चीन द्वारा भारतीय सैनिकों पर किये गये हमले की समस्त व्यापारियों ने की आलोचना
DURG:-कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन बडज़ात्या, प्रदेश एमएसएम्ई प्रभारी मोहम्मद अली हिरानी, प्रदेश मिडिया प्रभारी संजय चौबे ने बताया कि कल रात लदाख में चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों पर किये गए हमले की देश भर के व्यापारियों ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा की चीन जब भी अवसर मिलता है भारत की सम्प्प्रभता को चुनौती देता है और चीन का यह रवैया देश के हितों के विरुद्ध है । इस बात को देशवासियों के ध्यान में लाते हुए कन्फेडेरशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा चीनी सामान के बहिष्कार और भारतीय सामान के उपयोग को बडावा देने के अपने राष्ट्रीय अभियान भारतीय सामान – हमारा अभिमान के अंतर्गत आज 500 से अधिक वस्तुओं की बृहद सूची जारी की जिसके अंतर्गत 3000 से अधिक वो उत्पाद हैं जो चीन में निर्मित होकर भारत में आयात होते हैं जिनके बहिष्कार का आव्हान कैट ने अपने अभियान के प्रथम चरण में किया है। इन चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आव्हान कर कैट ने दिसम्बर 2021 तक भारत द्वारा चीन से आयात में 13 बिलियन डॉलर जो लगभग एक लाख करोड रुपये होता है, की कमी करने का लक्ष्य रखा है ।
कैट की इस सूची में रोजमर्रा में काम आने वाली वस्तुएं, खिलौने, फर्निशिंग फैब्रिक, टेक्सटाइल, बिल्डर हार्डवेयर, फुटवियर, गारमेंट, किचन का सामान, लगेज, हैंड बैग, कॉस्मेटिक्स, गिफ्ट आइटम, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन अपैरल, खाद्यान ,घड़ियां , जैम एवं ज्वेलरी, वस्त्र, स्टेशनरी, कागज, घरेलू वस्तुएं, फर्नीचर, लाइटिंग, हेल्थ प्रोडक्ट्स, पैकेजिंग प्रोडक्ट, ऑटो पार्ट्स, यार्न, फेंगशुई आइटम्स, दिवाली एवं होली का सामान, चश्में, टेपेस्ट्री मैटेरियल आदि शामिल हैं । संजय चौबे ने बताया की कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कैट के अभियान को स्पष्ट बताते हुए कहा की वर्तमान में चीन से भारत द्वारा आयात लगभग 5 .25 लाख करोड अर्थात 70 बिलियन डॉलर वार्षिक का है । कैट ने प्रथम चरण में उन 3000 से अधिक वस्तुओं का चयन किया है जो भारत में भी बनती हैं लेकिन सस्ते के प्रलोभन में अब तक चीन से इन वस्तुओं का आयात हो रहा था। इन वस्तुओं के निर्माण में किसी प्रकार की कोई टेक्नोलॉजी की आवश्यकता नहीं है इसलिए भारत में निर्मित वस्तुओं का प्रयोग चीनी वस्तुओं के स्थान पर बहुत आसानी से हो सकता है और भारत इन वस्तुओं के लिए चीन पर अपनी निर्भरता को काफी कम कर सकता हैं।