतोष सावरकर, मुकेश मारकंडे, महेंद्र सागर, ओम प्रकाश नाग, सिद्धार्थ महाजन, शकील सिद्दीकी, कुमार वर्मा, चमन वर्मा, छन्नूलाल वर्मा, मंगूऊराम वर्मा, सोनू वर्मा, संदीप वासनीकर, लोकेश पात्र, भोयर सर देवानंद चौरे, कुमार वर्मा, घनश्याम वर्मा, वीरेंद्र यादव, केदारनाथ वर्मा, पुष्कर सिंह मंडावी, दीनू सेन, खिरेंदर यादव, राजेश दीवान, राजू वर्मा उपस्थित रहे।