नस्लवाद में जिस क्लाइव की मूर्ति हटाने की हो रही मांग, उसने बनाया था भारत को गुलाम। know about robert clivem whom statue removing demand from anti resist demonstrators in england | britain – News in Hindi
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भारत में क्लाइव की मूर्तियां म्युजियम से लेकर चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में हैं. हमारे यहां भी वो मूर्तियां हटाई जानी चाहिए. क्योंकि क्लाइव वो व्यक्ति था, जिसने हमेशा भारतीयों को निम्न दर्जे और गुलाम देश होने लायक माना है, ये वही शख्स है, जिसकी धूर्तता के कारण हम 200 सालों तक गुलाम रहे और अंग्रेज हमारी दौलत लूटकर ब्रिटेन ले जाते रहे.
बेशक भारत में कभी राबर्ट क्लाइव के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठी हो लेकिन उसी के देश में अब उसे नस्लवाद का प्रतीक माना जा रहा है. वहां सैकड़ों लोग इसके लिए आनलाइन मुहिम चला रहे हैं. उसी ने ब्रिटिश हुकूमत के पैर भारत में मजबूत किए थे. उसी के राज में भारतीयों की हालत लगातार खराब होती चली गई. ब्रिटेन में उसे अर्से से इसलिए सम्मान से देखा जाता रहा क्योंकि उसने भारत को गुलाम बनाया था.
लाखों भारतीयों की मौत का गुनहगार है रॉबर्ट क्लाइवअब ब्रितानी खुद क्लाइव ऑफ इंडिया की मूर्तियां हटाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उसकी मूर्ति को लगाए रखना ऐतिहासिक गलती होगी. इसमें ब्रिटेन में रहने वाले कुछ भारतीय भी शामिल हैं. क्लाइव की मूर्ति लंदन में श्रेयसबुरी में है, इसके अलावा भी इंग्लैंड में उसकी मूर्तियां लगी हैं. यूं तो भारत में अंग्रेजों के शासनकाल में लाखों-करोड़ों लोग मारे गए लेकिन खुद राबर्ट क्लाइव लाखों भारतीयों की मौत का गुनहगार है.
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रॉबर्ट क्लाइव ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा भारत में नियुक्त होने वाला पहला गवर्नर था. कम्पनी ने उसको 1757 में बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया था. भारत को 200 सालों तक गुलाम रखने वाला असली शख्स यही था. ये भारतीय दोयम दर्जे का समझता था.
उस पर फिल्म भी बन चुकी है ‘क्लाइव ऑफ इंडिया’
इस क्लाइव पर ब्रिटेन में 1935 में एक फिल्म भी बनी थी. उस फिल्म का नाम था क्लाइव ऑफ इंडिया. अगर ये शख्स नहीं होता, तो शायद भारत को 200 सालों तक अंग्रेजों की गुलामी न करनी पड़ती. उसी की वजह से भारत को इतने लंबे समय तक ना केवल दुर्दिन का सामना करना पड़ा बल्कि उसकी अकूत दौलत और संपदा बाहर चली गई.
क्रूर, पत्थरदिल और अत्याचारी था
राबर्ट क्लाइव के बारे में कहा जाता है कि वो बेहद क्रूर. पत्थर दिल. अत्याचारी था. वो परले दर्जे का अफीम का लती था. उसका दिमाग कभी ठिकाने पर नहीं रहता था. वह अपने फेसले लेने में कभी उचित और अनुचित का विचार नहीं करता था. वो तुनकमिजाज था. कई इतिहासकार उसे ‘साइकोपैथ’ यानि मनोरोगी भी कहते हैं.
लॉकेट में एक लड़की की फोटो देखी और उससे प्यार हो गया
उसकी प्रेम कहानी भी गजब की थी. फिल्म में दिखाया गया कि दोस्त की लॉकेट में उसने एक लड़की की तस्वीर देखी और उससे उसको प्यार हो गया. फिर उसने उस लड़की मार्गरेट को भारत बुलवायाय. जब वो लड़की यहां आई तो उसने उससे शादी कर ली.
क्लाइव 1744 में ईस्ट इंडिया कंपनी का एजेंट बनकर मुंबई आया था. रास्ते में उसका जहाज खराब हो गया. ठीक होने में नौ महीने लग गए. इस बीच क्लाइव ने पुर्तगाली भाषा सीख ली. नियति थी. आगे ये उसके बहुत काम आई.
1707 में जब मुगल बादशाह औरंगजेब मरा तो मुगल साम्राज्य कमजोर पड़ने लगा. तीन बड़े इलाकों के सूबेदारों दक्षिण, उत्तर और बंगाल की ओर का हिस्सा कब्जे में ले लिया. सूबेदार ताकतवर हो गए थे. उस समय फ्रांस, पुर्तगाल, ब्रिटेन सबकी नजर थी भारत पर थी. उस समय फ्रांस की डच ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में अपने पैर पसारने की कोशिश कर रही थी.
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रॉबर्ट क्लाइव पर 1935 में एक फिल्म बनी क्लाइव ऑफ इंडिया. उसने एक लड़की की फोटो दोस्त के लॉकेट में देखा और उस मोहित हो गया. फिर उसने उस लड़की को भारत बुलाया और उससे शादी कर ली
फ्रांसीसियों के खिलाफ दिखाई थी बहादुरी, जिससे अंग्रेजों की नजरों में चढ़ा
फ्रांस मजबूत था. मद्रास पर अंग्रेजों का प्रभाव था. यहां फ्रेंच सेना ने अंग्रेजों पर हमला किया. अंग्रेज हार गए. क्लाइव ने बड़ी बहादुरी दिखाई. फिर बड़ी चालाकी से वेश बदलकर भाग गया. यहीं से उसकी किस्मत बदलने लगी. इसी के दम पर वो ब्रिटिश सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बन गया. हालांकि उसकी बचपन की कहानी बताती है कि पढ़ने लिखने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं थी. वो शायद ही कभी अपने स्कूल की किताबें खोलता भी था. हमेशा उसका ध्यान खेलकूद में लगा रहता था.
मीरजाफर को अपनी ओर करने की साजिश रची थी
क्लाइव को सबसे बड़ी पहचान मिली बंगाल में. 1756 में अलीवर्दी खां के बाद सिराजुद्दौला बंगाल के नवाब बने. नवाब की फौज ने कासिमबाजार पर हमला किया. अंग्रेज हार गए. इसके बाद अंग्रेजों की ओर से कलकत्ता पर दोबारा कब्जा करने के लिए क्लाइव को भेजा गया. क्लाइव को सफलता मिली. इसके लिए उसने नवावब सिराजुद्दोला के सेनापति मीर जाफर को अपनी ओर मिला लिया.
मीर जाफर और क्लाइव के बीच समझौता हुआ. इसमें ये तय हुआ कि अगर मीर जाफर बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हरवा देगा तो उसे अंग्रेज बदले में बिहार, बंगाल और ओडिशा (तत्कालीन उड़ीसा) की नवाबी दे देंगे. मीर जाफर तैयार हो गया.
..और प्लासी की उस लड़ाई में हार ने भारत की तकदीर बदल दी
21 जून, 1757 को प्लासी के युद्ध में क्लाइव और नवाब सिराजुद्दौला की फौजों के बीच मुकाबला हुआ. नवाब का भारी लग रहा था. लेकिन मीर जाफर की साजिशों के चलते नवाब हार गए. सिराजुद्दौला को मार दिया गया. इस लड़ाई ने हिंदुस्तान की तकदीर बदल दी. ये लड़ाई अंग्रेजों ने बहादुरी से नहीं बल्कि धोखेबाजी, साजिश, सौदेबाजी और रिश्वतखोरी से जीती थीं. ये सब क्लाइव की शख्सियत में शामिल थीं.
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रॉबर्ट क्लाइव का मन पढ़ाई-लिखाई में कभी नहीं लगता था. उसे बचपन में उदंड समझा जाता था. किसी तरह उसने मद्रास के बंदरगाह पर आकर क्लर्क के रूप में काम शुरू किया. फिर ब्रिटिश सेना में सैनिक के पद से बहुत ऊंची पोजिशन पर पहुंचा. हालांकि इतिहासकार उसे अपराधी दिमाग वाला साजिशकर्ता ज्यादा मानते हैं
भारतीयों को हिकारत से देखता था, ईस्ट इंडिया कंपनी को किया बुलंद
कहा जाता है कि क्लाइव क्रिमिनल दिमाग का शख्स था, जो असल में भारतीयों को हमेशा हिकारत से देखता था. बाद में उसने जगह-जगह भारतीयों की नीचा भी दिखाया. बंगाल की जीत अंग्रेजों के लिए मील का पत्थर साबित हुई. इसके बाद ही ईस्ट इंडिया कंपनी का सितारा भारत में बुलंद होता गया. अंग्रेजों ने उसके बाद यहां करीब 200 सालों तक राज किया. इस सबकी नींव असल में राबर्ट क्लाइव ने रखी थी.
ये क्लाइव ही था, जिसने कमजोर शासकों की पीठ पर सवार होकर कंपनी के पैर जमाने की रणनीति बनाई थी. इस रणनीति को अंग्रेजों ने आगे भी खूब भुनाया. इसी क्लाइव ने अंग्रेजों के लिए इलाहाबाद की संधि करवाने का मुकाम भी हासिल किया.
क्लाइव को भारत को खूब कंगाल किया
क्लाइव ने भारत को खूब कंगाल किया. सबसे ज्यादा बर्बाद किया बंगाल को. उसके शैतानी कदम भारत में पड़ने के बाद इस देश के दुर्दिन आ गए. माना जाता है कि तब बंगाल ब्रिटेन से ज्यादा अमीर था. इसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने खूब लूटा. क्लाइव ने अपने समय में ऐसे नियम बनाए, जिससे फायदे के सारे व्यापार पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया, उसने अंग्रेज अफसरों को व्यापार करने की भी छूट दी. सबने मिलकर खूब मुनाफा कमाया.
भारत से अकूत संपत्ति लेकर इंग्लैंड लौटा था
क्लाइव के बारे में कहा जाता है कि उसने देश में खूब भ्रष्टाचार किया. ऊंची कीमतों के तोहफे बटोरे. खूब दौलत बनाई. जब वो वापस ब्रिटेन लौटा, तो उसके पास अकूत खजाना था. उसने दो करोड़ से ज्यादा की संपत्ति बनाई. इसकी आज कीमत दो अरब से ज्यादा होगी.
सबसे ज्यादा भारत में लूट उसी के दौर में हुई. ये भारत में ही की गई लूट थी, जिससे वो यूरोप का ऐसा सबसे अमीर इंसान बन गया था. हालांकि ईस्ट इंडिया कंपनी को भी उसने मोटा पैसा कमाने में मदद की.उस पर ब्रिटेन में भ्रष्टाचार का मुकदमा चला लेकिन अपने ऊंचे संपर्कों के चलते उसे बाइज्जत बरी कर दिया गया. उसके पास अपने हर गलत काम के लिए हैरान कर देने वाले तर्क थे.
उसने बंगाल को अकाल में झोंक दिया था
आधुनिक इतिहासकार क्लाइव की बहुत छीछालेदर करते हैं. अत्याचारों के लिए उसकी बहुत आलोचना होती है. बुनकर गरीब हो गए. किसान बर्बाद हो गए. बंगाल में अंकाल के दौरान एक करोड़ से ज्यादा लोग मर गए. माना जाता है कि बंगाल में जो अकाल आया, उसके लिए काफी हद तक राबर्ट क्लाइव की नीतियां जिम्मेदार थीं. इन हत्याओं की सबसे बड़ी जिम्मेदारी क्लाइव के ही सिर है.
बाद में कर ली आत्महत्या
भारत से रिटायर होने के बाद क्लाइव ब्रिटिश संसद पहुंचा. लेकिन उसकी करतूतों पर संसद में उसके साथी उसे खूब खरी-खोटी सुनाते थे. 1774 में उसने आत्महत्या कर ली. एक छोटे चाकू से उसने खुद अपना गला काट लिया. हालांकि वो बहुत कड़ी सजा के काबिल था. इंग्लैंड में उसे हमेशा नायक की तरह देखा गया. जबकि वो मानवता का बहुत बड़ा अपराधी माना जाएगा. अगर ब्रिटेन में उसकी मूर्ति हटाने की मांग हो रही है तो ये सही ही है.
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