छत्तीसगढ़

फेसबुक लाइव के माध्यम से ABVP प्रदेश मंत्री श्री शुभम जायसवाल ने विश्वविद्यालय परीक्षा के संदर्भमें छात्रों से बातचीत की।

फेसबुक लाइव के माध्यम से ABVP प्रदेश मंत्री श्री शुभम जायसवाल ने विश्वविद्यालय परीक्षा के संदर्भमें छात्रों से बातचीत की।सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-

कोविड19 और लोक डाउन की स्थिति को देखते हुए देश के सभी विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाएं प्रभावित हुई है। और हम सभी लोग इसका समाधान चाहते हैं। क्योंकि सभी लोग बड़े असमंजस की स्थिति में है कि हमारी परीक्षाओं का क्या होगा? आगे के शैक्षिक कैरियर का क्या होगा? अब आगे का संचालन क्या और कैसे होगा?

जिस प्रकार कोविड 19 की स्थिति भयावह बनी हुई है, और उसने हमें कहीं ना कहीं हमारे शिक्षा में, शिक्षा व्यवस्थाओं में, शिक्षा पद्धति में नवाचार करने को विवश किया है। साथ ही हम लोग यह जानते हैं कि पहले की स्थिति में ऑनलाइन टीचिंग प्राप्त करने का हमे अनुभव नहीं था लेकिन उस नवाचार को भी हम सभी लोगों ने आज स्वीकार किया है। और मुझे लगता है कि आगे यह हमारे परंपरागत शिक्षा पद्धति के साथ अभिन्न अंग बनने वाला है।

कोविड 19 की स्थिति सामान्य होने के बाद हम सभी लोग भी शिक्षा में आने वाले नए प्रकार के परिवर्तनों के लिए, शिक्षा में नई व्यवस्था के लिए – तैयार रहना पड़ेगा। लेकिन वर्तमान में इन सभी स्थितियों के बीच में भी हमारी परीक्षाएं शेष है। उन सभी के बारे में जो एक विषय लगातार चल रहा है। लगातार कुछ छात्र संगठन भी भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसे में विद्यार्थी परिषद एक जिम्मेदार छात्र संगठन होने के नाते कई बार स्पष्ट किया है और आज भी इस फेसबुक लाइव में माध्यम से यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम लोग मास प्रमोशन ना करते हुए वैकल्पिक परीक्षा पद्धति ऊपर आगे विचार करते हुए विद्यार्थियों के मूल्यांकन करने के पक्ष में है।

तो यह वैकल्पिक मूल्यांकन कैसे हो सकता है? यह परीक्षा कैसे हो सकती है? उस पर राज्य सरकार को भी गंभीरता पूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।

(1) विद्यार्थी परिषद का यह मानना है कि जो यूजी व पीजी के अंतिम वर्ष या सेमेस्टर के विद्यार्थी है और उन सभी विद्यार्थियों की परीक्षाएं परंपरागत परीक्षाओं जैसे ही ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देश के अनुसार ही जुलाई के प्रथम सप्ताह में की जाए। जून 15 के आसपास कोविड 19 की स्थिति को देखते हुए उसका मूल्यांकन करते हुए सही व उचित कदम उठाते हुए तथा शारीरिक दूरी, सैनिटाइजर की व्यवस्था या अतिरिक्त परीक्षा केंद्र की व्यवस्था और उस परीक्षा केंद्र में निजी संस्थान वह सरकारी विद्यालय का उपयोग करते हुए स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों की अंतिम वर्ष की परीक्षा का आयोजन किया जाए।

यह परीक्षा इसलिए महत्वपूर्ण है कि अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को आगे प्रवेश प्रक्रिया के लिए मेरिट के आधार पर वह मेरिट की आवश्यकता होगी और बहुत सारे विद्यार्थी होंगे जो राज्य बाहर के प्रदेश में या अखिल भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में भी प्रवेश लेने के लिए इच्छित होंगे। ऐसे समय में अंतिम वर्ष यूजी एवं पीजी के विद्यार्थियों की परीक्षाएं होनी अनिवार्य है।

(2) स्नातक एवं स्नातकोत्तर के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की जैसे ही हमारे प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष स्नातक के जो विद्यार्थियों की परीक्षाएं है । उन परीक्षाओं के आयोजन के बारे में भी असमंजस की स्थिति है। ऐसे में उन परीक्षाओं के बारे में अगर सोचा जाए तो विद्यार्थी परिषद का यह मानना है कि उन्हें भी मांस प्रमोशन ना देते हुए स्थिति सामान्य होने पर परीक्षा का आयोजन किया जाय।

इसलिए इस मूल्यांकन की अलग-अलग पद्धति हो सकती है। इसलिए विद्यार्थी परिषद का भी यह मानना है कि परंपरागत परीक्षा चाहे ना हो,

लेकिन स्नातक अभ्यासक्रम के प्रथम वर्ष एवं द्वितीय वर्ष विद्यार्थी है उनको प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को द्वित्तीय वर्ष में और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को तृतीय वर्ष में तत्काल परिस्थितियों में ध्यान में रखते हुए इस वर्ष के लिए अगली कक्षा में केरीऑन कर सितंबर अंत में या अक्टूबर में उनके पूर्व की कक्षाओं की यानी प्रथम व द्वितीय वर्ष की परीक्षा आयोजित की जा सकती है। ऐसे करते समय विद्यार्थियों को महत्तम विषयो में ATKT का ऑप्शन दिया जाए। जब परिणाम में ATKT प्राप्त करने वाले विद्यार्थि होंगे उनको भी मार्च-अप्रैल 2021 में आयोजित होने वाली द्वितीय वर्ष एवं तृतीय वर्ष की परीक्षाओं में के दौरान ATKT प्राप्त विषयों की परीक्षा देने का प्रावधान करे।

(3) आगे परिस्थितियाँ का आकलन करते हुए बदलती हुई आगे की परिस्थितियों में भी एक और विकल्प हो सकता है। वह विकल्प हो सकता है कि 50% अंक यह आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर एवं 50% अंको के लिए परीक्षा का आयोजन किया जाए और उन परीक्षाओं के आयोजन करते समय पाठ्यक्रम संबंधित 30% प्रश्न, सामान्य ज्ञान के आधार पर 10% प्रश्न, कोविड़19 के 10% प्रश्न सम्मिलित किए जा सकते हैं। और उस आधार पर परीक्षा का आयोजन कर मूल्यांकन करते हुए 50% अंक यह आंतरिक मूल्यांकन एवं 50% अंक इस अतिरिक्त मूल्यांकन के आधार पर कर सकते हैं व विद्यार्थियों का समग्र मूल्यांकन करते हुए उसको अगली कक्षाओं के लिए प्रदान किया जा सकता है।

(4) ऐसे ही विज्ञान प्रवाह के (उदाहरण स्वरूप) विद्यार्थियों को एक ही विषय के अधिक प्रश्नपत्र होते हैं, ऐसे समय में विद्यार्थी परिषद का यह मानना है कि विज्ञान प्रवाह के केमिस्ट्री विषय के एक प्रश्नपत्र में प्रश्नपत्र एक और दो इन दोनों का संतुलित एक प्रश्न पत्र बनाया जाए। इससे दो पेपर की जगह एक पेपर में ही समाहित किया जाए ऐसे परीक्षा संचालन कई प्रकार की पद्धति हो सकती है।

(5) और एक विकल्प हो सकता हैओपन बुक्स एग्जाम का। जिसमें व्हाट्सएप व अन्य संचार माध्यमों के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रश्नपत्र पहुंचाया जा सकता है। विश्वविद्यालय अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड कर सकते हैं और वह प्रश्न पत्र के उत्तर लोजिकल होंगे, उसके उत्तर विद्यार्थी अपने घर में बैठकर दे सकते हैं परंतु इन प्रश्न पत्र की रचनाएँ एसी होगी कि उत्तरों की उत्तर यह पाठ्य पुस्तकों के सीधे ना मिलते हुए यह उत्तर लॉजिकल उत्तर होंगे यह लॉजिकल उत्तर जब विद्यार्थी लिखेंगे, लिखने के बाद आंसरशीट यह सभी मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों के पास पहुंचेंगे उसके आधार पर छात्रों का मूल्यांकन किया जाएगा।

(6) ऐसे ही परीक्षाओं का एक और विकल्प हो सकता है। परंपरागत वार्षिक परीक्षा में प्रश्न पत्र 3 घंटे का रहता है, उसके बदले ऐसी परीक्षाएं जब भी आयोजित हो 3 घंटे के बजाय डेढ़ से 2 घंटे की आयोजित की जा सकती है ऐसे ही टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए आज कई विश्वविद्यालयों ने यह प्रयोग किया है।

(7) और एक प्रयोग सफल हो सकता है। उसमें टेक्नोलॉजी का यूज करते हुए छात्रों के एक समूह को ऑनलाइन बुलाकर सामने-सामने एक से दस छात्र बुलाकर ऑरल परीक्षण के रूप में मूल्यांकन करते हुए ओरल परीक्षा का विकल्प भी ले सकते हैं। जिसमें प्रति छात्र कुछ मर्यादित संख्या में प्रश्न पूछ कर उनके उत्तर के आधार पर उस छात्र का मूल्यांकन किया जा सकता है। और इस ओरल परीक्षा का वीडियो रकोर्डिंग डेटा के रूप में सेव किया जाए।

विद्यार्थी परिषद का यह भी मानना है कि जब प्रश्न पत्र के द्वारा ही फिजिकल ही परीक्षा होने की स्थिति में अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की व स्नातकोत्तर अंतिम सेमेस्टर के विद्यार्थियों की परीक्षा प्राथमिकता से होनी चाहिए।

सभी प्रकार की परीक्षा का आयोजन व उसके केंद्र के बारे में भी विश्वविद्यालय ने आगे आकर सभी प्रकार की चिंता करते हुए विद्यार्थी को अपने गृह जिला में परीक्षा ही केंद्र के लिए सुविधा देनी

विद्यार्थी परिषद का मानना है की परीक्षा के इतने सारे विकल्पों के सामने आयें हैं और इन सभी विकल्पों में से कोई न कोई विकल्प पर विश्वविद्यालय और शासन विचार करें और जिससे विद्यार्थियों को भी मुश्किलों का सामना ना करना पड़े और आज जो विद्यार्थी अपनी परीक्षाओं के बारे में असमंजस की स्थिति में है उसमें से मुकत हो सकें।

 

 

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