Covid-19: संक्रमितों के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर भारत, सरकार ने कहा- कम्युनिटी स्प्रेड नहीं | coronavirus in india unlock 11 days covid infected cases death toll on 11 june live updates | nation – News in Hindi

देश में बुधवार को एक दिन में अब तक के सबसे ज्यादा 9996 केस आए और 357 लोगों की मौत हुई है. इसके पहले 6 जून को सबसे ज्यादा 298 संक्रमितों ने दम तोड़ा था. स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा अपडेट के मुताबिक, देश में कोरोना के अभी एक लाख 37 हजार 448 एक्टिव केस हैं. इस वायरस से अब तक 8 हजार 102 लोगों ने जान गंवाई है. वहीं, एक लाख 41 हजार 28 लोग रिकवर भी हुए हैं.
वहीं देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने और इस महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि के बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि भारत निश्चित रूप से कोविड-19 (Covid-19) प्रसार के ‘‘सामुदायिक स्तर पर संक्रमण’’(Community Spread) के चरण में नहीं है. वहीं, गुरुवार को कोविड-19 के 357 मरीजों की मौत हुई और संक्रमण के 9,996 मामले सामने आये. कोरोना वायरस संक्रमण से किसी एक दिन में होने वाली मौत का यह सर्वाधिक आंकड़ा है. इसके साथ ही, देश में कोविड-19 से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 8,102 हो गई, जबकि संक्रमण के मामले बढ़ कर 2,86,579 हो गये हैं.
बड़ी आबादी के इसकी चपेट में आने को लेकर खतराभारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने प्रेस वार्ता में कहा कि कोविड-19 के प्रसार पर भारत के प्रथम ‘सीरो-सर्वेक्षण’ में यह पाया गया है कि लॉकडाउन और निरुद्ध क्षेत्र घोषित करने के उपाय संक्रमण की तीव्र वृद्धि रोकने में सफल रहे हैं. हालांकि, बड़ी संख्या में आबादी के इसकी चपेट में आने को लेकर अब भी खतरा है. भार्गव ने कहा कि सीरो-सर्वेक्षण के दो हिस्से हैं, प्रथम हिस्से में ‘सार्स-कोवी-2’ से संक्रमित सामान्य आबादी के हिस्से का अनुमान लगाया गया है. वहीं, दूसरे हिस्से में आबादी के उस हिस्से को रखा गया है, जो निरुद्ध क्षेत्रों या संक्रमण के अधिक मामलों वाले शहरों में सक्रमित हुए हैं. उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण का पहला हिस्सा पूरा हो गया है जबकि दूसरा जारी है. यह सर्वेक्षण आईसीएमआर ने राज्य स्वास्थ्य विभागों, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ समन्वय कर मार्च में शुरू किया था.
भार्गव ने कहा कि अध्ययन में कुल 83 जिलों और 26,400 लोगों को अब तक शामिल किया गया है और 28,595 घरों तक पहुंचा गया है. देश में 25 अप्रैल को कोविड-19 के सामने आये मामलों के आधार पर इन जिलों का चयन किया गया. मीडिया को साझा की गई जानकारी में कहा गया है कि 65 जिलों से आंकड़ों का संकलन कर लिया गया है.
लॉकडाउन जैसे उपाय संक्रमण को फैलने से रोक रहे
भार्गव ने कहा कि सीरो-सर्वेक्षण में पाया गया कि सर्वेक्षण किये गये जिलों में आबादी का 0.73 प्रतिशत सार्स-सीओवी-2 की चपेट में अतीत में आ चुका है. उन्होंने सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘लॉकडाउन लागू किये जाने और संक्रमण वाले स्थानों को निरुद्ध क्षेत्र घोषित करने के उपाय संक्रमण को कम रखे हुए हैं और ये उपाय इसे तेजी से फैलने से रोक रहे हैं.’’
भार्गव ने कहा कि हालांकि, इसका मतलब है कि बड़ी संख्या में आबादी के इसकी चपेट में आने को लेकर अब भी खतरा है और ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में (1.09 गुना) और शहरी झुग्गी बस्तियों में (1.89 गुना) खतरा अधिक है. इसमें पाया गया कि संक्रमण से होने वाली मौत की दर बहुत कम 0.08 प्रतिशत है और निरुद्ध क्षेत्रों में संक्रमण अलग-अलग दर के साथ अधिक है. हालांकि, सर्वेक्षण अभी जारी है. उन्होंने कहा कि दो गज की दूरी, मास्क के उपयोग, हाथ बार-बार साबुन से धोने जैसे उपायों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.
झुग्गी बस्तियों में ज्यादा खतरा
भार्गव ने कहा कि शहरी झुग्गी बस्तियों में संक्रमण फैलने का अधिक खतरा है और स्थानीय लॉकडाउन की पाबंदियों को जारी रखने की जरूरत है, जैसा कि सरकार ने पहले सलाह दी थी.
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत में संक्रमण सामुदायिक स्तर पर चला गया है, उन्होंने कहा, ‘‘सामुदायिक स्तर पर संक्रमण शब्द के बारे में काफी चर्चा हुई है. मुझे लगता है कि यहां तक कि डब्ल्यूएचओ ने भी इसकी परिभाषा नहीं दी है. हमने यह प्रदर्शित किया है कि भारत एक विशाल देश है, लेकिन फिर भी संक्रमण की मौजूदगी काफी कम हैं.’’
एंटीबॉडी विकसित होने में लग रहा 15 दिन का समय
गौरतलब है कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने एक दिन पहले कहा था कि ‘‘सामुदायिक स्तर पर संक्रमण है’’, लेकिन सिर्फ केंद्र ही इस बारे में घोषणा कर सकता है. एक अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष एवं नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने अध्ययन को कोविड-19 के संदर्भ में दुनिया में सबसे बड़ा सर्वेक्षण (महामारी से जुड़ा) बताया. उन्होंने कहा कि इस तरह की सूचना से सटीक प्रतिक्रिया करने और कोविड-19 चुनौतियों से निपटने की रणनीतियों में मदद मिलेगी. नतीजों से पता चलता है कि 30 अप्रैल के आसपास देश में मौजूद स्थिति के मुताबिक संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित होने में 15 दिनों का वक्त लगता है.
भार्गव ने कहा, ‘‘छोटे जिलों में संक्रमण की मौजूदगी एक प्रतिशत से भी कम है. शहरी और निरुद्ध क्षेत्रों में यह कुछ अधिक है. लेकिन, भारत निश्चित रूप से सामुदायिक स्तर पर संक्रमण के चरण में नहीं है. मैं यह बात जोर देते हुए कहना चाहूंगा.’’ भार्गव ने कहा, ‘‘हमें जांच करना, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये लोगों का पता लगाना, उन तक पहुंचना, उन्हें पृथक रखने और निरुद्ध क्षेत्र घोषित करने का कार्य जारी रखना होगा. साथ ही, हमें इस सिलसिले में असावधानी नहीं बरतनी होगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सावधानी बरतनी कम नहीं कर सकते हैं और उन्हें प्रभावी निगरानी तथा स्थानों को निरुद्ध करने की रणनीतियां जारी रखने की जरूरत है.’’ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में लगातार सातवें दिन 9,500 से अधिक संक्रमण के मामले सामने आये, जबकि पहली बार मृतक संख्या (किसी एक दिन में) 300 के आंकड़े को पार गई है.
देश में 49 प्रतिशत से ज्यादा संक्रमित हुए ठीक
मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या गुरु सुबह आठ बजे तक 1,37,448 थी, जबकि 1,41,028 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं तथा एक मरीज दूसरी जगह चला गया. एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इस तरह करीब 49.21 प्रतिशत रोगी अब तक संक्रमण मुक्त हो चुके हैं.’’
कोविड-19 के रोगियों को, विशेष रूप से आईसीयू एवं ऑक्सीजन की जरूरत वाले रोगियों को, अस्पतालों द्वारा लौटाये जाने के बारे में एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ‘‘कोविड-19 के लक्षण वाले व्यक्ति या संदिग्ध रोगी को राज्य के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क में रहना चाहिए और परामर्श के अनुसार अस्पताल पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए. इसके अलावा, हमने राज्यों को हेल्पलाइन व्यवस्था कारगर बनाने और दिशा-निर्देश मुहैया करने का अनुरोध किया है.’’
ये भी पढ़ें-
COVID-19 के इलाज के नियमों को बदल सकता है ICMR, जल्द हो सकती है घोषणा: सूत्र