देश दुनिया

होम आइसोलेशन पर पीड़ित बोले, कैसा सरकारी इलाज, परिवार की कोरोना जांच के लिए खर्च किए 41 हज़ार, Ground zero reality of home isolation-home quarantine of covid19 patients in delhi-mp-up government-arvind kejriwal-coronavirus-delhi hospitals-dlop | delhi-ncr – News in Hindi

नई दिल्ली. कोरोना (Covid19) के तेजी से बढ़ते मामलों के बाद दिल्ली सहित यूपी, मध्य प्रदेश और अन्य राज्य सरकारें लगातार होम आइसोलेशन (Home Isolation) पर जोर दे रही हैं. इसके लिए व्यवस्थाओं के दावे भी किये जा रहे हैं. अकेले यूपी में ही आधा अप्रैल बीतने तक साढ़े चार लाख से ज्यादा लोगों को होम क्वेरेन्टीन किया गया था. वहीं मध्य प्रदेश में भी होम आइसोलेशन में भेजे गए लोगों का आंकड़ा लाखों में है. इतना ही नहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) भी होम आइसोलेशन के दौरान लोगों का टेलीमेडिसिन (Tele-medicine) के माध्यम से इलाज का दावा कर रहे हैं. वहीं दिल्ली सरकार के आंकड़ों पर गौर करें तो दिल्ली में 60 फ़ीसदी से भी ज्यादा कोरोना के मरीज आज होम आइसोलेशन में रहकर इलाज करा रहे हैं.

केंद्र सरकार के परिवार एवं स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन्स के अनुसार संक्रमण के लक्षण हल्के होने या न होने पर ही व्यक्ति को होम आइसोलेशन में भेजा जाता है. हालांकि संक्रमण बढ़ने पर मरीजों को तत्काल क्वेरेन्टीन सेंटर या अस्पतालों में भेजने का भी प्रावधान है.

ऐसे में न्यूज़ 18 हिंदी ने होम आइसोलेशन में रह रहे और कोरोना से उबर चुके पीड़ितों से होम आइसोलेशन के अनुभवों पर पड़ताल की. साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश की कि होम क्वेरेन्टीन से लोगों को लाभ है या परेशानियां हो रही हैं.

पहले मैं फिर परिवार के 8 लोग हुए कोरोना पॉज़िटिव, खुद 41 हजार खर्च कर कराई जांच दिल्ली के पटेल नगर में रह रहे रमन अरोड़ा (बदला हुआ नाम) ने बताया, ‘मुझे अपनी सर्जरी करानी थी इसके लिए मैं दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में गया जहां मुझे कहा गया कि पहले कोरोना टेस्ट कराना होगा. 16 मई को मैंने टेस्ट कराया तो कोरोना पॉजिटिव आया. क्योंकि मुझमें कोरोना के लक्षण नहीं थे इसलिए मैं अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ और घर पर ही एक कमरे में बंद हो गया.

22 मई को मेरे पास दिल्ली स्वास्थ्य विभाग से फोन आया और मुझे घर पर ही रहने की सलाह दी गई. इसके बाद जब घर में कई लोगों को खांसी-जुकाम हुआ तो मैंने उनसे परिवार वालों की कोरोना जांच करने की मांग की. लेकिन उन्होंने कहा कि उनके पास जांच के लिए संसाधन नहीं हैं. तब मैंने कहा कि जब आप कुछ कर ही नहीं सकते तो सिर्फ फोन क्यों कर रहे हैं.

फिर मैंने एक निजी अस्पताल में फोन कर सभी परिजनों की कोरोना जांच कराई, एक बेटी को छोड़कर सभी पॉज़िटिव निकले. इसके लिए मुझे 41 हज़ार रुपये चुकाने पड़े.’

कोरोना पॉज़िटिव होने पर कूड़ा ले जाने से गाड़ी ने किया मना, रात में खुद डालकर आते थे कूड़ा

रमन कहते हैं, ‘हम सभी होम आइसोलेशन में रहने लगे तो सब पड़ोसियों को भी पता चल गया. एक दिन जब नगर निगम की कूड़ा उठाने वाली गाड़ी आई तो उन्होंने हमारा कूड़ा-कचरा ले जाने से मना कर दिया. इसके बाद मैं खुद देर रात 11 बजे के बाद घर के कचरे को पॉलीथिन में बन्द करके, उस पर ‘कोरोना पीड़ित का कचरा’ की स्लिप लगा के कूड़ाघर में फेंकने जाता था.

बीमारी के दौरान किसी सिविल डिफेंस वाले ने हमारी मदद नहीं की. मेरे जानने वाले और दोस्त हमें घर पर सामान देकर जाते थे, हम उनका ऑनलाइन पेमेंट करते थे.’

बुजुर्ग माँ का हुआ है लिवर ट्रांसप्लांट, इंजेक्शन के लिए भटकते रहे

कोरोना पॉज़िटिव रहीं दीपा (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि अस्पताल में पड़े रहने से तो होम क्वेरेन्टीन सही है लेकिन कुछ दिक्कतें भी हुईं. जब भी दिल्ली सरकार की ओर से फोन आता था तो वे दवा बता देते थे, हमने कहा कि ये दवाएं हम कहाँ से लें, जबकि हम सब तो होम आइसोलेशन में हैं और बाहर निकल नहीं सकते तो वे कहते थे कि किसी से मंगा लो.

मेरी माँ 70 साल की हैं और उनका लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है तो इंजेक्शन लगना था, साथ ही कोरोना पॉज़िटिव भी थीं, जब हमने स्वास्थ्य विभाग के हेल्पलाइन पर कॉल कर इंजेक्शन लगवाने की मांग तो उन्होंने कोई मदद नहीं की. काफी दिन झेलकर, ठीक होने के बाद उनका इंजेक्शन छह हजार रुपये खर्च कर एक प्राइवेट अस्पताल में लगवाना पड़ा है.

होम आइसोलेशन ठीक लेकिन दोबारा जांच के लिए सरकार कर रही मना

वहीं द्वारका स्थित पालम कॉलोनी में होम आइसोलेशन मैं रह रहे मनोज (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि वह अपनी पत्नी और एक साल के बच्चे के साथ कोरोना पॉजिटिव पाए गए इसके बाद से ही वह होम आइसोलेशन में रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार की ओर से स्वास्थ्य विभाग की टीम उन्हें रोजाना फोन करती है और हाल-चाल पूछती है. साथ ही सिविल डिफेंस के लोग भी मदद के लिए सामने आए हैं, लेकिन रोजाना के सामान के लिए उन्हें पड़ोसियों से मदद मांगनी पड़ती है.

उनके परिवार में किसी में कोरोना के खास लक्षण नहीं थे लिहाजा उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया लेकिन छोटा बच्चा परेशानी नहीं बता सकता इसलिए आइसोलेशन में रहते हुए जब उन्होंने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग से क्वॉरेंटाइन पीरियड के दौरान बच्चे की दोबारा जांच करने की मांग की तो उन्होंने मना कर दिया. कई बार मांग करने के बाद उन्हें कहा गया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनका आइसोलेशन पीरियड पूरा होने पर फोन आएगा. तब वह अपनी वास्तविक स्थिति बता दें. अगर जरूरी लगा तो उनकी जांच कराई जाएगी. इस पर मनोज कहते हैं कि बिना लक्षणों के भी सिर्फ जांच ना होने के चलते वह 20 दिन से ज्यादा का आइसोलेशन पीरियड काट रहे हैं.

होम क्वेरेन्टीन करने के बाद नहीं ली खोज खबर

उत्तर प्रदेश के आगरा निवासी रवि (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि उनके एक परिजन कोरोना पॉज़िटिव हो गए, जिसके बाद सभी घरवालों को होम क्वेरेन्टीन कर दिया गया. लेकिन उसके बाद से न तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई फोन आया न ही दोबारा जांच के लिए कोई सैम्पल लिए गए. 14 दिन तक खुद ही क्वेरेन्टीन रहने के बाद हम सभी ने घर से बाहर आना-जाना शुरू किया.

होम आइसोलेशन को लेकर ये है दिल्ली सरकार का दावा

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार दावा कर रहे हैं कि हल्के लक्षणों वाले लोग होम आइसोलेशन में रहकर ही इलाज कराएं. सीएम ने 6 जून को ही दावा किया है कि दिल्ली में कोरोना मरीजों के लिए 8648 बैड उपलब्ध हैं, जिनमें से 4038 बैड पर कोरोना मरीज भर्ती हैं जबकि 4607 बैड अभी खाली हैं.

दिल्ली सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में कोरोना के 263034 केस हैं, जिनमें से 10315 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं. 708 मरीजों की मौत हो चुकी है वहीं बचे हुए 15,300 में से करीब चार हज़ार मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं. जबकि 11 हज़ार से ज्यादा कोरोना पीड़ितों को होम आइसोलेशन में रखा गया है.

दिल्ली सरकार की ओर से दावा किया गया है कि होम आइसोलेशन में इन मरीजों की पर्याप्त देखभाल की जा रही है. सरकार इनकी लगातार निगरानी कर रही है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीमें बनाई गई हैं. सिविल डिफेंस की ओर से भी लोग कोरोना पीड़ितों को राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं. टेलीमेडिसिन के जरिये इलाज के लिए दिल्ली सरकार ने डॉक्टरों की टीम गठित की है जो रोजाना इन मरीजों की तबियत की अपडेट ले रही है.

इतना ही नहीं मुख्यमंत्री केजरीवाल की ओर से हाल ही में एक वीडियो भी जारी किया गया है जिसमें उन्होंने होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों को सावधानी बरतने और सुरक्षा उपाय करने के तरीके बताए हैं.

News18hindi ने दिल्ली के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को 7 जून को ईमेल भेजकर लोगों के आरोपों पर जवाब मांगा लेकिन 10 जून को खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया. जवाब आते ही हम उसे लगा देंगे.

विशेषज्ञ बोले, ज़रूरी मशीनें हों लोगों के पास तो होम ट्रीटमेंट है 90% बेहतर

होम आइसोलेशन पर सीएमएएओ (CMAAO) के प्रेसिडेंट और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पूर्व प्रेसिडेंट के.के अग्रवाल ने न्यूज़ 18 हिंदी को बताया,’कोरोना से उपचार के लिए हमारी भाषा में होम ट्रीटमेंट बेहतर है. 100 में से 90 लोग होम ट्रीटमेंट से ठीक हो सकते हैं लेकिन इसके लिए दो बेहद ज़रूरी मशीनें हैं, ऑक्सिजन कंसेंट्रेटर और ऑक्सीमीटर. ताकि आप होम हॉस्पिटल, होम आईसीयू या होम वार्ड बना सकें. किसी भी राज्य सरकार को ये मशीनें होम आइसोलेशन के दौरान मरीजों को देनी चाहिए. इनकी कीमत भी करीब 50 हज़ार तक होगी. लिहाजा सुविधाओं के साथ होम ट्रीटमेंट पूरी तरह कारगर है.

ये भी पढ़ें: 

टिड्डी हमला: हर साल होती हैं 6 बैठकें, फिर भी इस ‘दुश्मन’ को मारने में दिलचस्पी नहीं दिखाता पाकिस्तान!

PM-Kisan Scheme: एक स्पेलिंग ने किसानों के डुबोए 4200 करोड़ रुपये! जानिए, कैसे ठीक होगी गलती



Source link

Related Articles

Back to top button