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देश का ऐसा अनोखा गांव जहां सूचना के अधिकार लगाने पर जानकारी नहीं बल्कि गांव से निकालने की धमकी मिलती है, आवेदन वापस नहीं लेने पर 10 हजार रुपये का अर्थदंड का दबाव भी।

देश का ऐसा अनोखा गांव जहां सूचना के अधिकार लगाने पर जानकारी नहीं बल्कि गांव से निकालने की धमकी मिलती है, आवेदन वापस नहीं लेने पर 10 हजार रुपये का अर्थदंड का दबाव भी।

डोंगरगढ़- खुद को सरकार से ऊपर समझ रहे है ग्राम पंचायत करवारी के जनप्रतिनिधि।
आज हम आपको देश की ऐसी अनोखी ग्राम पंचायत के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर शासन द्वारा आम आदमी को प्रदान किए गए अधिकारों का उपयोग करने पर आम आदमी को अपनो का ही विरोध झेलना पड़ता है यही नहीं अपने सर से छत छीन जाने का भी भय बना रहता है। जी हां हम बात कर रहे हैं राजनांदगांव जिले के अंतर्गत आने वाले जनपद पंचायत डोंगरगढ़ के ग्राम पंचायत करवारी की जहां पर गांव के ही एक व्यक्ति के द्वारा गांव की आबादी भूमि, घास भूमि के क्षेत्रफल व बांटे गए पट्टो व अवैध कब्जे के सम्बंध में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाकर जानकारी मांगी गई तो पहले तो उन्हें गुमराह किया गया फिर भी बात ना बनी तो जनप्रतिनिधियों द्वारा आवेदक पर 10 हजार रुपये आर्थिक दंड एवं गांव से बाहर निकालने की धमकी दी जा रही है।

आपको बताते चले कि विगत एक माह पूर्व ग्राम पंचायत करवारी के ही भूषण सिन्हा पिता मंगलूराम सिन्हा द्वारा ग्राम पंचायत करवारी में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत ग्राम पंचायत से जानकारी हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था जिसमें ग्राम सरपंच नंदलाल नेताम,ग्राम पटेल दुलार सिन्हा एवं उपसरपंच उत्तम चौरे ने भरी पंचायत में कहा कि इस पंचायत में सूचना का अधिकार के तहत जानकारी लेना सख्त मना है जो भी सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगेगा उसे 10000 रुपये का अर्थदंड देना पड़ेगा।

मांगी गई थी उक्त जानकारी- भूषण सिन्हा द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाकर ग्राम पंचायत करवारी में कितनी आबादी भूमि है, कितनी घास भूमि है और इनमें कितने ग्रामीणों को पट्टा वितरण किया गया है तथा कितने लोग अवैध कब्जा किये हुए हैं इसकी जानकारी मांगी गई थी लेकिन भारत की इस अनोखी पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने जानकारी तो नहीं दी उल्टा दबाव बनाया जा रहा है कि आवेदक अपना आवेदन वापस ले नही तो गांव से बहिष्कृत करने का दबाव बनाया जा रहा है और घर में ताला लगाने की धमकी दी जा रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब से नन्दलाल नेताम सरपंच बने हैं तब से लगातार उनकी मनमानी की खबरे सामने आ रही है फिर चाहे वह अवैध रेत खनन कर सरकारी निर्माण कराना हो या फिर सूचना का अधिकार के नियमों का खुलेआम

 

उल्लंघन। किन्तु हैरानी की बात तो यह है कि लोकतांत्रिक इस देश में 21 वी सदी में भी ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों का तुगलकी फरमान शासन के नियम कानून को ठेंगा दिखा रहा है, अब देखना यह है कि शासन के अधिकारी इस मामले को कितनी गम्भीरता से लेते हैं और ग्राम पंचायत करवारी में

 

फिर से लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करने में सफल होते हैं कि नहीं। इधर आवेदक द्वारा एसडीएम अविनाश भोई व एसडीओपी पुलिस से भी शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई गई है।

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