देश दुनिया

अगर मांग में नहीं हुआ सुधार तो इस सेक्‍टर में जाएंगी हजारों नौकरियां – ACMA said, If demand does not improve then thousands of jobs will go in auto sector | auto – News in Hindi

जल्‍द मांग में नहीं हुआ सुधार तो ऑटो कंपोनेंट सेक्‍टर में भी छिनेंगी हजारों नौकरियां

कोरोना महामारी के कारण ऑटो कंपोनेंट सेक्‍टर में मांग काफी घट गई है. अगर मांग में जल्‍द सुधार नहीं हुआ तो हजारों लोगों की नौकरी जा सकती है.

ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्‍युफैक्‍चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) के मुताबिक, कोरोना वायरस के कारण देश की जीडीपी (GDP) में 2.3 फीसदी का योगदान करने वाले ऑटो कंपोनेंट सेक्‍टर (Auto Component Sector) में मांग बहुत कमजोर है. ऐसे में कंपनियों को कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ेगी.

नई दिल्‍ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण घटी मांग में सुधार नहीं होने पर ऑटो कंपोनेंट सेक्‍टर में बहुत बड़ी संख्‍या में लोगों की नौकरियां छिन (Job Loss) जाएंगी. ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्‍युफैक्‍चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) के मुताबिक, मांग पड़ी है और कर्मचारियों की संख्‍या पहले से ही ज्‍यादा है. ऐसे में ऑटो कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियों (Auto Component Companies) को अपना कारोबार बनाए रखने के लिए कर्मचारियों की छंटनी करने को मजबूर होना पड़ेगा. एसीएमए के अध्‍यक्ष दीपक जैन ने कहा कि मांग में सुधार होने तक इस सेक्‍टर में वित्‍तीय दबाव, नकदी प्रबंधन और नौकरियां जाने जैसी चिंताएं बनी रहेंगी.

एसीएमए ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण बने हालात से उबरने तक ऑटो कंपोनेंट सेक्‍टर में हालात ऐसे ही बने रहेंगे. उन्‍होंने कहा कि अगर कंपनियां पूरी क्षमता के साथ काम शुरू करती हैं तब भी उन्‍हें बाजार में मांग कमजोर (Lack of Demand) होने के कारण इतने कर्मचारियों की जरूरत नहीं होगी. ऐसे में हमारे ना चाहते हुए भी लोगों की नौकरियां जाना तय है. कंपनियों में अस्‍थायी कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे लोगों की नौकरियों पर भी खतरा बना रहेगा. अगर बाजार में मांग नहीं बढ़ी तो इनके भी बेरोजगार होने का जोखिम बढ़ जाएगा. बता दें कि भारत में ऑटो कंपोनेंट इंडस्‍ट्री का कोराबार करीब 57 अरब डॉलर का है. ये सेक्‍टर देश की जीडीपी में 2.3 फीसदी का योगदान करता है.

ये भी पढ़ें-कोरोना की दवा बनाने वाली इन दो कंपनियों का होगा विलय! AstraZeneca और Gilead में शुरू हुई बात

जैन ने कहा कि ऑटो इंडस्‍ट्री बॉडी सियाम (SIAM) पहले ही कोविड-19 से बने हालात के कारण ऑटो सेक्‍टर के कारोबार में 35 से 40 फीसदी गिरावट का अनुमान जता चुकी है. ऐसे में कारोबार दो साल में 50 फीसदी घट रहा है. अगर ऐसा हुआ और बाजार में मांग नहीं बनी तो लोगों की नौकरियों पर बुरा असर पड़ेगा. ऑटो कंपोनेंट इंडस्‍ट्री करीब 50 लाख लोगों को रोजगार देती है. पिछले साल इंडस्‍ट्री में 18 फीसदी लोगों की छंटनी की गई थी. वहीं, मौजूदा हालात में इस साल भी इस सेक्‍ टर में काम करने वाले 20 से 40 फीसदी लोगों की नौकरियां छिनने के आसार हैं.एसीएमए अध्‍यक्ष ने कहा कि पहले ही ये सेक्‍टर क्षमता से ज्‍यादा काम कर रहा है. वहीं, मौजूदा माहौल में अभी इसकी क्षमता बढ़ाने का कोई औचित्‍य नहीं है. उनके मुताबिक इस समय ऑटो कंपोनेंट इंडस्‍ट्री दबाव महसूस कर रहे शीर्ष 5 सेक्‍टर में एक है. इसके अलावा हॉस्पिटैलिटी और एविएशन सेक्‍टर भी कोविड-19 से बने हालात के कारण काफी दबाव में है. उन्‍होंने कहा कि कोरोना वायरस से उबरने के बाद ऑटो कंपोनेंट सेक्‍टर की वित्‍तीय हालत भी काफी खराब होगी. उन्‍होंने सरकार की ओर से मदद के सवाल पर कहा कि ऑटो उद्योग के रूप में हम लंबे समय से जीएसटी सुधार की मांग कर रहे हैं. साथ ही हम चाहते हैं कि सरकार स्‍कैपेज पॉलिसी लेकर आए.

ये भी पढ़ें-अब इस बैंक ने घटाईं ब्‍याज दरें, ग्राहकों को कम चुकानी होगी EMI

जैन ने कहा कि ऑटो सेक्‍टर में मांग बढ़ाने के लिए बैंकों को प्राथमिकता के आधार पर ऑटो लोन बांटने चाहिए. साथ ही ऑटो डीलर्स औरर सर्विस स्‍टेशंस को एमएसएमई अधिनियम के तहत लाया जाना चाहिए. एसीएमए के महानिदेशक विनी मेहता ने कहा कि सरकार ने एमएसएमई सेक्‍टर को राहत देनने वाली कई घोषणाएं की हैं. अब सरकार को हजारों की संख्‍या में रोजगार के अवसर पैदा करने वाले बड़े उद्योगों के पूंजी संकट पर भी ध्‍यान देना चाहिए. अगर सरकार हमारे कर्मचारियों के वेतन व भत्‍तों के कुछ अंश का भुगतान कर देती है तो ऑटो कंपोनेंट सेक्‍टर को काफी मदद मिल जाएगी. उन्‍होंने कहा कि जर्मनी, जापान और अमेरिका में सरकार अपने उद्योगों की संकट के दौर में मदद कर रही है.

ये भी पढ़ें-कोरोना संकट के बीच दुनिया में सबसे ज्‍यादा पाकिस्‍तान पर पड़ी महंगाई की मार



First published: June 7, 2020, 9:31 PM IST



Source link

Related Articles

Back to top button