स्वामी आनंद परमानंद सरस्वती जी ब्रह्मलीन हुए
स्वामी आनंद परमानंद सरस्वती जी ब्रह्मलीन हुए
पण्डित देव दत्त दुबे
शङ्कराचार्य जी के कृपापात्र
सहसपुर लोहारा कवर्धा
सबका संदेश न्यूज-कवर्धा छ.ग.
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कवर्धा – वाराणसी में जयेष्ट कृष्ण पक्ष त्रयोदशी प्रदोष काल मास शिवरात्रि अश्वनी नक्षत्र सौभाग्य योग दिन बुधवार को शाम 6.15 बजे मुहूर्त में काशी केदारखंड , मोक्षायतन में स्वामी जी के शरीर शांत होकर ब्रह्मलीन हो गए पुज्य स्वामीजी के जन्म दिनांक 13.09.1952 को छत्तीसगढ़ के कवर्धा में कुलीन ब्राह्मण परिवार पिता श्री रामजी प्रसाद उपाध्याय माता श्रीमती सुंदरी देवी उपाध्याय के चतुर्थ पुत्र के रुप मे हुआ था, पश्चात परमानंद उपाध्याय नामकरण हुआ । प्रारंभ में प्राथमिक और मिडिल शिक्षा कवर्धा में ग्रहण करके उच्चतर शिक्षा जांजगीर में अपनी बहन श्रीमती लक्ष्मी द्विवेदी के यहाँ ग्रहण किये । पिता श्री रामजी प्रसाद उपाध्याय प्रारंभ से ही वैद्य थे, इसलिये आयुर्वेद चिकित्सा में श्री परमानंद उपाध्याय जी का भी रुचि हुआ, पश्चात रायपुर आयुर्वेदिक कालेज से वैद्य विशारद और आयुर्वेदाचार्य का शिक्षा ग्रहण करके अपने पिता के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा में लग गए ।
कवर्धा के कुलीन ब्राह्मण श्री शिवगुलाम पांडे के तृतीय पुत्री श्रीमती रत्ना देवी के साथ विवाह हुआ विवाह पश्चात श्री परमानंद उपाध्याय के पांच संतान हुए तीन पुत्र चंद्रप्रकाश उपाध्याय,रामकृपेश्वर उपाध्याय,हरिहर उपाध्याय और दो पुत्री पार्वती देवी एवं दिनेशनंदनी संतान के रुप मे प्राप्त हुए धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के प्रति उनके मन मे अगाध श्रद्धा रहा । धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज को वह वह अपना दीक्षा गुरु भी बनाना चाहते थे, इसी मध्य कवर्धा में परम पुज्य ज्योतिष एवं द्वारका पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकरचार्य स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती जी महाराज का शुभागमन कवर्धा राजमहल में हुआ पिताजी पुज्य शंकराचार्य जी महाराज से अपने पुत्र को दीक्षा देने का आग्रह किये एवं अपने पुत्र परमानंद को पुज्य शंकराचार्य जी महाराज से कवर्धा राजमहल में दीक्षा ग्रहण करवाये ।
धर्मसम्राट स्वामी श्री करपात्री जी महाराज के रामराज्य परिषद के प्रचार आदि के लिये कवर्धा आगमन में पुज्य धर्मसम्राट के सेवा में अपने पिता श्री रामजी प्रसाद उपाध्याय के साथ-साथ पुरा सहयोग प्रदान किया करते थे । सन 1982 में रामराज्य परिषद से कवर्धा के कचहरी पारा से पार्षद के रुप मे विजयी हुए सन 1988 के प्रयागराज महाकुंभ में रामराज्य परिषद के महासम्मेलन में परमानंद उपाध्याय जी को रामराज्य परिषद के कवर्धा का अध्यक्ष ,राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रेमवल्लभ व्यास जी द्वारा नियुक्त किया गया । इसी क्रम में सन 1989 और 1993 में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में कवर्धा विधानसभा से परम पुज्य गोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य श्री स्वामी निरंजनदेव तीर्थ जी महाराज के आदेश से रामराज्य परिषद से चुनाव प्रत्याशी के रुप मे चुनाव लड़े, जिसमें क्रमशः तीरकमान और मशाल छाप चुनाव चिन्ह प्राप्त हुआ था ।
पुर्ण धार्मिक संस्कार के साथ अपने संतानों को वह शिक्षा हमेशा देते रहे काशी के प्रति उनके मन मे प्रारंभ से अगाध श्रद्धा रही अपने माता पिता को काशीवास कराते हुए उन्हें मोक्ष प्राप्ति कराये व्यापार और राजनीति में सफल अपने पुत्र चंद्रप्रकाश उपाध्याय को सन 2007 में उन्होंने भविष्य में काशीवास का इच्छा प्रकट किये और काशीवास हेतु काशी में केदारखंड में एक आवास खरीदने बोले । पिता आज्ञा को देखते हुए शीघ्र ही चंद्रप्रकाश उपाध्याय द्वारा काशी केदारखंड में एक भव्य मकान लिया गया । क्रमशः इस मध्य श्री परमानंद उपाध्याय जी सपत्नीक काशीवास समयनुसार करते रहे काशीवास करते हुए , नवंबर 2019 में स्वास्थ्य में गिरावट प्रारंभ हुआ ।
दिनांक 30.4.2020 को स्वास्थ्य में अधिक गिरावट के कारण परम पुज्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज से आतुर सन्यास ग्रहण करके स्वामी आनंद परमानंद सरस्वती जी महाराज के रुप मे एक सन्यासी जीवन व्यतीत किये । काशीवास सन्यासी जीवन व्यतीत करते हुए दिनांक 20.5.2020 को काशी के केदारखंड , मोक्षायतन में शरीर शांत हुआ और ब्रह्मलीन हुए, पश्चात शाम को केदारखंड में धर्मसम्राट स्वामी श्री करपात्री जी महाराज के समाधि स्थल के बाजू में स्वामी आनंद परमानंद सरस्वती जी को जल समाधि , परम पुज्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज,स्वामी सर्वेश्वरनाद सरस्वती जी महाराज, पुर्वआश्रम के परिवार से तीनों पुत्र , दोनों पुत्री, सभी परिवार सहित जल समाधि के समय उपस्थित रहे!
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