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ग्रामीण स्वच्छ भारत अभियान के जरिए COVID-19 से लड़ रहा है असम | Assam is fighting COVID-19 through Grameen Swachh Bharat Abhiyan | nation – News in Hindi

ग्रामीण स्वच्छ भारत अभियान के जरिए COVID-19 से लड़ रहा है असम

कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में हाथों की नियमित स्वच्छता बहुत आवश्यक है. अहम बात ये है कि असम में स्वच्छता को लेकर पिछले 6 वर्षों अभियान चलाया जा रहा है.

कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में हाथों की नियमित स्वच्छता बहुत आवश्यक है. अहम बात ये है कि असम में स्वच्छता को लेकर पिछले 6 वर्षों अभियान चलाया जा रहा है.

गुवाहाटी. कोविड-19 ने भारत सहित विश्व के कई देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. भारत के लगभग सभी राज्य इस बीमारी से लड़ने में अपना ज़ोर लगा रहे हैं. असम कोरोना महामारी से अब तक बहुत मजबूती के साथ लड़ा है. इसका श्रेय बहुत हद तक ग्रामीण स्वच्छ भारत अभियान को जाता है.

कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में हाथों की नियमित स्वच्छता बहुत आवश्यक है. अहम बात ये है कि असम में स्वच्छता को लेकर पिछले 6 वर्षों अभियान चलाया जा रहा है. साल 2014 में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत हुई. तब पहले चरण में असम के 26395 में से 172 गांव ही इस अभियान का इस अभियान का हिस्सा थे. लेकिन जैसे-जैसे अभियान आगे बढ़ा जल्द ही असम कई राज्यों से आगे निकल गया.

जानकारी के अनुसार स्वच्छ भारत अभियान का मूल उद्देश्य स्वच्छता से जुड़ी गलत आदतों में व्यावहारिक बदलाव लाना था, जिसमें प्रचार और प्रसार के सामान्य तरीके काम नहीं कर सकते थे. इसको लेकर असम के एसबीएमजी आईएएस डायरेक्टर डॉ. सिद्धार्थ सिंह बताते हैं “जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं जिन्हें स्वच्छाग्रही कहा जाता है और युवाओं की भागीदारी से यह अभियान जल्दी ही एक जन अभियान बन गया.

उन्होंने आगे कहा, “गुवाहाटी विश्वविद्यालय और डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय की साझेदारी की मदद से यह अभियान राज्य के 400 कॉलेजों तक पहुंचा जिनमें स्वास्थ्य एवं स्वच्छता क्लब के गठन की वजह से हजारों छात्र इस अभियान से जुड़ गए. छात्र परिवर्तन के सबसे बेहतरीन एजेंट्स होते हैं अतः ‘केजी से पीजी’ तक हर छात्र को इस मिशन से जोड़ने की कोशिश की.अभियान के प्रति जन सामान्य की रुचि बढ़ाने के लिए स्वच्छतम गांव अवॉर्ड्स की घोषणा की गई जिससे लोगों में प्रतिस्पर्धा की भावना बढी, बड़ी संख्या में लोग ना केवल इस अभियान से जुड़े बल्कि उनमें स्वच्छता के प्रति जागरूकता का स्तर बहुत अधिक हो गया. संपूर्ण राज्य के 33 जिलों के 26000 से अधिक गांवों का निरीक्षण किया गया स्वच्छता के मापदंडों में उन्हें श्रेणी में रखा गया. गोलपारा जिले की रंगपारा गांव को विजेता घोषित किया गया.

विजेता गांव के बारे में डॉक्टर सिंह का कहना है “ध्यान देने योग्य बात यह है कि रंगपारा गांव की अधिकतम जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे की है जो यह प्रदर्शित करता है कि, आर्थिक स्तर स्वच्छता की करो स्वच्छता को निर्धारित नहीं कर सकता. “

सारी प्रक्रिया पारदर्शी रखने के लिए सभी घरों की जियो टैगिंग की गई थी. यह अभियान यह नहीं रुका इसे आगे बढ़ाने के लिए दान टॉयलेट जैसे कई नए कदम उठाए गए, जिसके तहत लोग उन लोगों को टॉयलेट दान कर सकते थे जो इन बनवाने में सक्षम नहीं है या किसी की याद में सॉलिड निर्माण करवा सकते हैं. इन कोशिशों की वजह से वर्तमान में खुले में शौच की समस्या से मुक्त हो चुका है. मई 2016 से फरवरी 2018 के बीच में लगभग 17 लाख टॉयलेट का निर्माण जन सामान्य के लिए किया गया है.

इन कोशिशों का संज्ञान SKOCH फाउंडेशन ने लेते हुए IAS अधिकारी डॉ सिद्धार्थ सिंह को सम्मानित किया है साथ ही साथ भारत सरकार ने भी असम राज्य के स्वच्छता ही सेवा अभियान को पुरस्कृत किया है. असम में अभियान की सफलता का श्रेय डॉ. सिद्धार्थ सिंह को दिया जाता है. बता दें कि डॉ. सिंह असम मेघालय कैडर के 2005 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, जो वर्तमान में असम सरकार अंतर्गत सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग के सचिव के रूप में कार्यरत हैं और असम में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के मिशन डायरेक्टर हैं. साथ ही, वें वर्ल्ड बैंक और पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की संयुक्त परियोजना, नीर निर्मल परियोजना के निदेशक है. असम में स्वच्छता के लिए उठाए गए उनके कारगर कदम कोविड-19 से लड़ाई में कारगर साबित हो रहे हैं.

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First published: May 26, 2020, 2:41 AM IST



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