छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

दो वर्षीय पुत्र को जमीन पर पटक कर कर दी हत्या

न्यायालय ने सुनाइ दस साल की सजा, अब हाईकोर्ट में दी जायेगी चुनौती

दुर्ग। लगभग डेढ वर्ष पूर्व एक सौतेले पिता द्वारा अपने 2 साल के मासूम को पटक कर हत्या करने के आरोपी को जिला न्यायालय द्वारा 10 साल कारावास एवं तीन सौ रूपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है।

कैलाशनगर निवासी अरविन्द यादव 27 वर्ष एक परित्यकता महिला पल्लवी को चूड़ी पहना कर अपनी पत्नी का दर्जा दिया था। पल्लवी के पहले पति से एक छोटा सा बच्चा था। पल्लवी उस बच्चे को अपने से अलग नही रखना चाहती थी। अरविन्द उर्फ अर्जुन यादव को अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाने में बच्चे के कारण व्यवधान होता था। 1 अगस्त 2017 को पत्नी और पति में विवाद हुआ। उसके बाद पत्नी अपने सास के कमरे में आ गई। पति अरविन्द ने पल्लवी को बुलाया पल्ली नही गई तो अरविन्द आकर अपनी पत्नी की गोद से बच्चा को उठा ले गया इस दौरान बच्चा रोने लगा लेकिन कुछ ही देर में बच्चे के रोने की आवाज नही आने पर पत्नी को अनहोनी की आशंका होने पर वह अपने पति के कमरे मे गई जहां फर्श पर उसका बच्चा आयुष चित्त पड़ा हुआ था और उसकी सांसे थम गई थी। उसके बाद जब पल्लवी चिखने लगी तो अरविन्द का भाई आया और बच्चे को उठाकर अस्पताल ले गया जहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया और पोष्टमार्टम में बच्चे की मौत सर में चोट लगना बताया गया था। पुलिस ने बच्चे के हत्या के आरोप में अरविन्द को गिरफ्तार कर लिया। पिछले डेढ वर्ष से केस चलने के दौरान पुलिस द्वारा इस हत्या के गवाह के रूप में आरोपी की पत्नी और उसके भाई को गवाह बनाया था लेकिन बाद में ये दोनो अपने बयान से मुकर गये जिससे यह साबित नही हो पाया कि बच्चे की हत्या अरविन्द ने ही की है। इसका लाभ आरोपी को मिला। फिर भी घटना के समय आरोपी के अलावा वहां कोई नही था इसलिए बच्चे के मौत का जिम्मेदार अरविन्द को ही मानते हुए न्यायाधीश विवेक कुमार तिवारी ने आरोपी को 10 साल की कारावास की सजा सुनाई है और 3 सौ रूपये जुर्माना लगाया है। जुर्माना नही पटाने पर एक साल अतिरिक्त सजा भुगतने की सजा दी है।

हाईकोर्ट में अब देंगे चुनौती-अति.लोक अभियोजक

अतिरिक्त लोक अभियोजक फ रिहा अमीन ने बताया कि इस प्रकरण में बहुत सारे ऐसे तथ्य हंै जिससे साबित होता है कि अरविन्द ने मासूम आयुष की हत्या की है। न्यायालय ने प्रत्यक्षदर्शी नहीं होने और गवाहों के पक्षद्रोह होने का आरोपी को लाभ दिया है। आरोपी को हत्या की धारा के तहत सजा दिलाने के लिए फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

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