देश दुनिया

कोरोना मरीजों के लिए इन दो दवाओं का कॉम्बिनेशन हो सकता है जानलेवा – Combination of these two drugs can be fatal for coronavirus patients | knowledge – News in Hindi

कोरोना वायरस (Coronavirus) से अब तक दुनियाभर में 61,75,099 लोग संक्रमित (Infected) हो चुके हैं, जिनमें 3,71,228 मरीजों की मौत हो गई है. वहीं 27,44,481 मरीज इलाज के बाद ठीक हो गए हैं. दुनियाभर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता दिनरात कोरोना वायरस का इलाज (Treatment) ढूंढने व इसके हर पहलू की जानकारी जुटाने में लगे हैं. शुरुआत में कई दवाओं का कोरोना मरीजों पर परीक्षण किया गया. इनमें कुछ दवाएं इलाज में कारगर भी पाई गईं.

इसके बाद मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्‍सीक्‍लोरोक्‍वीन (Hydroxychloroquine) और एंटीबायोटिक दवा एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycine) को सबसे कारगर इलाज बताया गया. यहां तक कि राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत पर दबाव डालकर हाइड्रॉक्‍सीक्‍लोरोक्‍वीन दवा अमेरिका मंगवाई. अब एक नए अध्‍ययन में पता चला है कि हाइड्रॉक्‍सीक्‍लोरोक्‍वीन और एजिथ्रोमाइसिन कोरोना मरीजों के लिए जानलेवा (Fatal) हो सकती हैं.

मरीज के कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम पर बुरा असर डालती हैं दोनों दवाएं
कुछ विशेषज्ञ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ इसके इस्‍तेमाल के खिलाफ हैं. हेल्थ जर्नल लैंसेट में प्र‍काशित एक शोध में कोरोना के मरीजों पर इस दवा के बुरे असर की बात कही गई थी. वहीं, वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी इसके क्‍लीनिकल ट्रायल पर अस्‍थायी रोक लगा दी है. अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि कोरोना के मरीजों को दी जाने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन खतरनाक साबित हो सकती है.

शोधकर्ताओं का दावा है कि दोनों दवाएं एक साथ या अलग-अलग देने पर मरीज के कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है.

शोधकर्ताओं का दावा है कि दोनों दवाएं एक साथ या अलग-अलग देने पर मरीज के कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है. स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने डब्‍ल्‍यूएचओ के रिकॉर्ड में दर्ज इन दवाओं के बुरे प्रभाव वाले 2.10 करोड़ मामलों का अध्‍ययन करने के बाद ये निष्‍कर्ष निकाला है.

शोधकर्ताओं ने 130 देशों के 53 साल के मामलों का किया अध्‍ययन
शोधकर्ताओं ने रिसर्च के दौरान नवंबर 1967 से मार्च 2020 के बीच 130 देशों के मामलों को अध्‍ययन किया. हेल्थ जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन का असर हृदय पर पड़ता है. इन दोनों दवाओं के इस्तेमाल से कोरोना के मरीजों की हार्टबीट (Heartbeat) तेज या धीमी हो सकती है.

डब्‍ल्‍यूएचओ की रोक के बाद भी भारत में इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने फैसला किया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्‍तेमाल बंद नहीं किया जाएगा. आईसीएमआर का तर्क है कि भारत में किए गए अध्ययनों में इस दवा के साइड इफेक्ट नहीं देखे गए हैं. वहीं, इस दवा से कोरोना के मरीजों को फायदा भी मिला है.

डब्‍ल्‍यूएचओ ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कोरोना मरीजों पर मलेरिया की दवा का क्लीनिकल ट्रायल अस्थायी तौर पर रोकने की बात कही थी.

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाले मरीजों की मौत की आशंका है ज्‍यादा
आईसीएमआर ने कहा है कि विशेषज्ञों की निगरानी में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल जारी रखा जाएगा. बता दें कि डब्‍ल्‍यूएचओ ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कोरोना मरीजों पर मलेरिया की दवा का क्लीनिकल ट्रायल अस्थायी तौर पर रोकने की बात कही थी. लैंसेट में भी प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोरोना मरीजों को इस दवा से नुकसान हो रहा है.

लैंसेट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाले कोरोना मरीजों की मौत की संख्या ये दवा नहीं लेने वाले मरीजों की संख्या में ज्यादा है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोरोना मरीजों पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और तीन अन्य दवाओं का रैंडमाइज्ड ट्रायल शुरू किया जाना था. हालांकि, संगठन ने ये भी कहा है कि ये दवा मलेरिया के इलाज में पूरी तरह सुरक्षित और कारगर है.

ये भी पढ़ें:

जानें अमेरिका में जॉर्ज फ्लायड की मौत के विरोध में जला दिए गए ‘गांधी महल’ की पूरी कहानी

इस महिला ने सियासत की बिसात पर मुगलों को मोहरों की तरह किया था इस्‍तेमाल

जानें अफ्रीकी देशों में बहुत धीमी रफ्तार से कैसे बढ़ रहे हैं कोरोना वायरस के मामले

आखिर भारत में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में क्‍यों पेश आ रही हैं मुश्किलें?

जब भारत के 120 जवान चीन के 2000 सैनिकों पर पड़ गए भारी, 1300 को कर दिया था ढेर

जानें भूकंप के बड़े झटके की दस्‍तक तो नहीं बार-बार आ रहे हल्‍के झटके?



Source link

Related Articles

Back to top button