अब भारत में पेट्रोल-डीज़ल हो सकता है महंगा

सबका संदेस न्यूज़-अब भारत में पेट्रोल-डीज़ल हो सकता है महंगा
कई देशों में लॉकडाउन खुलने के बाद शुरू हुई बिजनेस गतिविधियों और उत्पादन में कटौती के चलते कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार तेजी आई है. पिछले एक महीने के दौरान कीमतें डबल हो गई है.
कच्चे तेल का उत्पादन और एक्सपोर्ट करने वाले संगठन OPEC की 4 जून को अहम बैठक बैठक हो सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बैठक में कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती पर फैसला होने की संभावना है. अगर ऐसा होता है तो कच्चे तेल की कीमतों जोरदार तेजी आ सकती है. ऐसे में आम आदमी के साथ-साथ सरकार पर भी इसका बोझ पड़ेगा. आपको बता दें कि भारत अपनी जरूरत के 83 फीसदी से अधिक कच्चा तेल आयात करता है और इसके लिए इसे हर साल 100 अरब डॉलर देने पड़ते हैं. कमजोर रुपया भारत का आयात बिल और बढ़ा देता है और सरकार इसकी भरपाई के लिए टैक्स दरें ऊंची रखती है.
कब होगी बैठक-
ओपेक और सहयोगी देश 4 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए होने वाली मीटिंग में जुलाई या अगस्त से कच्चे तेल का उत्पादन 97 लाख बैरल रोजाना कटौती पर विचार कर रहे हैं. यह दुनिया में कुल क्रूड उत्पादन का करीब 10 फीसदी है. इसी वजह से पिछले कुछ दिनों से क्रूड के दाम लगातार चढ़े हैं.
कीमतों में आ सकती है तेजी-
पिछले 4 हफ्तों में ब्रेंट क्रूड की कीमतें दोगुनी हो गई हैं. दरअसल, ओपेक देशों और सहयोगी देशों मसलन रूस आदि ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती जारी रखी है. इसके चलते क्रूड कीमतों को सपोर्ट मिला है. हालांकि, पिछले साल के मुकाबले ब्रेंट क्रूड के दाम अब भी 40 फीसदी नीचे हैं
अब सवाल उठता है कि क्या और सस्ता होगा पेट्रोल-डीज़ल इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि पेट्रोल के दाम कई चीजों से तय होते है. इसमें एक कच्चे तेल भी है. इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद भारत में उस अनुपात में पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्यों नहीं घटतीं? इसकी दो बड़ी वजह है-
पहली वजह-
भारत में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला भारी टैक्स है. वहीं, दूसरी वजह डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी है. आपको बता दें कि पेट्रोल पर फिलहाल 19.98 रुपये एक्साइज ड्यूटी लगती है. वैट के तौर पर 15.25 रुपये वसूले जाते है.
पेट्रोल पंप के डीलर को 3.55 रुपये कमीशन दिया जाता है. राज्यो में वैट की दरें अलग-अलग हैं. यह रेंज 15 रुपये से लेकर 33-34 रुपये तक है. इसलिए राज्यों पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी अलग-अलग हैं. एक लीटर डीजल पर यह टैक्स लगभग 28 रुपये का पड़ता है. यानी पेट्रोल-डीजल की कीमत का आधा से ज्यादा हिस्सा टैक्स का है.
दूसरी वजह
यानी रुपये की कमजोरी की बात करते हैं. इकनॉमी में लगातार गिरावट के साथ ही हमारा रुपया भी लगातार कमजोर होता जा रहा है. दिसंबर 2015 में हम एक डॉलर के बदले 64.8 रुपये अदा करते थे. लेकिन अब ये 74 रुपये से ज्यादा हो गया हैं. सीधे-सीधे 15 फीसदी अधिक कीमत देनी पड़ रही है. इसलिए अंतरराष्ट्रीय क्रूड हमारे लिए सस्ता होकर भी महंगा पड़ रहा है और विदेशी मुद्रा भंडार के लिए यह बोझ बना हुआ है.
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