वोरा ने विस में उठाए केंद्रीय पूल, सुखत समेत कई मुद्दे
दुर्ग। शहर विधायक अरुण वोरा ने विधानसभा के बजट सत्र में ध्यानाकर्षण के द्वारा केंद्र सरकार की गलत नीतियों की वजह से धान खरीदी की विसंगतियों एवं सहकारी समितियों को होने वाले नुकसान का मुद्दा उठाया। श्री वोरा ने कहा कि प्रदेश मेंखरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में 80 लाख टन से अधिक 20 हजार करोड़ का धान खरीदा गया। इस योजना के लिए राज्य द्वारा बनाई गई नीति के त्रुटिपूर्ण होने, कार्यन्वयन में गलत निर्णयों आदि के कारण राज्य के खजाने को तथा प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं को सैकड़ो करोड़ की क्षति हो रही है। भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार सुखद एक प्रतिशत तक मण्डी लेबर चार्ज शत-प्रतिशत, सुरक्षा एवं रख-रखाव शत् प्रतिशत, क्रय शत् प्रतिशत तथा निर्धारित दर से कमीशन की राशि धान उपार्जन करने वाली प्राथमिक सहकारी संस्थाओं को प्राप्त होनी चाहिए। परंतु ऐसा नहीं होता है सुखत का लाभ नहीं दिया जाता है। मण्डी लेबर चार्ज मद में औसतन 22 रु. प्रति क्विंटल व्यय करना पड़ता है। परंतु मात्र 1 रुपए प्रति क्विंटल दिया जाता है। सुरक्षा एवं रख- रखाव पर औसतन 5 रुपए प्रति क्विं. खर्च होता है। केवल 3 रुपए दिया जाता है। प्रशासनीक व्यय मद में औसतन 3 रुपए प्रति क्विं. व्यय करना पड़ता है। परंतु इस मद के लिए कोई दर नियत नहीं की जाती है और ना ही राशि दी जाती है जिसका दुष्परिणाम यह होता है कि राजकोष पर प्रतिवर्ष प्रशासागिंक व्यय तथा सुरक्षा रख-रखाव व्यय मद में करोड़ो रुपए का अनाश्यक भार पड़ता है तथा प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं को कमिश्न की राशि में से व्यय करना पड़ता है। जिससे उनका लाभर्जन कम होता जा रहा है। एक कल्पनिक तथा अव्यवहारिक अवधारण जीरो शार्टेज उत्पन्न कर के धान उपार्जन करने वाली समितियों को बाध्य किया जाता है। जबकि धान उपार्जन करने के पश्चात 15-20 दिन धान खरीदी केन्द्रों में भण्डारित रहने के कारण सुखत आना प्राकृतिक हैं।