देश दुनिया

भारत में 30 समूह कोरोना वायरस का टीका बनाने की कोशिश में लगे हैं: पीएसए राघवन |coronavirus in india lockdown 65 days infected cases death toll on 28th may live updates | nation – News in Hindi

भारत में 30 समूह कोरोना वायरस का टीका बनाने की कोशिश में लगे हैं: पीएसए राघवन

दुनिया एक ही समय में 100 से अधिक टीकों पर निवेश कर रही है.

Coronavirus: देश में 24 घंटे में कोरोना के 6,566 नए केस मिले हैं और 194 लोगों की जान गई है. अब देशभर में कोरोना के 86110 केस हैं.

नई दिल्ली. प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने गुरुवार को कहा कि भारत (India) में करीब 30 समूह कोरोना वायरस के खिलाफ टीका (Coronavirus Vaccine) विकसित करने की कोशिश में लगे हैं जिनमें बड़े उद्योग घरानों से लेकर वैज्ञानिक तक हैं. राघवन ने कहा कि इन 30 में से 20 समूह बहुत तेज रफ्तार से काम कर रहे हैं. उन्होंने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘भारत में बड़े उद्योगों से लेकर वैज्ञानिक तक करीब 30 समूह कोविड-19 के खिलाफ टीका (covid-19 Vaccine) विकसित करने की कोशिश में लगे हैं जिनमें से 20 अच्छी रफ्तार से काम कर रहे हैं.’’

एक साल में टीका बनाने का लक्ष्य
राघवन ने किसी समूह का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि इनमें से कुछ प्री-क्लीनिकल स्तर पर हैं और अक्टूबर तक क्लिनिकल स्तर पर पहुंच सकते हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में टीका बनाने में करीब 10 साल लगते हैं और इसकी लागत करीब 20 से 30 करोड़ डॉलर तक आती है, लेकिन दुनिया भर में कोरोना वायरस के लिए एक साल के अंदर टीका बनाने के लक्ष्य के साथ काम हो रहा है.

राघवन ने कहा, इसके लिए समांतर प्रक्रिया जरूरी है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी टीके पर काम करने और यह देखने कि यह 10 साल की अवधि तक काम करता है या नहीं, और इस पर निवेश करने के बजाय हमें 100 टीकों के विकास पर निवेश करना होगा. दुनिया एक ही समय में 100 से अधिक टीकों पर निवेश कर रही है.’’पूरी प्रक्रिया में आएगी दो से तीन अरब डॉलर की लागत

वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में करीब दो से तीन अरब डॉलर की लागत आएगी. राघवन ने कहा कि यह भी जरूरी है कि टीके की खोज पर काम करने के दौरान गुणवत्ता से समझौता किये बिना नियामक प्रक्रिया से गुजरा जाए. टीके के विकास में भारतीय कंपनियों और संस्थाओं के कामकाज पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा कि देश में ही इसे बनाने के प्रयास चल रहे हैं. दूसरी तरफ भारतीय कंपनियों और संस्थाओं ने इसी मिशन पर काम कर रहीं बाहर की संस्थाओं के साथ भी साझेदारी की है.

उन्होंने यह भी कहा कि सभी के लिए टीका सुलभ बनाना भी बड़ी चुनौती का काम है क्योंकि सबसे अधिक कमजोर वर्ग को इसकी सर्वाधिक जरूरत होगी.

नई दवा बनाना चुनौतीपूर्ण
राघवन ने कहा कि नयी दवा बनाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम होता है और इसी तरह टीका बनाने में बहुत लंबा वक्त लगता है उन्होंने कहा, ‘‘कई प्रयास विफल हो जाते हैं और इस तरह आपको बहुत कोशिशें करनी होती हैं.’’

राघवन ने कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) कोरोना वायरस से निपटने के लिए विभिन्न प्रकार की दवाओं के इस्तेमाल पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सीएसआईआर और एआईसीटीई ने दवा की खोज के लिए हैकाथन भी शुरू की है.

ये भी पढ़ें-
Covid-19: भारत ने मौत के मामले में चीन को पीछे छोड़ा

COVID-19: बिहार मूल के NRI ने बनाया दुनिया का सबसे सस्ता पोर्टेबल वेंटिलेटर

News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए देश से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.


First published: May 28, 2020, 7:10 AM IST



Source link

Related Articles

Back to top button