झीरम की घटना एक राजनीतिक षड़यंत्र-कांग्रेस पत्रकारवार्ता में पेट्रोल, डीजल के लगातार वृद्धि को लेकर केन्द्र पर साधा निशाना
झीरम की घटना एक राजनीतिक षड़यंत्र-कांग्रेस
पत्रकारवार्ता में पेट्रोल, डीजल के लगातार वृद्धि को लेकर केन्द्र पर साधा निशाना
कांकेर। 25 मई 2013 को बस्तर संभाग में कंाग्रेस के परिवर्तन यात्रा कार्यक्रम के समापन पश्चात सुकमा से लौट रहे कंाग्रेस नेताओं पर झीरम घाट में हुए कथित नक्सली हमले में 32 लोगों की शहादत हुई थी तत्कालिन भाजपा सरकार के विफलता तथा सुरक्षा में बड़ी चूक के चलते सुनियोजित ढ़ंग से राजनीतिक षड़यंत्र पूर्वक इस घटना को अंजाम दिया गया जिससे छत्तीसगढ़ कंाग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह से समाप्त हो गया था। उक्त बाते जिला कंाग्रेस कमेटी द्धारा आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कांकेर विधायक शिशुपाल शोरी, जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष श्रीमती सुभद्रा सलाम, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती सरोज जितेन्द्र सिंह ठाकुर, प्रदेश कांग्रेस सचिव दिलीप खटवानी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष हेमनारायण गजबल्ला ने संयुक्त रूप से कही।
कंाग्रेस नेताओं ने कहा कि झीरम में हुए नरसंहार के पीछे हुए षड़यंत्र की जांच की मांग लगातार तत्कालिन भाजपा सरकार से की जाती रही, लेकिन इस बिन्दु पर सरकार जांच कराने से बचती रही, भाजपा सरकार ने इस घटना की जांच को गंभीरता से नहीं लिया जिसके चलते आज 7 वर्ष उपरांत भी घटना के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है । अब कंाग्रेस की सरकार इस बिन्दु पर नये सिरे से जंाच कराना चाह रही है तो भाजपा के पेट में दर्द शुरू क्यों हो रहा है। एन.आई.ए.ने षड़यंत्र के बिन्दु पर कोई जांच नहीं की जिससे जांच की दिशा बदल गयी और जब कांग्रेस सरकार इस मामले की एस.आई.टी. गठित कर जांच करने को तैयार है तो एन.आई.ए. प्रकरण के दस्तावेज देने में आनाकानी कर रही है। जिस प्रकार प्रदेश में लगातार भाजपा नेताओं के माओवादियों के साथ गहरे संबंध उजागर होने के प्रमाण मिल रहे है उसे देखकर यह अंदेशा होता है कि झीरम घाट की घटना में राजनीतिक षडयंत्र के चलते प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की हत्या हुई है? भाजपा शासन काल में भाजपा नेताओं का माओवादियों के साथ सीधा सम्पर्क रहा जिसके कारण इस घटना की सूक्ष्मता से जांच नहीं करायी गई । वर्ष 2013 में चुनाव के पहले कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान कथित नक्सली घटना में एन.आई.ए. ने पहले घटना के आरोप मेें नक्सली नेता गणपति और रमन्ना को अभियुक्त बनाया था लेकिन पूरक चार्जशीट दाखिल करते समय उनको अभियुक्त सूूची से हटा दिया गया है। कांग्रेस की मांग पर वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने मामले की जांच सी.बी.आई. के माध्यम से कराये जाने की बात मजबूर होकर स्वीकार किया किन्तु केन्द्र की भाजपा सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया क्योंकि छ.ग. में चुनाव नजदीक था इसलिए भाजपा हमेशा ही झीरम घाट घटना की जांच से बचती रही। वर्तमान कांग्रेस सरकार झीरम में हुए कथित नक्सली संहार के पीछे षड़यंत्र में शामिल लोगों के चेहरे बेनकाब करने एस.आई.टी. के माध्यम से जांच चाह रही है लेकिन भाजपा इसपे अड़ंगेबाजी कर रही है। प्रेसवार्ता के दौरान पेट्रोलियम पदार्थ के बेतहाशा वृद्धि पर केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि खरीफ का फसल जोरों पर है किसान खेती कार्य में लगे हुए है कृृषि कार्य में डीजल की उपयोगिता एक महत्वपूर्ण घटक है कोरोना काल में किसानों का हाल बेहाल है पेट्रोलियम पदार्थों के खपत में भी कमी आई है और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेलों की कीमतों में लगातार घटी हुई है उसके बावजूद भी हमारे देश में रोज बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल की कीमतों से जनता परेशान है केन्द्र सरकार का पेट्रोलियम पदार्थ के मूल्यों में किसी भी प्रकार के नियंत्रण नहीं रहा जिसके चलते पिछले 15 दिनों में पेट्रोल एवं डीजल के मूल्यों में बेहताशा वृद्धि हुई हैै इसका प्रमुख कारण केन्द्र सरकार का इस संबंध में नीति निर्धारण का नहीं होना है जबकि कांग्रेस के नेताओं ने केन्द्र सरकार के समक्ष पेट्रोलियम पदार्थ को जीएसटी के दायरे में लाकर करो में एकरूपता लाने का सुझाव भी दिया है ताकि सभी प्रदेशों में एक निश्चित मूल्य पर ही पेट्रोल डीजल मिल सके और जनता को अनावश्यक रूप से महंगे दामों पर खरीदने विवश ना होना पड़े लेकिन केन्द्र सरकार की मंशा जनता को राहत पहुंचाने की नहीं है। एक प्रश्न के जवाब में कांग्रेस नेताओं ने कहा कि देश में सुरक्षा के सवाल पर भी प्रश्न उठने लगा है नेपाल जैसे देश अब आंख दिखाने लगे है केन्द्र सरकार पूरी तरह से हर मोर्चे में विफल रही है जिसका प्रमुख कारण मोदी सरकार का कमजोर नेतृत्व को दर्शाता है ।
इस प्रेसवार्ता के दौरान प्रमुख रूप से पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ठाकुर, मकबूल खान, सुनील गोस्वामी, मनोज जैन, गफ्फार मेमन, तरेन्द्र भण्डारी, नीरा साहू, रोशन आरा, प्यार सिंह मण्डावी, सोमेश सोनी, याशीन कराणी, हेमंत बघेल, शदाब खान, योगेश राजपूत, अजय रेणु, अजय तिवारी, चमन साहू, यास्मीन खान, जितेन्द्र वै़द्य, सोमेश सोनी, दीपक शोरी सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे