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मनरेगा को BJP Vs कांग्रेस न बनाएं, इससे करें गरीबों की मदद- सोनिया गांधी | Dont make MNREGA BJP Vs Congress help the poor by this says Sonia Gandhi | nation – News in Hindi

मनरेगा को BJP Vs कांग्रेस न बनाएं, इससे करें गरीबों की मदद- सोनिया गांधी

सोनिया गांधी की फाइल फोटो

कांग्रेस (Congress) की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi)ने लिखा है कि- कांग्रेस द्वारा स्थापित सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी PDS के साथ मनरेगा गरीब और कमजोर नागरिकों को भूख और गरीबी से बचाने के लिए बहुत ही लाभकारी है.

नई दिल्ली. कांग्रेस (Congress) की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कहा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 2005 (mgnrega)क्रांतिकारी और तार्किक बदलाव का उदाहरण है. इस कानून ने गरीब से गरीब शख्स के हाथों का काम और आर्थिक ताकत देकर भूख और गरीबी को मिटाने के काम किया है. सोनिया ने कहा कि यह तार्किक इसलिए है क्योंकि यह पैसा सीधा उन लोगों के हाथ में जाता है जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के लिए लिखे गए लेख में सोनिया ने कहा कि ‘यह भारतीय जनता पार्टी बनाम कांग्रेस (Bjp VS Congress)का मुद्दा है ही नहीं. भारत के जनता की मदद करने के लिए मनरेगा का इस्तेमाल करिए.’

सोनिया ने कहा कि मोदी सरकार ने मनरेगा की आलोचना की और इसे कमजोर करने की कोशिश की लेकिन आखिर में इसके लाभ, सार्थकता और तर्क को स्वीकार करना पड़ा. मौजूदा केंद्र सरकार और उससे पहले 6 साल भी सरकार के लिए मनरेगा उपयोगी साबित हुई.

कांग्रेस पार्टी ने जनता की इस आवाज को सुना
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष ने लिखा है कि- कांग्रेस द्वारा स्थापित सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी PDS के साथ मनरेगा गरीब और कमजोर नागरिकों को भूख और गरीबी से बचाने के लिए बहुत ही लाभकारी है. खासतौर से कोरोना महामारी के दौरान इसकी उपयोगिता साबित हुई. सोनिया ने लिखा कि सितंबर 2005 में संसद ने जिस मनरेगा कानून को पास किया वह एक जनआंदोलन और सिविल सोसाइटी की आवाजों का परिणाम है. कांग्रेस पार्टी ने जनता की इस आवाज को सुना और इसे कानून के रूप में पेश किया.लेख में सोनिया ने लिखा कि- भारत के गांवों में रहने वाले किसी भी नागरिक को इस कानून के जरिए कम से कम 100 दिन का काम मांगने का अधिकार है और इससे जरिए सरकार उसे न्यूनतम मजदूरी के साथ कम से कम 100 दिन काम दिये जाने की गारंटी होगी. इसकी उपयोगिता बहुत जल्दी साबित भी हुई. यह जमीनी स्तर पर मांग द्वारा संचालित, काम का अधिकार देने वाली योजना है जो अद्भुत है और इसका उद्देश्य है कि गरीबी मिटाई जा सके. मनरेगा की शुरुआत के बाद 15 साल के भीतर इस योजना से लाखों लोग भूक और गरीबी से बाहर निकले.

महात्मा गांधी की बात से मनरेगा को बताया उदाहरण
सोनिया ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए लिखा है – जब आलोचना किसी आंदोलन को दबाने में असफल हो जाती है तो उसको स्वीकृति और सम्मान मिलने लगता है.’ आजाद भारत में राष्ट्रपिता की इस बात को साबित करने के लिए मनरेगा से अच्छा कोई उदाहरण नहीं है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मनरेगा को कांग्रेस के विफलता का स्मारक कहे जाने को याद करते हुए सोनिया ने लिखा कि – पद संभालने के बाद पीएम मोदी को भी यह एहसास हुआ कि मनरेगा बंद किया जाना व्यावहारिक नहीं है. इसलिए उन्होंने इस योजना को कांग्रेस पार्टी की विफलता का जीवित उदाहरण तक कह दिया. बीते सालों में मोदी सरकरा ने मनरेगा को खत्म करने, इसे कमजोर बनाने की पूरी कोशिश की लेकिन मनरेगा के प्रहरियों और विपक्ष के दबाव ने इसे जिन्दा रखा.



First published: June 8, 2020, 9:33 AM IST



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