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अब संयुक्त राष्ट्र में चीन के प्रभाव को कम करने की हर कोशिश करेगा भारत_india will try to contain chinese influence in un knowat | nation – News in Hindi

अब संयुक्त राष्ट्र में चीन के प्रभाव को कम करने की हर कोशिश करेगा भारत

चीन के प्रभाव को रोकने के लिए भारत कई स्तर पर काम करेगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत (India) ने हमेशा यूएन (United Nations) और उससे जुड़े संगठनों में चीन (China) के प्रभाव को कम करने की मांग की है. लेकिन अब भारत ऐसा करने के लिए सभी विकल्पों पर विचार करेगा.

नई दिल्ली. भारत (India) अब अपनी विदेश नीति (Foreign Policy) में प्राथमिकता के आधार पर चीन (China) के संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में बढ़ते प्रभाव को कम करने की कोशिश करेगा. भारत ने हमेशा यूएन और उससे जुड़े संगठनों में चीन के प्रभाव को कम करने की मांग की है. लेकिन अब भारत ऐसा करने के लिए सभी विकल्पों पर विचार करेगा. यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भी ये प्रयास किए जाएंगे. सामान्य तौर पर भारत इस परिषद से दूरी बनाकर रखता है.

बीते कुछ सालों के दौरान चीन ने संयुक्त राष्ट्र में अपना प्रभाव बढ़ाया है. चीन का प्रभाव बढ़ने के पीछे अमेरिका के संयुक्त राष्ट्र के साथ संबंधों में आई दिक्कतें भी हैं. कम से कम चार ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर भारत अपनी डिप्लोमेटिक पावर का सहारा लेगा.

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संस्थाओं में प्रभाव घटाने की कोशिशसबसे पहले तो भारत संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं में चीन को अध्यक्षता मिलने का विरोध करेगा. इस वक्त चीन के पास यूएन की चार संस्थाओं में चेयरमैनशिप है. भारत कोशिश करेगा कि कम से कम चीन को और संस्थाओं की अध्यक्षता न हासिल होने पाए. कोशिश की जाएगी कि अभी चीन का जहां कब्जा है, वहां उसे भविष्य में हार मिले.

चीन में न खुलने पाए यूएन का दफ्तर
दूसरा, भारत कोशिश करेगा कि संयुक्त राष्ट्र या फिर उससे जुड़ी किसी एजेंसी का दफ्तर चीन में न खुलने पाए. गौरतलब है कि चीन लंबे समय से इस बात से नाराज रहा है कि उसके देश में संयुक्त राष्ट्र का कोई दफ्तर नहीं है. वर्तमान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस कोशिश करते रहे हैं कि संगठन के क्षेत्रीय दफ्तर भी खोले जाएं. माना जाता है कि एंटोनियो ऐसा इसलिए करना चाहते हैं क्योंकि न्यूयॉर्क में संगठन को बड़े स्तर पर चलाने में ऑपरेशनल कॉस्ट बहुत ज्यादा आती है. बीते साल चीन ने जबरदस्त लॉबिंग की थी कि संयुक्त राष्ट्र का एक दफ्तर शंघाई में भी खोला जाए.

शांति प्रयासों की खोली जाएगी पोल

तीसरा, चीन चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र के शांति के प्रयासों में उसे मजबूत जगह हासिल हो. यही वजह है कि इस वक्त ब्रिटेन, फ्रांस और रूस से ज्यादा पीसकीपिंग फंड संयुक्त राष्ट्र को चीन देता है. भारत ने यह भी पाया है कि चीन उन देशों में अपनी शांति सेना भेज रहा है जहां पर उसके आर्थिक हित जुड़े हुए हैं. भारत की तरफ से कोशिश की जाएगी कि चीन की वास्तविक छवि दुनिया के सामने रखी जाए. उसके देश में मानवाधिकारों के जबरदस्त उल्लंघन के मामलों को दुनिया के सामने और स्पष्ट तरीके से लाया जाए. जिससे शांति के प्रयासों को लेकर उसकी पोल खोली जा सके.

कॉन्ट्रैक्ट्स न मिलने पाएं
चौथा, चीन इस बात से खीझा रहता है कि उसे संयुक्त राष्ट्र की तरफ से सेवाओं और उपकरणों के लिए जारी होने वाले अरबों डॉलर के कॉन्ट्रै्क्ट नहीं हासिल होते. संयुक्त राष्ट्र से कॉन्ट्रै्क्ट हासिल करने के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है. भारत को यूएन की तरफ से दवाओं को लेकर बड़े कॉन्ट्रैक्ट मिलते हैं. इसलिए भारत की तरफ से अब पूरी कोशिश की जाएगी कि चीन को इन कॉन्ट्रैक्ट्स से भविष्य में भी दूर रखा जाए.



First published: June 20, 2020, 7:18 AM IST



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