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हरेली आज… पूजा-पाठ से हुई दिन की शुरुआत, गांव-गांव खो-खो और फुगड़ी जैसे होंगे खेल

सबका संदेश न्यूज़ रायपुर/धमतरी- छत्तीसगढ़ का लोकपर्व हरेली गुरुवार को पंच महासंयोग में मनाया जा रहा है। ज्योतिषियों का दावा है कि ऐसा करीब डेढ़ सौ साल बाद होगा। वहीं सरकार की ओर से भी पहली बार प्रदेश भर में इसे मनाने की परंपरा शुरू की गई है। इसके तहत राजधानी रायपुर सहित सभी जिला मुख्यालयों पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। पूजा-पाठ और उपवास के साथ ही हर घर के बाहर नीम की डाल लगाने से सुबह से इसकी शुरुआत हो गई है।

राजधानी रायपुर में मनाया जा रहा है हरेली जोहार

  1. रायपुर स्थित महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय के ऑडिटोरियम में ‘हरेली जोहार’ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। हरेली जोहार यात्रा से इसकी शुरुआत हो चुकी है। जो मुख्यमंत्री निवास स्थल से निकलकर गांधी उद्यान होते हुए संस्कृति विभाग के मुक्ताकाशी मंच पहुंचेगी। इस यात्रा में 500 से ज्यादा लोक कलाकार पारंपरिक ड्रेस पहनकर वाद्य यंत्रों पर फोक डांस कर  रहे हैं। इसके अलावा लोगों को छत्तीसगढ़ी डिश का स्वाद चखने का मौका भी मिलेगा। यात्रा में करमा, सुआ, पंथी, राऊत नाचा, गौरा-गौरी, गतका और बैल गाड़ी को झांकी के जरिए पेश किया जा रहा है। 
  2. गांव गांव में हो रही खो-खो, फुगड़ी स्पर्धा

    गांव गांव में छत्तीसगढ़ी पारंपरिक खेल कूद का आयोजन किया जा रहा है। गेड़ी चढ़ने की इच्छा रखने वालों के लिए गेड़ी उपलब्ध कराई गई है। जो लोग बिल्लस खेलना चाहते थे, ऐसे लोगों के लिए  बिल्लस खेल और कबड्डी स्पर्धा का आयोजन किया जा रहा है। लोग चीला, ठेठरी-खुरमी, बोबरा जैसे व्यंजनों का खूब आनंद ले रहे हैं। कार्यक्रम स्थलों में छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के लिए विशेष स्टॉल लगाए गए हैं। कुल देवता और ग्राम देवता का भी पूजन किया  जा रहा है। गाय-बैलों को बीमारी से बचाने के लिए बरगंडा व नमक खिलाया गया। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में अनिष्ट नहीं होते हैं।

  3. रात भर चलेगा अभियान… कोई नारी टोनही नहीं

    पर्व के दौरान जहां खेती-किसानी से जुड़े लोग कृषि औजारों की पूजा करेंगे। वहीं, महिलाओं का पूरा दिन पूजा-पाठ और उपवास में बीतेगा। इस लोकपर्व से जुड़े कुछ भ्रम चिंताजनक हैं। गांवों में महिलाएं आज भी टोनही प्रताड़ना का शिकार हो रहीं हैं। इसी अंधविश्वास को दूर करने के लिए अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति गुरूवार से अगले एक हफ्ते तक रायपुर शहर के आउटर में बसे गांवों में घूमकर कोई नारी टोनही नहीं अभियान चलाएगी। 

  4. अपील… टहनी तोड़ पेड़ को नुकसान न पहुंचाएं 

    डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा पिछले हरेली के दिन लोग जादू-टोने व नजर लगने से बचने के लिए घर और गाड़ियों में नीम की टहनी लगाते हैं। कई बार तो बच्चे भी नीम की पत्तियां लेकर स्कूल तक पहुंच जाते हैं। पालकों और शिक्षकों को बच्चों को ऐसे अंधविश्वास से बचने की सलाह देनी चाहिए। उन्होंने अपील की कि नीम की टहनी तोड़कर वृक्ष को नुकसान पहुंचाने के बजाय घर के आसपास नीम के पौधे लगाएं, ताकि वातावरण शुद्ध हो। 

  5. अंधविश्वास… नजर लगने से बीमारी, झाड़-फूंक से इलाज 

    जब लोगों को बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी नहीं थी तब यह माना जाता था कि इंसानों या पशुओं को नजर लगने या जादू-टोने की वजह से बीमारी होती है। इनसे बचाव के लिए गांव-घर को तंत्र-मंत्र से बांधा जाता था। इन्हीं मान्यताओं के चलते कई बार महिलाओं पर जादू-टोना करने का आरोप लगा दिया जाता है। वैज्ञानिक वजह पर जाएं तो सावन में तापमान अनियमित रहता है। बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया और कीटाणु अनुकूल वातावरण पाकर काफी तेजी से बढ़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर उपचार ही समस्या का समाधान है।

 

 

 

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