छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

बीएसपी देश के आत्मनिर्भरता के मूलमंत्र को साकार करने हेतु कृत संकल्पित

BHILAI:-भिलाई इस्पात संयंत्र लगभग छ: दशकों से भी अधिक समय से गुणवत्तापूर्ण स्टील का उत्पादन करके इस्पात की जरूरी आपूर्ति को सुनिश्चित करते हुए देश व विदेशों के प्रत्येक छोटे-बड़े आधारभूत संरचनाओं में इस्पात की उपयोगिता को प्रतिबद्धता के साथ सिद्ध कर रहा है। वर्तमान में प्रधानमंत्री के आव्हान पर बीएसपी ने आत्मनिर्भर बनने के अपने प्रयासों को अमलीजामा पहनाने के लिए कृतसंकल्पित है। इस हेतु विभिन्न क्षेत्रों को चिन्हित भी कर लिया गया है। इसी के साथ वर्तमान में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मूलमंत्र को अंगीकार करते हुए इस दिशा में सक्रियता के साथ अपनी भागीदारी का निर्वहन भी कर रहा है।

आत्मनिर्भरता का मूलमंत्र है कि देश के लघु व दीर्घ तथा निजी व सार्वजनिक औद्योगिक कम्पनियों द्वारा विभिन्न प्रकार की अधोसंरचनाओं एवं जनोपयोगी सामग्रियों का उत्पादन करके विश्व के अन्य देशों में निर्यात न कर देश में ही उपयोग व खपत करना है। जिससे भारत को इन सामग्रियों को विदेशों से आयात करने की निर्भरता से निजात मिल सके। इसके मद्देनजर भिलाई इस्पात संयंत्र ने आत्मनिर्भरता के कई बिन्दु तलाशे हैं। जिसे समय के साथ तराशा जायेगा। देश आत्मनिर्भर बनने की दिशा में औद्योगिक प्रगति के साथ तेजी से अग्रसर हो रहा है। इसी तारतम्य में सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने भी देशहित की भावनाओं का सम्मान करते हुए आयातित सामग्रियों मुख्यत: रिफ्रेक्ट्री पर निर्भरता को समाप्त करने हेतु प्रतिबद्ध है और इसी परिप्रेक्ष्य में बीएसपी द्वारा समुचित पहल किए जा रहे हैं। जिसके तहत वर्तमान टेंडरों एवं आर्डरों की समाप्ति के पश्चात् आयात को न्यूनतम करना है। इसके तहत संयंत्र के विभागों में उपयोग किए जाने वाले सामग्रियों हेतु वैश्विक (ग्लोबल) टेंडर समाप्त कर स्वदेशी औद्योगिक संस्थानों/फर्मों को ही टेंडर एवं आर्डर प्रदान करना है। इस आयातित सामग्री के अन्तर्गत कई प्रमुख क्रियाकलापों को चिन्हित किया गया है। जिसे आयात पर निर्भरता को कम करते हुए स्वदेशी कम्पनियों से क्रय करने की योजना बनाई जा रही है। जिससे लगभग रुपये 155 करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत संभावित है।

संयंत्र के स्टील मेल्टिंग शॉप-2 एवं 3 के आरएच डिगैसर रिफ्रेक्ट्री का आयात जो कि वर्तमान में 70 प्रतिशत, एसएमएस-2 एवं 3 की पर्जिंग रिफ्रेक्ट्री का आयात जो कि वर्तमान में 50 प्रतिशत, एसएमएस-3 की स्टील लैडल रिफ्रेक्ट्री का आयात जो कि वर्तमान में 50 प्रतिशत तथा एसएमएस-3 के कन्वर्टर रिफ्रेक्ट्री सेट का आयात जो कि वर्तमान में 100 प्रतिशत है, इन उपकरणों का आयात प्रतिस्थापन की रणनीति बनाई जा रही है। जिसके तहत इन्हें स्वदेशी कम्पनियों से क्रय करने की योजना बनाई जा रही है। इस प्रकार स्वदेशी कम्पनियों से निर्मित उपकरणों/सामग्रियों की खरीद से सेल-बीएसपी को लगभग रुपये 155 करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत संभावित है।

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