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पेट्रोल-डीज़ल के बाद अब महंगा हुआ हवाई जहाज का ईंधन, बढ़ सकते है एयर टिकट के दाम -ATF price Latest News ATF price hiked by 16 Jet Fuel Price Increased Second Time This Month | business – News in Hindi

नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (Crude Oil Price) और दूसरे पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में हो रही वृद्धि का असर अब घरेलू बाजार में साफ दिखने लगा है. पिछले दस दिन से तेल कंपनियां लगातार पेट्रोल, डीजल (Petrol Diesel Price) के दाम बढ़ा रही हैं. मंगलवार को पेट्रोल के बाद अब एटीएफ यानी विमान ईंधन (ATF-Air Turbine Fuel Price Hiked) के दाम में भी  16.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है. एविएशन टरबाइन फ्यूल यानी एटीएफ के दाम राष्ट्रीय राजधानी में 5,494.50 रुपये प्रति किलोलीटर यानी 16.3 फीसदी बढ़कर 39,069.87 रुपये प्रति किलोलीटर (प्रति हजार लीटर) हो गए है. माना जा रहा है कि लागत बढ़ने पर एविएशन कंपनियां टिकटों के दाम बढ़ा सकती है.

पेट्रोलियम उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि यह वृद्धि जरूरी है. कोरोना वायरस महामारी के कारण जब कई देशों में लॉकडाउन लागू कर दिया गया और आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई तब पेट्रोलियम पदार्थों के दाम एक समय दो दशक के निम्न स्तर पर चले गये.

अब जबकि भारत सहित कई देशों में आर्थिक गतिविधियां शुरू हो गईं हैं दाम बढ़ने शुरू हो गये हैं. बहरहाल, एटीएम के दाम में महीने की पहली और 16 तारीख को अंतरराष्ट्रीय बाजार के दाम की घट-बढ के अनुरूप संशोधन किया जाता है जबकि पेट्रोल, डीजल के दाम में दैनिक आधार पर यह बदलाव किया जाता है.

क्या होता है एटीएफ- जेट फ्यूल या एविएशन टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) की जरूरत विमानों के परिचालन के लिए पड़ती है. जिसका प्रयोग जेट व टर्बो-प्रॉप इंजन वाले विमान को पावर देने के लिए किया जाता है. यह एक विशेष प्रकार का पेट्रोलियम आधारित ईंधन है. एटीएफ दिखने में रंगहीन और स्ट्रा की तरह होता है. ज्‍यादातर कॉमर्शियल विमानन कंपनियां ईंधन के तौर पर जेट-ए एवं जेट ए-1 ईंधन का इस्‍तेमाल करती है.एटीएफ का उत्पादन अंतरराष्‍ट्रीय मानकों के अनुरूप और तय दिशानिर्देशों के तहत किया जाता है. आमतौर पर टरबाइन इंजन संचालित विमानों में जेट-बी फ्यूल का ही प्रयोग किया जाता है. सर्दियों में इसका प्रयोग विमानों के बेहतर परिचालन के लिए होता है.

कितने तरह का होता है एटीएफ-एटीएफ एक विशेष प्रकार का पेट्रोलियम आधारित ईंधन है. कच्चे तेल रिफाइनरी में ले जाकर इसमें से पेट्रोल- डीज़ल और केरोसीन के साथ- साथ एटीएफ निकाला जाता है. जेट ईंधन वास्तव में केरोसीन की एक उच्च परिष्कृत श्रेणी है. जेट ए-1 और जेट ए टर्बाइन सिविल कॉमर्शियल एविएशन में इस्तेमाल होने वाली ईंधन की दो मुख्य श्रेणियां हैं. अन्य विमानन ईंधनों में मिलिट्री जेट ईंधनों जिसमें प्रमुख रूप से जेपी-4, जेपी-5, और जेपी-8, शामिल हैं तथा ये सभी केरोसीन प्रकार के ईंधन हैं.

कैसे तय होती है एटीएफ की कीमत – अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एटीएफ की कीमतें और क्रूड ऑयल की कीमतों के आधार पर इसके दाम तय होते है. इसके अलावा डिमांड-सप्लाई, प्राकृतिक आपदाओं, मौद्रिक उतार-चढ़ाव, भू-राजनैतिक तनावों के साथ-साथ ब्याज दर और अन्य चीजें भी रेट तय करने के लिए जिम्मेदार होती है.

महंगे ATF से क्या होगा-तेल कंपनियों द्वारा मंगलवार को जारी मूल्य अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है. एटीएफ के दाम में जून में यह लगातार दूसरी वृद्धि है. इससे पहले एक जून को एटीएफ के मूल्य में रिकार्ड 56.5 प्रतिशत यानी 12,126.75 रुपये प्रति किलोलीटर की वृद्धि की गई थी.

इसी तरह पेट्रोल और डीजल के दाम में लगातार 10वें दिन वृद्धि की गई है. दिल्ली में पेट्रोल का दाम 47 पैसे बढ़कर 76.73 रुपये प्रति लीटर जबकि डीजल का दाम बढ़कर 75.19 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया.

सात जून 2020 के बाद से लगातार 10 दिन से पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं. इन 10 दिन में पेट्रोल के दाम में कुल मिलाकर 5.47 रुपये और डीजल के दाम में 5.80 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो चुकी है.

तेल कंपनियां ये दाम पूरे देश में एक समान बढ़ातीं हैं लेकिन राज्यों के स्तर पर इन पर लगने वाले स्थानीय बिक्री कर अथवा मूल्य वर्धित कर (वैट) की दर अलग अलग होने के कारण दाम में वृद्धि अलग अलग दिखती है.

तेल कंपनियों ने मई 2017 से पेट्रोल, डीजल के दाम दैनिक आधार पर अंतरराष्ट्रीय मूल्य के अनुरूप संशोधन की शुरुआत की थी. कंपनियों ने सात जून के बाद से पेट्रोल, डीजल के दाम में दैनिक संशोधन का काम फिर शुरू किया है.

इससे पहले मार्च 2020 के बीच में इसे रोक दिया गया था. करीब 82 दिन तक दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया. मध्य मार्च में जब कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में लॉकडाउन लगाने की तैयारियां चल रही थी.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिर रहे थे तब सरकार ने ईंधन पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगा दिया और राजस्व बढ़ाने के उपाय किये. हालांकि, उत्पाद शुल्क वृद्धि का बोझ ग्राहकों पर नहीं पड़ा और अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई गिरावट के साथ इसे समायोजित कर दिया गया.

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