भारत-पाक सीमा पर एक साथ तीन चुनौतियों का सामना कर रही बीएसएफ | BSF facing three challenges simultaneously on Indo Pak border | nation – News in Hindi


हर दिन इसी तरीके से टैंकर के जरिए तपती धूप में जनता को पानी भी पिलाया जा रहा है.
भारत पाकिस्तान सीमा (Indo-Pak Border) के जैसलमेर (Jaisalmer) रीजन में करीब 540 किलोमीटर की भारत पाकिस्तान सीमा पर पिछले कुछ दिनों से टिड्डी दल हमला (Locust Attack) इनके सामने एक नई चुनौती बनकर उभरा है
टिड्डी दल बना नई चुनौती
भारत पाकिस्तान सीमा के जैसलमेर रीजन में करीब 540 किलोमीटर की भारत पाकिस्तान सीमा पर पिछले कुछ दिनों से टिड्डी दल हमला इनके सामने एक नई चुनौती बनकर उभरा है और देश में इसके असर को कम करने के लिए बीएसएफ ने खास रणनीति बनाई है. दरअसल ज्यादातर मामलों में ऐसा हुआ है कि भारत में पाकिस्तान सीमा को पार कर इस इलाके में ही सबसे पहले टिड्डी दल दाखिल होता है. देश में सबसे पहले बीएसएफ के जवानों की ही इनपर नजर पड़ती है. ऐसे में तुरंत यहां की चेक पोस्ट स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना देती जिसके बाद उससे निपटने के इंतजाम किए जाते हैं.
ताजा मामला है उत्तर भारत की ओर बढ़ रहे टिड्डी दल का जो कि तीन दिन पहले पाकिस्तान सीमा से भारत में शामिल हुआ था और जैसे ही ये हुआ तुरंत बीएसएफ के जवानों ने अपनी ड्यूटी निभाई. करीब 15 साल बाद टिड्डी दल इतनी बड़ी तादाद में भारत में दाखिल हो रहे हैं और इनका अनुपात इस बार इतना ज्यादा है कि राजस्थान के बाद उत्तर भारत और महाराष्ट्र तक इनका घनत्व नहीं कम होता हैबदलती परिस्थितियों के हिसाब से उठाए जा रहे कदम
राजेश कुमार, डीआईजी, बीएसएफ का कहना है कि यह एक नई चुनौती है जिसका वह सामना कर रहे हैं, परिस्थितियां बदली है इसके हिसाब से वह कदम उठा रहे हैं और इसमें सबसे अहम भूमिका निभाता है कंट्रोल रुम जिसके जरिए सूचना तुरंत प्रशासन को दी जाती है.
इसके अलावा इस झुलसती गर्मी में जब तापमान पचास डिग्री से ज्यादा है और रेत तप रही है तो बीएसएफ के जवान स्थानीय जनता को ये लगातार समझा रहे हैं कि कोरोनावायरस संक्रमण से कैसे बचना है. साथ ही हर दिन इसी तरीके से टैंकर के जरिए तपती धूप में जनता को पानी भी पिलाया जा रहा है.
मुस्तैदी से तीनों चुनौतियों का सामना कर रही बीएसएफ
राजेश कुमार, डीआईजी, बीएसएफ के मुताबिक के कोरोनावायरस से प्रोटोकॉल की जानकारी स्थानीय जनता को देना जरूरी है और पहले वह स्थानीय लोगों के लिए अभियान या जागरूकता शिविर चलाते थे जो अब कोरोनावायरस खतरे से आगाह करने में तब्दील हो गया है. इन तीनों चुनौती का सामना करने के लिए बीएसएफ में पुरुष और महिला रक्षकों की टीमें बराबर सीमा पर मुस्तैद रहती हैं और इनके साथ कैमल पेट्रोलिंग का भी सहारा लिया जाता है.और जैसे ही कोई संदिग्ध हरकत होती है तुरंत ही यह टीमें एक्शन में आ जाती हैं.
सीमावर्ती इलाकों में लोगों के विकास के लिए नियमित अंतराल पर बीएसएफ अभियान और कार्यक्रम चलाता रहता है, लेकिन ऐसा पहली बार है जब देश की जनता तीन बड़े खतरे से सुरक्षित रह सके, फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस की ये फोर्स यह सुनिश्चित कर रही है.
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First published: May 28, 2020, 11:55 PM IST