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मिट्टी के सामान बनाने वाले कुम्हारों के लिए नवरात्र का सीजन लॉकडाउन के चलते इस वर्ष भी रहेगा सुना, कोरोना महामारी फिर बना कारोबारियों के लिए जी का जंजाल

✍️ गौतम साहू/मुदस्सर मोहम्मद
*बेमेतरा:-* बेमेतरा ज़िले के कुम्हार जातियों के लिए चैत्र नवरात्र के अवसर पर होने वाले कारोबार के चौपट होने का संकट मंडरा रहा है।जिसमे कई दिनों की कड़ी मेहनत से तैयार मिट्टी के कलश व ज्योत अब ज़िले में लॉकडाउन लग जाने से कबाड़ होने की आशंका गहरा रही है।जिसके चलते मिट्टी के सामान बनाने वाले कुम्हार परेशान है।फलस्वरूप वर्तमान वर्ष भी पिछली बार की तरह कुम्हार जाति के मूलवासियो के नुकसानदायक बन सकता है।
गौरतलब हो कि पिछले साल कोरोना के दस्तक होने से ज़िले सहित पूरे देशभर तालाबन्दी की गई थी।जिसके चलते कुम्हार अपने मिट्टी के ज्योति-कलश नही बेच पाए थे।क्योंकि इस दौरान किसी भी प्रकार के सार्वजनिक व सामुहिक कार्यक्रम पर ज़िला प्रशासन द्वारा कोविड-संक्रमण को देखते हुए पाबन्दी लगा दी गयी थी।चूंकि वर्तमान समय मे पिछले बरस जैसी स्थिति बन रही है।आगामी कुछ दिनो बाद नवरात्रि का सीजन शुरू हो जाएगा।जिसमे ज़िले के कुम्हार मिट्टी के ज्योत-कलश को बेच नही पाएंगे।ततपश्चात जिलेभर के कुम्हारों को अब लॉकडाउन हटने का इंतज़ार करना पड़ सकता है।जबकि तबतक नवरात्र का सीजन ही ख़त्म हो जाएगा।जिससे सारे मिट्टी के कलश बिना काम के हो जाएंगे।लिहाजा काफी नुकसान व परेशानी भी ज़िले के कुम्हारों को लॉकडाउन के दौरान होने के आसार नज़र आ रहे है।

*अक्षय तृतीया पर भी मण्डरा रहा गम्भीर संकट*
चूंकि चैत्र नवरात्र के बाद अक्षय तृतीया भी कुम्हार जातियों के बड़ा सीजन माना जाता है।जिसमे भी अब संकट के बादल घिरते नज़र आ रहे है।अगर बेमेतरा ज़िले में कोविड-19 संक्रमण की स्थिति नही सुधरी तो लॉकडाउन काफी लंबा खींच सकता है।जिससे कुम्हारों का दूसरा सीजन भी खाली हाथ चला जायेगा।ज्ञात हो कि कुम्हार जाति के लोग मिट्टी के विभिन्न प्रकार के सामान बनाकर अवसर विशेष पर बेचते है, जिससे उनके देनिक दिनचर्या चलती है।जिसमे चैत्र, नवरात्र, शारदीय नवरात्र, अक्षय तृतीया, दीपावली, गणेश चतुर्थी सहित पर्व, समारोह एवं शादी के सीजन में उनके सुसज्जित सामानों की खूब खरीददारी होती है, जो वर्तमान परिस्थितियों में अब मुश्किल में नज़र आ रही है।

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