कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ एम गीता ने अधिकारियों की समीक्षा बैठक में दिये निर्देश बायो फोर्टिफाइड धान किस्मों पर बढ़ेगा जोर, मिल्क रूट होगा स्थापित, जिले को हार्टिकल्चर हब बनाने सामूहिक फलोद्यानों के लिए किया जायेगा कार्य
DURG:- अगले तीन सालों के लिए रोडमैप बनाकर खेती की तस्वीर बदलने की दिशा में काम करें। किसानों को साल में तीन फसल लेने तैयार करें। दलहल.तिलहन के रकबे में बढ़ोत्तरी के साथ यांत्रिकीकरण की दिशा में काम हो। इसके साथ ही बायो फोर्टिफाइड राइस जैसे नवाचारों की ओर भी किसानों को शिफ्ट करें। कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम गीता ने आज अधिकारियों की समीक्षा बैठक में जिले में खेती किसानी की तरक्की के लिए इन तीन बिन्दुओं पर जोर दिया और इसके लिए कार्ययोजना बनाकर इनके कार्यान्वयन के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दुर्ग जिले में खेती.किसानी एवं इससे संबंधित अनुषांगिक विभागों के लिए बड़ी गुंजाइश है। रायपुर और दुर्ग.भिलाई के रूप में किसानों के लिए बड़ा मार्केट उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि गौठानों को भी ग्रामीण आजीविका केंद्र के रूप में विकसित करना है। इस दिशा में भी लगातार कार्य करें। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने विस्तार से जिले में चल रही कृषि गतिविधियों एवं नवाचारों की जानकारी दी। इस मौके पर संचालक कृषि नीलेश क्षीरसागर, संचालक उद्यानिकी वी मथेश्वरन, संचालक मत्स्य वीके शुक्ला सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
बायो फोर्टिफाइड धान जैसी किस्मों से भी किसानों को कराएं परिचित:
सचिव ने वैविध्य पर विशेष फोकस किया। उन्होंने कहा कि तीन फसल लें। धान की किस्मों में भी वैविध्य ले सकते हैं। जैसे किसानों को बायो फोर्टिफाइड धानए सुगंधित धान तथा औषधि गुण वाले धान की किस्मों को लेने का आग्रह कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कुपोषण दूर करने में बायो फोर्टिफाइड किस्म के धान की बड़ी भूमिका होती है। इसका बड़ा बाजार तैयार हो रहा है यदि हमारे यहां के किसानों को इस दिशा में तैयार करें तो उनके लिए लाभ की गुंजाइश काफी बढ़ सकती है।
दलहन-तिलहन पर दें जोर.
सचिव ने दलहन-तिलहन के रकबे के विस्तार के निर्देश भी दिए। कलेक्टर ने कहा कि इसके विस्तार के लिए लगभग साढ़े छह हजार हेक्टेयर में मेड़ों में दलहन फसल लगाने डीएमएफ के माध्यम से राशि उपलब्ध कराई गई है। सचिव ने कहा कि कृषि विभाग के अधिकारी किसानों से मिलकर उन्हें इसके लाभों के बारे में जानकारी दें और परिणाममूलक कार्य करें ताकि दलहन.तिलहन के रकबे में बड़ी वृद्धि लक्षित हो। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के कई कंपोनेंट के माध्यम से इस दिशा में काम हो सकता है।
मिल्क रूट होगा सशक्त.
सचिव ने कहा कि क्षेत्र में देवभोग की यूनिट है। इनसे समन्वय कर पशुपालकों को इस दिशा में तैयार करें। कलेक्टर ने कहा कि पहले कुछ सोसायटी यहां पर थी और अब कार्य नहीं कर रही हैं। उनके पुनर्गठन की दिशा में काम किया जा रहा है। सचिव ने कहा कि मिल्क रूट पुन: मजबूत करें। पशुधन विकास विभाग जो वितरण करता है उससे लोगों के जीवन में और पूरे इलाके में किस तरह का परिवर्तन आ रहा है इसका अध्ययन भी होना चाहिए। इसके फीडबैक से आगे के लिए बेहतर कार्य हो सकता है।
नदी किनारे उद्यानिकी रकबे में विस्तार.
सचिव ने कहा कि समीक्षा में पाया गया कि जिले में उद्यानिकी का रकबा पर्याप्त नहीं है जबकि उद्यानिकी फसलों से किसानों को लाभ की काफी गुंजाइश है क्योंकि दुर्ग.भिलाई के अलावा बिल्कुल बगल से राजधानी का बड़ा बाजार किसानों के लिए उपलब्ध है। इसके लिए नदियों के किनारे क्रेडा के माध्यम से सोलर पंप स्थापित कर बाड़ी का एवं फलोद्यान का विस्तार किया जाए। इसके लिए संचालक उद्यानिकी वीमाथेश्वरन को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पौष्टिक तत्वों की वजह से ड्राई मोरेंगा का बड़ा मार्केट भी बना है। अगर यहां इसका उत्पादन और पैकेजिंग कर इसे बेचा जाए तो लाभ की काफी गुंजाइश बनती है। कलेक्टर ने बताया कि अभी सामूहिक फलोद्यान के माध्यम से दस हजार मुनगा के पौधे लगाए जा रहे हैं। सचिव ने इसे अच्छी पहल बताया। उन्होंने बताया कि राजपुर में सीडलिंग यूनिट भी बन रही है जहां दस लाख पौधे हर महीने तैयार होंगे। इससे बेमेतरा और कवर्धा के सब्जी उत्पादकों की माँग भी पूरी हो सकेगी।