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स्व-सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षण देकर मॉडल के रूप में विकसित करने बनाई जाएगी कार्ययोजना मलांजकुड़ूम क्षेत्र के 13 गांवों के ग्रामीणों को वनोपज संग्रहण कार्य से जोड़ा जाएगा

स्व-सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षण देकर मॉडल के रूप में विकसित करने बनाई जाएगी कार्ययोजना
मलांजकुड़ूम क्षेत्र के 13 गांवों के ग्रामीणों को वनोपज संग्रहण कार्य से जोड़ा जाएगा
कांकेर- जिले में वनोपज से ग्रामीणों को स्वरोजगार और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी एवं कलेक्टर के.एल. चौहान की उपस्थिति में मलांजकुड़ूम क्षेत्र के सभी 13 गांवों के सरपंच, सचिव एवं स्व-सहायता समूह के सदस्यों की बैठक आयोजित की गई, जिसमें उन्होंने ग्रामीणों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अपने खेतों में पेड़ों को संरक्षित कर उसमें लाख पैदावार कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। वन एवं राजस्व विभाग द्वारा बंजर भूमि का चिन्हांकित कर नर्सरी के माध्यम से पेड़ों में लाख पैदावार बढ़ाकर गांव में इसकी बिक्री भी कर सकते हैं। राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप वनोपज को ग्रामीणजन अपने गांव में ही स्व-सहायता समूह के माध्यम से बेच सकते हैं, इसकी भी व्यवस्था वन विभाग द्वारा किया गया है।
मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी ने स्व-सहायता समूह के सदस्यों को आश्वस्त करते हुए कहा कि परम्परागत कृषि के तहत् कोदो-कुटकी और रागी अधिक मात्रा में पैदावार किया जाए, जिसके बिक्री की व्यवस्था भी जिला प्रशासन द्वारा किया जाएगा। कलेक्टर के.एल. चौहान ने राजस्व एवं वन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि नर्सरी बनाने हेतु जमीन का सर्वे किया जाए, इसके बाद कार्ययोजना बनाकर पेड़ों को संरक्षित करें ताकि ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सकें। किसान अपने खेतों में लगे पेड़ों को भी संरक्षित करें और वनोपज को उचित दाम में बेचकर लाभ प्राप्त करें, इससे उनकी आर्थिक आमदनी में वृद्धि होगी और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। कलेक्टर चौहान ने सरपंच एवं स्वसहायता समूह के सदस्यों को दूध नदी के किनारे पौधरोपण करने का सुझाव दिया। उन्होंने व्यक्तिगत वनाधिकार एवं सामुदायिक वनाधिकार का सर्वे कर ग्रामीणों को रिकार्ड उपलब्ध कराने पटवारियों को निर्देश दिये। कलेक्टर चौहान ने साग-सब्जी तथा कोटो-कुटकी एवं रागी इत्यादि फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अच्छा पैदावार होने पर सीताफल की तरह बेचने की व्यवस्था भी किया जाएगा।
बैठक में वनमण्डलाधिकारी अरविन्द पी. एम., अपर कलेक्टर सुरेन्द्र प्रसाद वैद्य, आदिवासी विकास विभाग के उपायुक्त विवेक दलेला, एसडीएम कांकेर उमाशंकर बंदे सहित सरपंच, सचिव एवं स्व सहायता समूह के सदस्य एवं क्षेत्र के पटवारी उपस्थित थे।

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