ऑनलाईन पढ़ाई, वर्चुवल क्लासेस और फीस को लेकर मचे हंगामा के लिए सरकार है जिम्मेदार सरकार निर्णय लें कि स्कूलों में ऑनलाईन क्लासेस में क्या पढ़ाये और कितना फीस लिया जाए
DURG:-कोरोना काल में सीबीएसई, एनसीईआरटी और सीजी बोर्ड, एससीईआरटी के द्वारा जो पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है, वह परिस्थितियों के अनुसार होगा, जिसे सीबीएसई और सीजी बोर्ड के द्वारा स्वयं प्रमाणित, अधिसूचित किया जाएगा और उसी पाठ्यक्रम के अुनसार परीक्षाएं भी लिया जाएगा तो फिर सीबीएसई स्कूलों और सीजी बोर्ड के स्कूलों के द्वारा नर्सरी से लेकर कक्षा बारहवीं के बच्चों को जो कोर्स कराया जा रहा है उसका कोई औचित्य नहीं है। इतना ही नही राज्य सरकार के द्वारा प्राईवेट स्कूलों में फीस निर्धारित करने के लिए कमेटी का गठन किया गया है और यही कमेटी इसी शिक्षा सत्र से जो फीस निर्धारित करेगी, वही पालकों को देना अनिवार्य है तो फिर प्राईवेट स्कूलों के द्वारा जो फीस की मांग किया जा रहा है उसका कोई औचित्य नहीं है। स्कूलों को आरंभ करने के संबंध में सरकार द्वारा अब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है। स्कूलों को अपनी तैयारी और जिम्मेदारी, सरकार को दिखाना होगा इससे पहले कि बच्चें स्कूलों में पढऩे आए।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष के क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि ऑनलाईन पढ़ाई और वर्चुवल क्लासेस और फीस को लेकर जो हंगामा मचा हुआ है, इसके लिए पूर्णता: सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि राज्य और केन्द्र सरकार को यह निर्णय लेना है कि स्कूलों में ऑनलाईन या वर्चुवल क्लासेस में क्या पढ़ाया जाए और कितना फीस लिया जाए।
श्री पॉल का कहना है कि प्राईवेट स्कूलों के द्वारा 15 जून और 15 जुलाई से सरकारी स्कूलों में जिस प्रकार से नर्सरी से लेकर कक्षा बारहवीं तक के बच्चों के लिए ऑनलाईन या वर्चुवल क्लासेस आरंभ किया गया है, या हो रहा है, उसकी औचित्य को भी प्रमाणित करना पड़ेगा और इसके लिए बच्चों से फीस कितना लिया जाए यही भी निर्धारित करना अनिवार्य होगा। पालकों की समस्या हो या प्राईवेट स्कूलों की समस्या इसका ठोस रास्ता सरकार को ही निकलना होगा।