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केबल संचालकों का मामला पहुंचा थाने में संचालक भाटिया ने करोड़ों रूपये गबन का लगाया आरोप पुलिस ने की धारा 420, 409,120बी,और 34 के तहत मामला दर्ज

BHILAI:-हैथवे भास्कर सी.बी.एन. के संचालकों में से एक संचालक गुरमीत सिंह भाटिया ने हैथवे भास्कर सी.बी.एन. मल्टीनेट प्रा.लि के डायरेक्टर अभिषेक अग्रवाल, अशोक अग्रवाल सहित दुलाल बेनर्जी, मयुर गोविंदभाई कनानी,सुधीर सरीन, सुनील सेठी, राजेश कुमार मित्तल, मनीश कुमार

जैन एवं उनके सहयोगियों पर आपसी सांठ-गांठ कर कंपनी की राशि को हड़पने के लिए फर्जी दस्तावेजो की कूटरचना कर धोखाधड़ी एवं अमानत में खयानत करने और कंपनी में राशि गबन करने एवं उसको गुमराह कर आज तक कंपनी में कमाई का लांभांश नही दिये जाने के मामले को लेकर सुपेला थाना में मामला दर्ज कराया है। सुपेला पुलिस ने गुरमीत सिंह भाटिया की शिकायत पर 420, 409,120बी,और 34 के तहत मामला दर्ज किया है।

श्री भाटिया ने पुलिस को बताया कि उक्त कंपनी का मुख्य व्यवसाय केबल नेटवर्किंग का व्यवसाय है। उक्त कंपनी वर्श 2010 से केबल नेटवर्किंग का व्यवसाय कर रही है। उक्त कंपनी का व्यवसाय मुख्य रूप से अभिशेक अग्रवाल एवं अषोक अग्रवाल के द्वारा किया जाता है। उक्त कंपनी में मेरे संचालक नियुक्त होने के पश्चात् मेरे द्वारा समय-समय पर अभिशेक अग्रवाल एवं अषोक अग्रवाल से मुझे लाभांष दिये जाने एवं कंपनी के हिसाब-किताब दिये जाने का आग्रह किया जाता था। तब उपरोक्त व्यक्तियों द्वारा मुझसे हमेषा यह कहा जाता था कि, कंपनी के व्यवसाय का विस्तार अभी व्यापक रूप से किया जाना है। आप हम पर विष्वास रखिए कुछ समय पश्चात आपको लाभांश की राशि प्राप्त हो जायेगी। लेकिन आज तक नही मिला। इस मामले को लेकर मेरे द्वारा जब कपंनी के मुख्य कार्यालय मुंबई में शिकायत की गई तो अभिषेक अग्रवाल व अन्य संचालकों द्वारा कह गया कि आगे अपनी कार्यवाही को मत बढाओं जल्द ही आपको लाभांष की राशि दी जायेगी लेकिन कई महिने बाद भी आज तक मुझे लांभांष की राशि नही दी गई। और कंपनी का पैसा संचालक  द्वारा कंपनी के खाते में ना जमाकर अपने निजी खाते में जमाकर कई कई  करोड़ रूपये का गबन किये है।  और मेरे द्वारा  लगातार मांगे जाने के बाद भी हमेशा ही कंपनी के हिसाब-किताब दिये जाने में भी टाल-मटोल किया जाता था। इसी बीच वर्श 2016 में भारत सरकार द्वारा केबल सर्विस को डिजिटल करने के लिए डिजिटल बाक्सेस लगाने का निर्देष जारी करने पर हमारी कंपनी द्वारा डिजिटल कनेक्षन दिया जाना एवं प्रारंभ से मौजूद कनेक्षन को डिजिटल किया जाना प्रारंभ किया गया। जिस बात की जानकारी मुझे अभिशेक अग्रवाल द्वारा ही दी गई थी। इसके पश्चात् मैंने अभिशेक अग्रवाल, अषोक अग्रवाल एवं कंपनी के अन्य संचालकगणो से जो कि अभिशेक अग्रवाल के पूर्व परिचित थे, को भी मुझे लाभांष की राशि दिये जाने का आग्रह किया। जिस पर उक्त व्यक्तियो द्वारा मुझे यह कहकर टाल-मटोल किया गया कि, अभी डिजिटल कनेक्षन का कार्य प्रारंभ हुआ हैं। डिजिटल कनेशन का कार्य पूर्ण होते ही आपको लाभांष की राषि का भुगतान कर दिया जायेगा। जिस पर मैंने उपरोक्त व्यक्तियो की बातो पर विष्वास कर लिया। किन्तु इसके पश्चात् भी उपरोक्त व्यक्तियो द्वारा मुझे लाभांष की राशि का भुगतान नही किया गया। इस बीच मुझे कभी भी संचालक की हैसियत से अभिशेक अग्रवाल एवं अन्य संचालकगणो द्वारा कंपनी की बैठको में नही बुलवाया गया।

इसके बाद मुझे संदेह होने पर मैंने कंपनी के हिसाब-किताब के संबंध में जानकारी लेने

का प्रयास किया। जिस पर मुझे इस बात की जानकारी प्राप्त हुई कि, कंपनी के हिसाब-किताब में अभिशेक अग्रवाल, अषोक अग्रवाल, दुलाल बेनर्जी, मयुर गोविंदभाई कनानी, सुधीर सरीन, सुनील सेठी, राजेष कुमार मित्तल एवं मनीश कुमार जैन द्वारा आपसी सांठ-गांठ कर इंदौर (म.प्र.) से अज्ञात स्त्रोत से अवैध सेटअप बाक्स क्रय कर एवं उक्त सेटअप बाक्स को कंपनी के व्यवसाय में उपयोग किया गया हैं। जिस संबंध में उपरोक्त व्यक्तियो द्वारा अवैध सेटअप बाक्स को कंपनी के व्यवसाय में उपयोग किये जाने के संबंध में फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजो का उपयोग किया गया हैं।

इस प्रकार उपरोक्त व्यक्तियो द्वारा आपसी सांठ-गांठ कर मेरी जानकारी के बिना अवैध सेटअप बाक्सो को कंपनी के व्यवसाय में दस्तावेजो की कूटरचना कर खपाकर हैथवे भास्कर सी.बी.एन. मल्टीनेट प्रा.लि कंपनी को लगभग 2,19,00,000/-रु. (अक्षरी दो करोड़ उन्नीस लाख रुपये) की आर्थिक क्षति कारित की गई है। जिस संबंध में मुझे भी कंपनी के संचालक एवं शेयर होल्डर होने के आधार पर नुकसान हुआ है। उक्त तथ्य की पुश्टि लोकल केबल ऑपरेटर से एवं केबल सर्विस लेने वाले ग्राहको से भी की जा सकती है। इसी प्रकार मुझे इस बात की भी जानकारी प्राप्त हुई कि, उपरोक्त व्यक्तियों द्वारा

केबल नेटवर्किंग व्यवसाय से प्राप्त होने वाली राषि में से लगभग 10,00,00,000/-रु. (अक्षरी दस करोड़ रुपये) की राषि एवं कंपनी को कैरिज फीस के रूप में प्राप्त होने वाली राषि जो कि लगभग 8,47,00,000/-रु. (अक्षरी आठ करोड़ सैंतालीस लाख रुपये) थी जो कि नगद में प्राप्त हुई थी, को कंपनी में जमा ना कर उक्त रकम का गबन कर आपस में अवैध रूप से लाभ प्राप्त करने के लिए बांट लिया गया। जिससे कि, कंपनी को लगभग 18,60,00,000/-रु. (अक्षरी अठारह लाख साठ लाख रुपये) का नुकसान हुआ। इसी प्रकार उपरोक्त व्यक्तियो द्वारा जहां मुझे एक ओर नियमित रूप से लाभांष दिये जाने का आष्वासन दिया जाता था। वही अन्य ओर उपरोक्त व्यक्तियो द्वारा कंपनी हिसाब किताब के दस्तावेजो में कूटरचना कर कंपनी के अंतिम खाते में जबरन नुकसान दिखाकर कंपनी को अनुमानित रूप से 36,00,00,000/-रु. (अक्षरी छत्तीस करोड़ रुपये) का नुकसान पहुंचाया गया था।

इसी प्रकार अभिशेक अग्रवाल जो कि कंपनी के व्यवसाय का मुख्य रूप से संचालन करते थे, के द्वारा बिना किसी अनुमोदन के कंपनी की राशियों को अपनी निजी मद में उपयोग किया जाकर कंपनी की राषि का गबन कर कंपनी को गंभीर आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है। उक्त संबंध में मुझे यह भी जानकारी मिली हैं कि, अभिशेक अग्रवाल एवं अषोक अग्रवाल द्वारा कंपनी के राषि में किये गये गबन में कंपनी के संचालकगण दुलाल बेनर्जी, मयुर गोविंदभाई कनानी, सुधीर सरीन, सुनील सेठी, राजेष कुमार मित्तल एवं मनीश कुमार जैन भी उक्त शडय़ंत्र में पूर्ण रूप से सम्मिलित है।

इस प्रकार मुझे यह भी जानकारी प्राप्त हुई हैं कि, उपरोक्त व्यक्तियो द्वारा आपसी सांठ-गांठ करते हुए विगत कई वर्शो से केबल व्यवसाय संचालन करने के संबंध में आवष्यक सामग्रियों को वास्तविक रूप में क्रय ना करते हुए फर्जी बिलो के माध्यम से स्काई विजन, स्काई ट्रेक, गुरूदेव इलेक्ट्रानिक एवं गुरूदेव ट्रेडर्स नामक संस्थाओं से कंपनी में क्रय करना दिखाकर कंपनी की राषि को प्राप्त कर एवं उक्त राषि को आपस में बांटकर कंपनी की राषि का गंभीर हेरफेर किया गया है। जिससे कि कंपनी को लगभग 5,00,00,000/-रु. (अक्षरी पांच करोड़ रुपये) का आर्थिक नुकसान हुआ हैं। जिसकी पुश्टि कंपनी के अभिलेखो से की जा सकती हैं। उक्त अभिलेख वर्तमान में अभिशेक अग्रवाल के कब्जे में है। उक्त संबंध में स्काई विजन, स्काई ट्रेक, गुरूदेव इलेक्ट्रानिक एवं गुरूदेव ट्रेडर्स के संचालकगण भी कंपनी को उपरोक्त व्यक्तियो द्वारा फर्जी बिलो के माध्यम से कंपनी की रकम में की गई हेराफेरी में पूर्ण रूप से संलिप्त है।

इसी प्रकार उपरोक्त व्यक्तियो द्वारा कंपनी के व्यवसाय से डायरेक्ट कनेक्षन से प्राप्त होने वाली राषि को विगत कई वर्शो से प्राप्त कर कंपनी में उक्त रकम को जमा ना कर एवं कंपनी के हिसाब-किताब में हेराफेरी कर उक्त रकम को ना दर्षा कर कंपनी की उक्त राषि का स्वयं उपयोग कर गबन किया गया हैं। इसी प्रकार उपरोक्त व्यक्तियो द्वारा समय-समय पर लोकल केबल ऑपरेटर से प्राप्त होने वाली राषियों का कंपनी से रसीद जारी ना कर उक्त राषि को नियमो के विरूद्ध प्राप्त कर राषि का स्वयं उपयोग कर कंपनी को गंभीर आर्थिक क्षति पहुंचाई गई हैं। जिससे कि, कंपनी को करोड़ो रुपये का नुकसान हुआ है। उक्त तथ्य की पुश्टि लोकल केबल ऑपरेटर से कथन लेकर भी की जा सकती है।

इसी प्रकार अभिशेक अग्रवाल द्वारा मुझे आज तक जानकारी दिये बिना सेंट्रल बैंक की सिविल लाईन एवं षंकर नगर, रायपुर छ.ग. षाखाओं में खाता खुलवाकर कंपनी की राषि को विगत कई समय से प्राप्त कर स्वयं उपयोग किया जा रहा है। जिसमें उसके पिता अषोक अग्रवाल भी पूर्ण रूप से संलिप्त है । इस तरह उपरोक्त व्यक्तियो द्वारा कंपनी की राषि में गंभीर हेराफेरी कर कंपनी को गंभीर आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है। इसी प्रकार उपरोक्त व्यक्तियों द्वारा कंपनी को डायरेक्ट कनेक्षन से प्राप्त हुई राषि जो कि लगभग 9,60,00,000/-रु. (अक्षरी नौं करोड़ साठ लाख रुपये) थी, को कंपनी के खाते में जमा ना कर उक्त राषि का गबन कर एवं आपस में राषि को बांटकर कंपनी के साथ धोखाधड़ी किये है।

इसी प्रकार मुझे यह भी जानकारी प्राप्त हुई हैं कि, हैथवे भास्कर सी.बी.एन. मल्टीनेट प्रा.लि के डायरेक्टर अभिशेक अग्रवाल, अषोक अग्रवाल सहित अन्य संचालकों द्वारा कंपनी के साथ धोखाधड़ी करने एवं कंपनी की रकम को गबन करने के अपराधिक शडय़ंत्र में कंपनी के कर्मचारी अनिल पाण्डेय, पवन सिंग, मनजीत सिंग सग्गू एवं योगराज द्वारा भी सहयोग किया गया है। जिनके बैंक खाते के माध्यम से अभिशेक अग्रवाल एवं अन्य संचालकगण द्वारा कंपनी के रकम का हेरफेर किया गया है। कंपनी के संचालक अभिषेक अग्रवाल सहित अन्य संचालक हड़पने के उद्देष्य से फर्जी दस्तावेजो की कूटरचना कर कंपनी को गंभीर आर्थिक क्षति पहुंचाकर धोखाधड़ी एवं अमानत में खयानत किये जाने का आपराधिक कृत्य किया गया है। मुझे इस बात की भी पूर्ण आषंका हैं कि, चूकि कंपनी के समस्त दस्तावेज उपरोक्त व्यक्तियो के कब्जे में हैं। इस कारण उपरोक्त व्यक्तियों द्वारा कंपनी के दस्तावेजो में किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ की जा सकती है।

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