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लॉकडाउन में 18 रुपये लीटर बढ़ा डीजल का दाम, इस तरह कैसे आगे बढ़ेगी खेती-किसानी?, side effects of Diesel price hike in agriculture sector fuel rate increased 18 rupees per liter in lockdown-msp-modi-government-dlop | business – News in Hindi

नई दिल्ली. देश में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के दाम में 6 जून से चल रहा इजाफा लगातार 20वें दिन भी जारी रहा. कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा ने आकलन किया है कि कृषि बहुल प्रदेश पंजाब में डीजल का दाम बढ़ने से किसानों (Farmers) पर 1100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ चुका है. 6 से 23 जून तक 17 दिन की बढ़ोत्तरी पर कृषि लागत 1600 रुपये प्रति एकड़ बढ़ने का अनुमान है. इसी तरह आप खुद अन्य प्रदेशों में भी डीजल के दाम (Diesel Rate) में वृद्धि से कृषि लागत बढ़ने का अनुमान लगा सकते हैं.

लॉकडाउन में करीब 18 रुपये बढ़ा डीजल का दाम

अपने देश में 24 मार्च को लॉकडाउन (Lockdown) हुआ था. इसके दो दिन बाद 26 मार्च को दिल्ली में डीजल का रेट 62.29 रुपये प्रति लीटर था. जबकि आज 26 जून को यहां पर इसका रेट 80.19 रुपए हो गया है. यानी तीन माहीने में 17 रुपये 90 पैसे की वृद्धि हुई है.

यह खरीफ की मुख्य फसल धान का सीजन है. जिसका ज्यादातर काम डीजल पर निर्भर है. धान की गड़ाई के लिए ट्रैक्टर के जरिए रोटावेटर से लेवा करने से लेकर बाद में उसमें पानी चलाने तक का काम डीजल से मशीन चलाकर होना है. अकेले डीजल की वजह से ही इस साल इनपुट कॉस्ट कितनी बढ़ जाएगी, आईए इसे सरकारी बाबुओं की भाषा से अलग आम लोगों के अंदाज में समझते हैं.

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डीजल-पेट्रोल के दाम में लगातार 20वें दिन भी इजाफा हुआ है

-यूपी के गोरखपुर जिले में पिछले खरीफ सीजन के दौरान रोटावेटर से लेवा करने का खर्च प्रति एकड़ 1320 रुपये था. इस साल यानी 2020 में यह बढ़कर 1980 रुपये प्रति एकड़ हो गया है.

-डीजल इंजन पंपिंग सेट से पानी चलाने का रेट पिछले साल 150 रुपये प्रति घंटा था, जो अब बढ़कर 220 रुपये हो गया है. इसकी बड़ी वजह डीजल का बढ़ता दाम है.

एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर साकेत कुशवाहा कहते हैं डीजल के रेट में वृद्धि से कृषि पर पिछले साल भर के असर की बात करें तो इस साल औसतन 30 फीसदी लागत बढ़ जाएगी. क्योंकि इसका असर सिर्फ सिंचाई पर ही नहीं बल्कि खादों के दाम पर भी पड़ने वाला है. उधर, कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा का कहना है कि सरकार को पहले घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP-Minimum Support Price) को रिवाइज करना चाहिए.

दूसरी ओर, किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह ने कहा है कि डीजल का दाम बढ़ने की सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है. धान और गन्ना की सिंचाई करना पहले से काफी महंगा हो गया है. जबकि इन दोनों फसलों को अधिक पानी की जरूरत होती है. सरकार को कृषि कार्य में इस्तेमाल होने वाले डीजल का दाम घटाकर 50 रुपये लीटर करना चाहिए. वरना खेती करना और मुश्किल होता जाएगा.

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यूपी में दो साल से नहीं बढ़ा है गन्ने का रेट (File Photo)

केंद्र सरकार ने एमएसपी कितना बढ़ाया

-धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2019-20 में 1815 रुपये प्रति क्विंटल था. जिसे 2020-21 में बढ़ाकर 1868 रुपये किया गया है. इसका मतलब ये है कि खरीफ की मुख्य फसल का दाम सरकार ने एक साल में सिर्फ 53 पैसे प्रति किलो की दर से बढ़ाया है. सवाल यही उठ रहा है कि जब तीन माह में करीब 18 रुपये लीटर डीजल का रेट बढ़ जाएगा तो धान जैसी ज्यादा पानी वाली फसल में 53 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि से क्या होगा.

-मक्के का एमएसपी 2019-20 में 1760 रुपये प्रति क्विंटल था. जिसे 2020-21 में बढ़ाकर 1850 रुपये किया गया है. यानी 90 पैसे प्रति किलो. जब लागत इतनी बढ़ जाएगी तो दाम में 90 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि पर किसान को क्या हासिल होगा. ऊपर से बिहार और एमपी जैसे राज्यों में तो किसान 1100 रुपये क्विंटल के रेट पर ही इसे बेचने को मजबूर हैं.

-यूपी जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य की बात करें तो यहां पिछले दो सीजन (2018-19 और 2019-20) के दौरान गन्ने के दाम में एक एक रुपये प्रति क्विंटल की भी वृद्धि नहीं हुई है. किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि अगर बढ़ती महंगाई के अनुपात में भी दाम बढ़ाया जाता तो इस समय कम से कम 353 रुपये प्रति क्विंटल का दाम (Sugarcane rate in up) होना चाहिए था. इस वक्त यहां सामान्य गन्ने का 315 और अगेती का रेट 325 रुपये है.

 



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