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डबरी से मिला संयुक्त परिवार के पालन-पोषण का सहारा

डबरी से मिला संयुक्त परिवार के पालन-पोषण का सहारा : लॉकडाउन में सब्जी-भाजी, मछली पालन एवं धान की फसल से हुआ मुनाफा
जांजगीर-चांपा   06 जून 2020 कान्हा/अजय

कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लगाया गया तो संयुक्त परिवार के वयस्क सदस्य दिल्ली में फंस गये, जिनके द्वारा दिए जाने वाले पैसों से ही परिवार का गुजर-बसर चलता था। वे इस मुश्किल घड़ी में खुद परेशानियों का सामना कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर उनके 12 सदस्यीय परिवार के सामने भी संकट के बादल छा गये थे। इस मुश्किल घड़ी में उन्हें अगर कोई अपने बहुत करीब लगा तो वह महात्मा गांधी नरेगा से बनाई गई निजी डबरी थी। जिसने उन्हें इस संकट में संयुक्त परिवार को सहारा दिया।
जिले की जनपद पंचायत पामगढ़ से 16 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत खोखरी में रहने वाले श्री राजेश साहू जिनके यहां पर मनरेगा से निजी डबरी का निर्माण किया गया है। मनरेगा हितग्राही श्री राजेश के छोटे भाई श्री मदन साहू बताते हैं कि उनके परिवार में 12 सदस्य हैं। जिनकी संयुक्त रूप से 2.70 एकड़ जमीन है। इस जमीन से ही उनके पूरे परिवार का गुजर-बसर चलता है। उन्हें ग्राम पंचायत में आयोजित बैठक से मनरेगा के तहत निजी डबरी के निर्माण के संबंध में जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने अपनी जमीन पर डबरी बनवाने का निश्चिय किया और आवश्यक दस्तोवज जमा करा दिए। वर्ष 2018-19 में निजी डबरी निर्माण के लिए 1 लाख 60 हजार रूपए की स्वीकृति महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से मिल गई। डबरी का निर्माण मई 2018 में पूर्ण होने के बाद इसमें बारिश का पानी भरपूर भर गया। डबरी को बनाने में परिवार के मनरेगा पंजीकृत सदस्य राजेश की मां श्रीमती द्रोपती देवी साहू, विनोद कुमार साहू पत्नी श्रीमती संतोषी साहू, श्री मदन साहू पत्नी विद्या साहू ने मिलकर काम करते हुए 10 हजार 500 रूपए की मजदूरी भी प्राप्त की। पानी मिलने के बाद उसमें मछली पालन का काम शुरू किया। इसके साथ ही खेती की जमीन पर धान की फसल एवं कुछ हिस्सें में सब्जी बाड़ी भी लगाई।
एक साल में ही धान की फसल में इजाफा हुआ और लगभग 15 से 20 हजार रूपए पहले साल में ही मुनाफा हुआ। दूसरे साल मछली पालन, धान की फसल और सब्जी-बाडी से 20 से 25 हजार रूपए एवं वर्ष 2020 में 25 से 30 हजार रूपए का अधिक मुनाफा हुआ। डबरी बनने के बाद साल दर साल आमदनी बढ़ती गई और परिवार खुशहाल होने लगा। इस मुनाफे का उपयोग खेती किसानी के उपकरण खरीदने, घर खर्च, परिवार की जरूरतों, बच्चों की पढ़ाई एवं टूटे हुए घर की मरम्मत में खर्च किए। परिवार मे विचार विमर्श कर योजना के तहत सब्सिडी पर सौर ऊर्जा का पंप लगवा लिया। इससे डबरी के पानी का बेहतर तरीके से उपयोग होने लगा। श्री राजेश की पत्नी श्रीमती चित्ररेखा ने बताया कि पति दूसरे शहर में लॉकडाउन में फंसे हुए हैं, ऐसी स्थिति में परिवार के सामने आर्थिक रूप से दिक्कतें आई, लेकिन मनरेगा से बनाई डबरी के पानी का उपयोग कर बाड़ी में पालक, लाल भाजी, मिर्ची, धनिया, टमाटर, भटा, प्याज लगाते रहे, जिससे इस विपदा की घड़ी में घर के सदस्यों को सब्जी तो मिल ही जाती थी, साथ ही सब्जी बेचने से आमदनी का जरिया भी बन गया। संकंट की घड़ी में डबरी से परिवार का सहारा बना।

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