तेलंगाना: इस अस्पताल में पूरे राज्य से आ रहे मरीज लेकिन 120 मरीजों को देखने के लिए 8 डॉक्टर, प्रदर्शन जारी | Eight Doctors for 120 Patients in ICU Protest at Telangana s Nodal Covid Hospital Enters Third Day | nation – News in Hindi

हैदराबाद. तेलंगाना (Telangana) में कोविड-19 (Covid-19) के उपचार के लिए बनाए गए तेलंगाना नोडल अस्पताल में पिछले तीन दिनों से करीब 300 जूनियर डॉक्टर्स कोविड संक्रमित मरीज की मौत के बाद उसके परिवार वालों के हमले के बाद से बेहतर सुविधाओं और स्टाफ बढ़ाने को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
राज्य द्वारा संचालित गांधी अस्पताल को मामले बढ़ने के बाद कोरोना वायरस (Coronavirus) के मरीजों के उपचार के लिए विशेष तौर पर तैयार किया गया है.
पूरे राज्य से आ रहे मरीजअस्पताल में मरीजों की भारी तादाद के बारे में बताते हुए डॉक्टरों का कहना है कि उनकी पहली मांग अस्पताल में आने वाले मामलों/ मरीजों का विकेंद्रीकरण है. उन्होंने कहा कि यहां पूरे तेलंगाना राज्य से मरीज आ रहे हैं और अपर्याप्त स्टाफ के चलते डॉक्टर्स इस परेशानी को झेल पाने में परेशानियों का सामना कर रहे हैं.
8 डॉक्टर्स कर रहे 120 मरीजों की देखभाल
प्रदर्शन कर रहीं प्रिया नाम की एक डॉक्टर ने कहा कि हम 8 डॉक्टर्स हैं जो कि आईसीयू के 120 मरीजों की देखभाल करते हैं. यदि हम पेशेंट को क्रिटिकल केयर वॉर्ड से किसी दूसरे वॉर्ड में शिफ्ट करते हैं तो हमें ऑक्सीजन सपोर्ट देखनें में 40 मिनट का समय लगता है. पूरे राज्य के कोविड पेशेंट यहां लाए जा रहे हैं. हम कैसे इसे संभाल सकते हैं. क्यों उन्हें जिलों के अस्पतालों में नहीं रखा जा सकता.
तेलंगाना में मंगलवार देर रात को गांधी अस्पताल में कोविड-19 के चलते जान गंवाने वाले एक व्यक्ति के तीमारदारों ने जूनियर डॉक्टर्स और हेल्थकेयर स्टाफ पर हमला कर दिया था.
इन लोगों ने डॉक्टरों पर प्लास्टिक की कुर्सियों और लोहे के स्टूल से हमला किया जिसके बाद स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी जान बचाने के लिए कमरे में खुद को बंद कर लिया. डॉक्टरों ने कहा कि एक नर्स को इन सबमें कूल्हे में मामूली चोट आई है.
मरीज ने नहीं मानी थी डॉक्टर्स की बात
डॉ नरेश गुर्रम ने कहा कि 55 साल के मरीज को कई सांस संबंधी बीमारियां थीं. हमने उन्हें सलाह दी थी कि वह बिस्तर से कहीं न जाएं इसके बाद भी उन्होंने सीपीएपी मास्क (जिसे सांस लेने के लिए इस्तेमाल करते हैं) निकाल दिया और वॉशरूम चले गए. वहीं उनकी मौत हो गई.
इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन इससे डॉक्टरों को किसी भी तरह की राहत नहीं मिल सकी है. गांधी अस्पताल में इस तरह की यह दूसरी घटना है. पहले हमले के बाद, हैदराबाद शहर के पुलिस आयुक्त ने ऐसी किसी भी अप्रिय घटना के फिर से घटने से बचने के लिए अस्पताल में सुरक्षा बलों को तैनात किया था.
बुधवार को, लगभग 200 डॉक्टर अस्पताल से बाहर सड़कों पर आ गए और मांग की कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव उनकी मांगों को पूरा करें.
डॉक्टरों की हैं ये मांगें
अस्पताल में सुरक्षा बढ़ाने की मांग के अलावा, उनकी अन्य मांगों में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले सुरक्षात्मक गियर, राज्य भर में उचित स्वास्थ्य केंद्र और राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहकार समिति में एक जूनियर डॉक्टर की नियुक्ति शामिल हैं.
एक अन्य डॉक्टर ने कहा, ‘फिलहाल किसी भी मरीज को आईसीयू में शिफ्ट करने में तीन घंटे लग रहे हैं. ड्यूटी पर जाने वाले डॉक्टरों को यह देखने और जांचने की जरूरत है कि किस मरीज की हालत स्थिर है और उसे बाहर निकाला जा सकता है, ताकि अगला मरीज अंदर आ सके. अस्पताल में आईसीयू लगभग भरा हुआ है.
प्रशासन कर रहा ये दावा
प्रशासन ने हालांकि कहा है कि सभी सरकारी अस्पताल संकट से निपटने के लिए तैयार हैं. अधिकारियों के अनुसार, गांधी अस्पताल में 2,000 रोगियों को संभालने की क्षमता है. गुरुवार को गांधी अस्पताल में लगभग 450 मरीज थे – जिनमें से सभी का इलाज कोरोनोवायरस के लिए किया जा रहा है.
स्वास्थ्य मंत्री एटाला राजेंद्र, जो गुरुवार को आंदोलनकारी डॉक्टरों से मिले, ने सभी मुद्दों को हल करने की बात कहते हुए एक ट्वीट किया और डॉक्टरों ने हड़ताल को बंद कर दिया.
हालांकि, अस्पताल के जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा कि उनकी मांग पूरी नहीं हुई है और हड़ताल जारी रहेगी. इस बीच, वरिष्ठ प्रोफेसर और संकाय सदस्य अस्पताल में भर्ती मरीजों की देखभाल कर रहे हैं.
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